संजय सिंह, पटना। बीजेपी के कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री अमित शाह दो दिवसीय दौरे पर बिहार आ रहे हैं। उनका बेतिया, पटना, समस्तीपुर के अलावा सीमांचल में भी कार्यक्रम है। दस दिनों के भीतर यह उनकी दूसरी बिहार यात्रा है। इधर चुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। इसके साथ ही राजनीतिक दल चुनावी फील्डिंग सजाने में लग गए हैं। अपने प्रवास के दौरान वे चार शहरों में कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करेंगे।
इसके अलावा जिला कोर ग्रुप, बीजेपी के पदाधिकारियों, सांसद, विधायक और विधान पार्षद की बैठक भी लेंगे। दो दिवसीय बैठक के बाद शाह कार्यकर्ताओं को जीत के गुर सिखाएंगे।
प्रवासी सांसदों और विधायकों को कमान
बीजेपी ने चुनावी फील्डिंग कड़ी कर दी है। कई प्रदेशों के 45 सांसदों और 45 विधायकों को बिहार चुनाव की कमान सौंपी गई है। ये सांसद और विधायक दूसरे प्रदेशों से आए हैं। इन्हें अलग-अलग क्षेत्रों की जिम्मेवारी दी जाएगी। संगठन और मतदाताओं को समझाने के मामले में ये सांसद और विधायक माहिर माने जाते हैं। ये जनप्रतिनिधि एनडीए के सत्ता विरोधी लहर को थामने का काम भी करेंगे। इस टीम में राजस्थान, यूपी, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा और जम्मू-कश्मीर के सांसद और विधायक शामिल हैं। इसके पहले 20 संगठनात्मक जिलों की बैठक हो चुकी है। आज अमित शाह के साथ इन 90 जनप्रतिनिधियों की भी बैठक है।
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फारबिसगंज की बैठक पर फोकस
बीजेपी इस बार के विधानसभा चुनाव में कोसी और सीमांचल पर विशेष फोकस किए हुए है। सीमांचल के फारबिसगंज हवाई अड्डा मैदान में 10 जिले के पार्टी पदाधिकारी का सम्मेलन आयोजित किया गया है। इस क्षेत्र के चार जिले अररिया, किशनगंज, पूर्णियां और कटिहार में अल्पसंख्यक वोटरों की संख्या 46 प्रतिशत है। मुसलमानों की अधिक आबादी के कारण ही लोकसभा चुनाव में कटिहार, किशनगंज और पूर्णियां में कांग्रेस के उम्मीदवार की जीत हुई थी। वर्ष 2020 के चुनाव में ओवैसी के पार्टी के पांच विधायक चुनाव जीतकर राजनीतिक हल्के में सनसनी फैला दी थी। इस बार की राजनीतिक परिस्थिति थोड़ी बदली हुई है।
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी और प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल इमान की लाख कोशिश के बावजूद अबतक महागठबंधन में उन्हें जगह नहीं मिली है। इससे ओवैसी नाराज हैं। वे अपनी पार्टी के लिए महागठबंधन से छह सीटें मांग रहे हैं। लेकिन फिलहाल वह सीटों मिलने की उम्मीद नहीं है। ऐसी स्थिति में ओवैसी मैदान में अपना उम्मीदवार उतारेंगे तो महागठबंधन और एआईएमआईएम के बीच वोट बंटेगा। वोट बंटवारे का लाभ बीजेपी उठा सकती है। शाह का पूरा फोकस सीमांचल में हिंदू वोटों की गोलबंदी का होगा। मिथिला और तिरहुत क्षेत्र की बैठक समस्तीपुर जिले के सरायरंजन जिले में आयोजित की गई है। यहां सम्मेलन के साथ साथ कोर ग्रुप की बैठक भी होगी।
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कोर कमिटी की बैठक पर होगा विचार
पिछले दो दिनों से बीजेपी कोर कमिटी की बैठक टिकट बंटवारे को लेकर हुई है। टिकट बंटवारे को लेकर हुई बैठक डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के आवास पर हुई। बैठक में यह तथ्य उभरकर सामने आया कि बीजेपी की 40 प्रतिशत चुनावी तैयारी अधूरी है। टिकट को लेकर 16 सवाल पूछे गए थे। छह प्रश्नों का जवाब ना में मिला। अधूरी तैयारी को अक्टूबर के पहले हफ्ते तक पूरा करने का निर्देश दिया गया। नेताओं को पूरे प्रदेश को 13 हिस्सों में बांटकर तैयारी पूरी करने की जिम्मेवारी सौंपी गई है।
पार्टी के पांच वरिष्ठ नेताओं को यह जिम्मेवारी दी गई है। इन नेताओं में बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री ऋतुराज सिन्हा को मगध शाहाबाद, पूर्व राष्ट्रीय मंत्री महेंद्र सिंह को मिथिला व तिरहुत, राष्ट्रीय मंत्री अरविंद मेनन को चंपारण और सारण, राज्यसभा सांसद प्रदीप वर्मा को भागलपुर, कोसी और पूर्णियां तथा असीम गोयल को पटना, मुंगेर, बेगुसराय और नालंदा में चुनाव प्रबंधन की जिम्मेवारी सौंपी गई है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि अमित शाह के दो दिवसीय कार्यक्रम से अबतक जो चीजें बेपटरी थी वह पटरी पर आ जाएंगी। कार्यकर्ताओं और नेताओं में भी नए ऊर्जा का संचार होगा। पार्टी का काम फिर से दौड़ने लगेगा।