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बेटों को राजनीतिक विरासत सौंपने के लिए बेताब हैं नेताजी

आनंद मोहन से लेकर पप्पू यादव तक अपने बेटों को चुनावी मैदान में उतारने के लिए बेताब नजर आ रहे हैं।

Pappu Yadav

अश्विनी चौबे, लालू यादव और पप्पू यादव। (Photo Credit: Khabargaon)

संजय सिंह, पटना: इस बार का बिहार विधानसभा चुनाव तरुणाई की ओर करवट ले रहा है। युवा चेहरा के तौर पर तेजस्वी यादव और चिराग पासवान सामने हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुत्र निशांत कुमार का मामला फिलहाल टलता नजर आ रहा है, लेकिन अलग-अलग गठबंधनों के नेता स्वयं मार्गदर्शक की भूमिका में आकर अपने पुत्रों की लांचिंग के लिए ज्यादा व्याकुल हैं। आरजेडी ने तो पहले ही साफ कर दिया है कि पुराने और अनुभवी नेताओं को इस चुनाव की राजनीति से दूर रखा जाएगा। वे मार्गदर्शक की भूमिका में होंगे।

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव सक्रिय राजनीति से दूर हैं। गाहे बगाहे उनका बयान जरूर आता है। उन्होंने अपने राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का जिम्मा तेजस्वी यादव को सौंप दिया है। तेजस्वी अपनी क्षमता के अनुसार राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। वे इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि यदि इस चुनाव में उन्होंने अपने लिए जगह नहीं बनाया तो भविष्य में और परेशानी हो सकती है। 

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कोई सफल, कोई असफल

तेजस्वी बुजुर्ग नेताओं को साफ संकेत दे चुके हैं कि वे अब मार्गदर्शक की भूमिका में रहें। सक्रिय राजनीति से अपने को दूर रखें। पार्टी के बुजुर्ग नेता शिवानंद तिवारी और जगदानंद सिंह अपने अपने पुत्रों को राजनीति में लांच कर चुके हैं। कुछ बचे अन्य नेता अब अपने बेटा बेटियों और पुत्रवधुओं के लिए टिकट का जुगत बैठा रहे हैं। आरजेडी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश नारायण यादव भी तारापुर विधानसभा क्षेत्र से अपनी पुत्री को लांच कर चुके हैं पर उन्हें सफलता नहीं मिली।

पप्पू यादव से अश्विनी चौबे तक इस रेस में शामिल

बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे भी सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर चुके हैं। उनकी इच्छा है कि उनका पुत्र अर्जित चौबे सक्रिय राजनीति में आएं और विधानसभा का चुनाव लड़ें। वे अपने पुत्र को टिकट दिलाने के लिए एड़ी चोटी एक किए हुए हैं। पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव भी इस चुनाव में अपने पुत्र को लॉन्च करना चाहते हैं, लेकिन उनका विरोध आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी करते हैं।

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आनंद मोहन दूसरे बेटे को भी लॉन्च करने की तैयारी में 

पप्पू यादव ने संबंध सुधारने के लिए तेजस्वी को जननायक तक कह दिया, लेकिन बात बनते नहीं दिखती है। इधर कोसी के बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद और पुत्र चेतन आनंद क्रमशः सांसद और विधायक हैं, लेकिन आनंद मोहन इस बार दूसरे पुत्र को विधानसभा चुनाव लड़ाना चाहते हैं।

बेटियों को भी विरासत थमा रहे नेता

इस मामले में बेटियां भी पीछे नहीं हैं। लालू प्रसाद की बेटी मीसा भारती सांसद हैं। दूसरी बेटी रोहिणी आचार्या छपरा से चुनाव लड़ चुकी हैं। पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की पुत्री मीरा कुमार, राज्य सरकार के मंत्री अशोक चौधरी की पुत्री शांभवी चौधरी और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की पुत्री श्रेयसी सिंह जमुई से विधायक बनकर अपनी राजनीतिक विरासत को बढ़ा रही हैं। खानदानी और परिवारवादी राजनीति में लालू प्रसाद, रामबिलास पासवान और जीतनराम मांझी के परिवार का कोई जोर नहीं है।

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