logo

ट्रेंडिंग:

बिहार विधानसभा चुनाव: किसके दम पर 20 सीटें मांग रहे जीतन राम मांझी?

हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी ने कहा है कि वह एनडीए गठबंधन में 15 से 20 सीटें चाहते हैं। उन्हें शर्मिंदगी महसूस होती है कि उनकी पार्टी के पास आज भी अनुबंधित पार्टी का दर्जा है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह एनडीए छोड़ देंगे।

Jitan Ram Manjhi

जीतन राम मांझी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार। (AI Generated Image, Photo Credit: Sora)

हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के संस्थापक जीतन राम मांजी, बिहार में 15 से 20 विधानसभा सीटें चाहते हैं। पूर्णिया में भले ही वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जनसभा में नजर आए हों, ठीक एक दिन पहले, शनिवार को उन्होंने दावा किया कि अगर उन्हें 15 से 20 सीटें नहीं दी गईं तो वह 100 सीटों पर अपने उम्मीदावार उतार देंगे। अभी वह राज्य और केंद्र में एनडीए सरकार के साथ हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक से उनकी खूब बनती है। प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब रविवार को पूर्णिया गए थे, तब वहां भी जीतन राम मांझी साथ नजर आए थे।
 

जीतन राम मांझी नरेंद्र मोदी सरकार में कद्दावर मंत्री हैं। उनके पास केंद्र सरकार में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय है। उनकी गिनती, दबदबे वाले मंत्रियों में होती है। जीवन के 8वें दशक में हैं, सबसे उम्रदराज सक्रिय राजनेताओं में से एक हैं, अपनी पार्टी के 'पोस्टर बॉय' भी वही हैं। उन्होंने एनडीए गठबंधन में कम से कम 15 से 20 सीटें मांगी हैं। आखिर इस मांग की वजह क्या है, इसे समझते हैं-

जीतन राम मांझी ने कहा, 'अगर हमको हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर अधिकृत करता है तो हम जरूर फैसला लेंगे। फैसला में एक ही चीज है कि हम चाहते हैं कि हमारा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर हर हालत में मान्यता प्राप्त कर ले। मान्यता प्राप्त करने के लिए हमको 8 सीट विधानसभा चुनाव में चाहिए। कुल मतदान का 6 प्रतिशत वोट चाहिए।'

यह भी पढ़ें: NDA में BJP पर बढ़ रहा दबाव! पारस के बाद मांझी ने दिया झटका


जीतन राम मांझी, अध्यक्ष, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा:-
8 सीट लाने के लिए हमको 20 सीट मिलनी चाहिए, सब सीट जीत तो नहीं जाएंगे। अगर 60 प्रतिशत स्कोरिंग सीट माना जाएगा तो भी 15 सीट की बात आती है तो ऐसे में 8 सीट जीत जाएंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तो दूसरा यह है कि हम भी 100 सीट पर चुनाव लड़ेंगे। हर जगह हमारा 10-15 हजार वोटर है। जीतकर 6 प्रतिशत वोट ले आएंगे और मान्यता प्राप्त कर लेंगे। हमारी पार्टी अब 10 वर्ष की हो गई है। अब हम निबंधित पार्टी होने पर अपने को अपमानित समझते हैं, इसलिए इस बार करो या मरो का मुद्दा है। विधानसभावार हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के कार्यकर्ता हैं। जीतन राम मांझी का धरातल क्या है, उनको आभास है।

2020 का ट्रैक रिकॉर्ड क्या था?

साल 2020 का विधानसभा  चुनाव। हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के 4 विधायक जीते। एनडीए के सीट शेयरिंग फॉर्मूले में सिर्फ 7 सीटें मिलीं। 4 सीटों पर जीत मिली। 0.9% प्रतिशत वोट हासिल हुए। बाराचट्टी विधानसभा से ज्योति देवी जीतीं, इमामगंज से जीतनराम मांझी खुद उतरे। सिकंदरा से प्रफुल कुमार मांझी और टिकरी से अनिल कुमार को जीत मिली थी। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में जीतन राम मांझी लोकसभा चुनाव में उतरे। उन्हें जीत मिली और केंद्र में मंत्री बने। इस सीट पर उपचुनाव कराए गए, जिसमें दीपा मांझी विजयी हुईं। वह जीतन राम मांझी की सगी बहू हैं। 

2024 में क्या हुआ था?

साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी उत्साहित थी। अबकी बार 400 पार का नारा पार्टी दे रही थी। जीतन राम मांझी 5 सीट मांग रहे थे। एनडीए ने उनकी मांग ही नहीं मानी। सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा। वह खुद चुनावी मैदान में उतरे। 4 विधायक, एक सासंद होने के दम पर वह केंद्र में मंत्री बन गए। अब उनके हौसले बुलंद है। वह 15 से 20 सीटें चाहते हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह स्वतंत्र चुनाव लड़ने की बात कह चुके हैं। 

यह भी पढ़ें: मांझी को ज्यादा सीटों की चाह, कहा- चिराग मेच्योर नहीं हैं

किसके दम पर 20 सीटें मांग रहे हैं जीतन राम मांझी?

जीतन राम मांझी, बिहार की सियासत में महादलित या अति दलित कहे जाने वाले समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह खुद मुसहर समाज से आते हैं। महादलित वह वर्ग है, जिसे बिहार सरकार ने दलितों में सबसे अधिक सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित जातियों के लिए बनाया था। बिहार में महादलित श्रेणी में मुसहर, भुइयां, डोम, मेहतर जैसी जातियां शामिल हैं। बिहार में मुसहर समुदाय की आबादी करीब 3.0872 प्रतिशत है। जीतन राम मांझी के समर्थन में गैर ओबीसी जातियों का भी एक बड़ा हिस्सा है। बिहार में दलित आबादी 19 प्रतिशत से ज्यादा है। जीतन राम मांझी, दलित समुदाय के बड़े चेहरे हैं।

किन जिलों में जीतन राम मांझी की पकड़ है?

गया, औरंगाबाद, जहानाबाद और कोसी में महादलित समुदाय की संख्या ज्यादा है। गया जिले में HAM की मजबूत पकड़ है। यहीं से जीतन राम मांझी ने 2024 का लोकसभा चुनाव जीता। विधानसभा सीटों में इमामगंज, बाराचट्टी, बोधगया, शेरघाटी, बेलागंज, और वजीरगंज में दलित वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। मुसहर समाज की संख्या ज्यादा है। जहानाबाद में मखदुमपुर और औरंगाबाद में कुटुंबा सीट पर HAM ने 2020 में उम्मीदवार उतारे, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। पूर्णिया की कसबा सीट पर भी दलित आबादी की मौजूदगी है, पर HAM को जीत नहीं मिलीं।  


साल 2020 के विधानसभा चुनाव में HAM ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा और 4 सीटों पर जीत हासिल की। इन सीटों पर इमामगंज, बाराचट्टी, टेकारी जैसी सीटें शामिल हैं। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में HAM को गया सीट मिली। यहां से जीतन राम मांझी जीते। अब जीतन राम मांझी ने अपने इसी वोट बैंक के भरोसे 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए 15 से 20 सीटों की मांग की है।

यह भी पढ़ें; '15-20 सीटें नहीं मिलीं तो 100 पर लड़ेंगे चुनाव', मांझी ने दिखाए तेवर

किस स्टेटस से तंग आ गए हैं जीतन राम मांझी?

जीतन राम मांझी, अध्यक्ष, जीतन राम मांझी:-
हमारी पार्टी अब 10 वर्ष की हो गई है। अब हम निबंधित पार्टी होने पर अपने को अपमानित समझते हैं, इसलिए इस बार करो या मरो का मुद्दा है। विधानसभावार हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के कार्यकर्ता हैं। जीतन राम मांझी का धरातल क्या है, उनको आभास है।

निबंधित पार्टी क्या है?

चुनाव आयोग के मुताबिक निबंधित पार्टियां वे राजनीतिक दल हैं जो ECI के साथ रजिस्टर्ड हैं। ये पार्टियां लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत मान्यता प्राप्त करती हैं। पंजीकरण के लिए, दल को अपना संविधान, उद्देश्य, और संगठनात्मक ढांचा प्रस्तुत करना होता है। मान्यता के लिए, दल को चुनावों में न्यूनतम मत प्रतिशत या सीटें जीतनी होती हैं। इसके लिए दल को राज्य की विधानसभा में कम से कम 6% वैध वोट या 8 सीटें चाहिए। तभी मान्यता प्राप्त दल को स्थायी चुनाव चिह्न मिलेगा। जीतन राम मांझी, अपनी पार्टी के लिए इसी दर्जे की कवायद कर रहे हैं।  

 

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap