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'तेजस्वी मनु और सामंतवादी', ओवैसी की पार्टी ने क्या-क्या आरोप लगाया?

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी और ओवैसी की पार्टी के बीच सियासी घमासान शुरू हो चुका है। अख्तरूल ईमान ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधा। उन्हें मनु और सामंतवादी बताया। गठबंधन में जगह न मिलने से ओवैसी की पार्टी तेजस्वी से खफा है।

Tejashwi Yadav and Asaduddin Owaisi.

असदुद्दीन ओवैसी और तेजस्वी यादव। (AI Generated Image)

संजय सिंह, पटना। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान का आरोप है कि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के कारण ही उनकी पार्टी को महागठबंधन में जगह नहीं मिली। यह काम सोची-समझी साजिश के तहत किया गया। उन्होंने लालू यादव और तेजस्वी यादव की सोच में जमीन-आसमान का अंतर बताया। ईमान का कहना है, 'लालू यादव सामाजिक न्याय के पुरोधा थे। तेजस्वी यादव अल्पसंख्यकों को पिछलग्गू समझते हैं। उनकी सोच सामंतवादी और मनुवादी है। तेजस्वी को चापलूस लोग ज्यादा पसंद हैं।'

 

राजद का कहना है कि अख्तरुल ईमान के आरोप निराधार हैं। वह अपने  परसेप्शन को छिपाने की खातिर ऐसी बातें करते हैं। मुस्लिम समाज को जितना सम्मान महागठबंधन में मिलता है, उतना और कहीं नहीं। यही कारण है कि चुनाव के पहले से ही अल्पसंख्यकों का साथ महागठबंधन को मिल रहा है।

 

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सियासी अखाड़ा बनेगा सीमाचंल

बिहार के सीमाचंल में ओवैसी की पार्टी की मजबूत पकड़ है। अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण कांग्रेस और राजद की नजर यहां टिकी है। 2020 के चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने पांच विधानसभा सीटों पर जीत का परचम लहराया था। अच्छे अच्छे राजनीतिक पंडितों का पूर्वानुमान धराशायी हो गया था। चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस और राजद को भी डर सताने लगा कि ओवैसी की पार्टी सीमांचल में अपनी जमीन मजबूत न कर ले। हालांकि कुछ दिनों बाद ओवैसी की पार्टी के चार विधायक राजद में शामिल हो गए।

सीमांचल पर ओवैसी की निगाह

पार्टी विधायकों के साथ छोड़ने को ओवैसी ने हल्के में नहीं लिया। उन्होंने सीमांचल में कई जगहों पर सभा आयोजित की और जनता से ऐसे गद्दारों को सबक सिखाने की अपील की। ओवैसी चाहते थे कि महागठबंधन से तालमेल हो जाए, लेकिन कांग्रेस और राजद ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। अल्पसंख्यक वोट बैंक में बंटवारा हो यह राजद को स्वीकार नहीं है। सीमांचल के चार जिले पूर्णियां, किशनगंज, कटिहार और अररिया में मुस्लिमों की आबादी 68 से 43 प्रतिशत है। इनका एकमुश्त वोट जिसे मिलेगा, उसी का परचम लहराएगा।

 

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सभी बिछाने लगे अपनी-अपनी बिसात

पिछले चुनाव में एआईएमआईएम के पांच जीते विधायकों में से चार को राजद ने झटक लिया। पार्टी के बचे एक मात्र विधायक अख्तरुल ईमान प्रदेश अध्यक्ष हैं। इस उलटफेर से सीमांचल में ओवैसी को झटका लगा है। इस बीच राहुल गांधी ने यहां दो बार यात्रा की, ताकि उनके वोट बैंक में कुछ सेंध लगाई जा सके। तेजस्वी यादव भी सभा कर चुके हैं। चुनावी तालमेल के बिना ओवैसी और महागठबंधन के नेता अगर अलग-अलग प्रत्याशी खड़े करते हैं तो सीमांचल का राजनीतिक समीकरण बिगड़ सकता है। एनडीए इस समीकरण को बिगाड़ना भी चाहेगी।

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