बिहार के नालंदा जिले में पड़ने वाली बिहारशरीफ विधानसभा में कभी कांग्रेस तो कभी वामपंथी तो कभी दक्षिणपंथी पार्टियों का कब्जा रहा है। यही वह शहर है जिसके नाम पर राज्य का नाम 'बिहार' पड़ा। माना जाता है कि बिहारशरीफ की उत्पत्ति 'विहार' और 'शरीफ' से हुई है। विहार का मतलब मठ होता है, जिसके नाम पर ही राज्य का नाम बिहार पड़ा। वहीं, सूफी संत शेख मखदूम शर्फुद्दीन अहमद यहिया मनेरी के सम्मान में शरीफ जोड़ा गया। साल 1967 में इसका नाम बिहारशरीफ रखा गया था।
वैसे तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नालंदा जिले से ताल्लुक रखते हैं लेकिन इसके बावजूद बिहारशरीफ में उनकी पकड़ थोड़ी कमजोर मानी जाती है। जेडीयू इस सीट से अब तक 3 बार ही जीत सकी है। पिछली दो चुनाव से बीजेपी यहां से जीत रही है। हालांकि, जो उम्मीदवार यहां से जीत रहा है, वह पहले जेडीयू में ही था।
बिहारशरीफ में कभी कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था। साल 1967 के चुनाव में यह सिलसिला टूटा। इस सीट पर कांग्रेस आखिरी बार 1985 के चुनाव में जीती थी।
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मौजूदा समीकरण
नालंदा की बाकी विधानसभा सीटों पर कुर्मी समुदाय का प्रभाव है लेकिन बिहारशरीफ कोइरी बहुल क्षेत्र है। यहां पिछले 5 चुनाव से सुनील कुमार जीतते आ रहे हैं, जो कोइरी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। कोइरी के अलावा यहां मुस्लिम और यादव वोट भी निर्णायक भूमिका में हैं। हालांकि, यहां सुनील कुमार का अच्छा-खासा प्रभाव है और अगर इस बार भी उन्हें टिकट मिलता है तो उनके जीतने की संभावना ज्यादा है।
2020 में क्या हुआ था?
पिछले विधानसभा चुनाव में सुनील कुमार ने लगातार 5वीं बार यहां से जीत हासिल की थी। उन्होंने आरजेडी के सुनील कुमार को 15 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। बीजेपी के सुनील कुमार को 81,888 वोट तो आरजेडी के सुनील कुमार को 66,786 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार आफरीन सुल्ताना थीं, जिन्हें 13,443 वोट मिले थे।
विधायक का परिचय
बिहारशरीफ के मौजूदा विधायक सुनील कुमार का जन्म 20 जनवरी 1957 को हुआ था। उनके पास एमबीबीएस की डिग्री है। डॉक्टरी करने के बाद 1995 में वह राजनीति में आ गए थे।
2005 के चुनाव में जेडीयू ने उन्हें बिहारशरीफ से टिकट दी थी। यह उनका पहला चुनाव था। इसके बाद से बिहारशरीफ पर सुनील कुमार का ही कब्जा है।
डॉ. सुनील कुमार कभी नीतीश कुमार के करीबी माने जाते थे। 2013 में नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़ दिया था तो नाराज होकर सुनील कुमार बीजेपी में आ गए थे। इसके बाद 2015 और 2020 में सुनील कुमार ने बीजेपी के टिकट पर ही चुनाव लड़ा और जीता।
2020 के चुनाव में दाखिल हलफनामे में सुनील कुमार ने अपने पास 11.35 करोड़ रुपये की संपत्ति होने की जानकारी दी थी। इनके खिलाफ 7 क्रिमिनल केस दर्ज हैं।
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विधानसभा का इतिहास
बिहारशरीफ में अब तक 18 बार चुनाव हो चुके हैं। इनमें पांच बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है। इस सीट पर 4 बार सीपीआई भी जीत चुकी है।
- 1952: मोहम्मद अकील सईद (कांग्रेस)
- 1957: मोहम्मद अकील सईद (कांग्रेस)
- 1960: सैयद वसीउद्दीन अहमद (कांग्रेस)
- 1962: सैयह वसीउद्दीन अहमद (कांग्रेस)
- 1967: बीपी जवाहर (सीपीआई)
- 1969: बीपी जवाहर (सीपीआई)
- 1972: वीरेंद्र प्रसाद (जनसंघ)
- 1977: देव नाथ प्रसाद (सीपीआई)
- 1980: देव नाथ प्रसाद (सीपीआई)
- 1985: शकील उज्जमान अंसारी (कांग्रेस)
- 1990: देव नाथ प्रसाद (बीजेपी)
- 1995: देव नाथ प्रसाद (जनता दल)
- 2000: सैयद नौशाद उन नबी (आरजेडी)
- 2005: सुनील कुमार (जेडीयू)
- 2005: सुनील कुमार (जेडीयू)
- 2010: सुनील कुमार (जेडीयू)
- 2015: सुनील कुमार (बीजेपी)
- 2020: सुनील कुमार (बीजेपी)