संजय सिंह, पटना: बिहार के विधानसभा चुनाव में टिकट को लेकर सभी राजनीतिक दलों में हलचल तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में टिकट पाने वाले आवेदकों की संख्या ज्यादा है। टिकट की प्रतीक्षा में बैठे दावेदारों ने दो-चार बार से लगातार चुनाव जीत रहे नेताओं के खिलाफ भी अपनी दावेदारी ठोक दी है। टिकट के दावेदारों ने ब्लॉक प्रमुख, मुखिया, जिला अध्यक्ष और पार्टी संगठन में शामिल नेता हैं। दूसरे दल को छोड़कर आए लोगों को भी टिकट मिलने की पूरी उम्मीद है। कई विधानसभा सीटों पर तो 10 से 15 आवेदन डाले गए हैं।
कुछ बड़े ठिकेदार भी टिकट की चाहत में पटना और दिल्ली का दौरा कर रहे हैं। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी हर आवेदक के आवेदन की स्क्रीनिंग करेगी। इसके बाद आवेदकों का फीडबैक लिया जाएगा। उस क्षेत्र का जातीय समीकरण भी देखा जाएगा। इसके बाद संभावित प्रत्याशियों की छवि देखी जाएगी। सर्वे और आंतरिक रिपोर्ट के आधार पर प्रत्याशियों के नामों का चयन होगा। अंतिम निर्णय दिल्ली करेगी। टिकट के दावेदारों का आवेदन आ जाने के कारण पार्टी के शीर्ष नेताओं को परेशानी हो रही है। गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पूरे मामले पर नजर रख रहे हैं।
यह भी पढ़ें- 'बेरोजगार युवाओं को हर महीने 1 हजार रुपये,' नीतीश कुमार ने किया एलान
राज्य सरकार के मंत्री और बीजेपी के पुराने नेता संजय सरावगी के क्षेत्र में भी टिकट पाने वालों की होड़ मची हुई है। सरावगी पांच बार के विधायक हैं। क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता भी है। वह वैश्य समाज के बड़े नेता हैं। 2025 के चुनाव में उनके क्षेत्र से 11 लोगों ने टिकट के लिए दावेदारी पेश की है। भागलपुर विधानसभा क्षेत्र में अश्विनी चौबे विधायक रहे बाद में वह बक्सर से सांसद भी हुए। इस लोकसभा चुनाव में उनका टिकट कट गया। अब वह अपने पुत्र अर्जित चौबे को टिकट दिलाने के लिए परेशान हैं।
टेंशन में पुराने दिग्गज
पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन भागलपुर से सांसद रहे हैं। उन्हें भी भागलपुर से टिकट चाहिए। इसके अलावा, आधा दर्जन से अधिक दावेदारों ने टिकट की दावेदारी की है। नए दावेदारों की वजह से पुराने दिग्गजों को परेशानी हो रही है। कटिहार के विधायक और पूर्व उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद चार बार विधायक चुने जा चुके हैं। उन्होंने 2020 के चुनाव में आरजेडी प्रत्याशी को चुनाव में पराजित किया था। उनके विधानसभा क्षेत्र से भी 10 लोगों ने दावा पेश किया है। मुंगेर विधानसभा क्षेत्र में भी आधा दर्जन से ज्यादा लोगों ने टिकट के लिए अपना दावा पेश किया है। दावेदारों के चुनाव जीतने के अलग-अलग समीकरण भी हैं।
यह भी पढ़ें- किसके दम पर 20 सीटें मांग रहे जीतन राम मांझी?
राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी मुंगेर जिले के तारापुर विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं। उनके पिता शकुनी चौधरी और मां पार्वती देवी भी तारापुर से विधायक रह चुके हैं। वर्तमान में राजीव कुमार सिंह जनता दल (यूनाइटेड) के विधायक हैं। हैरानी की बात तो यह है कि इस सीट पर भी बीजेपी नेताओं की नजर है। आधे दर्जन लोगों ने इस सीट के लिए भी आवेदन दिया है। टिकट की दावेदारी के लिए जगह-जगह शक्ति परीक्षण भी हो रहा है।
आपस में भिड़े JDU-BJP कार्यकर्ता
सीवान के दारौंदा में एनडीए के विधानसभा स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की मौजूदगी में बीजेपी और जेडीयू कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए। दोनों दल के नेता अपने-अपने दल के पक्ष में नारेबाजी करने लगे। इस तरह की घटना औरंगाबाद में भी घटी। जमुई में भी चकाई के वर्तमान विधायक समित सिंह और पूर्व एमएलसी संजय प्रसाद के समर्थक आपस में भिड़ गए। किसी तरह मामले को शांत कराया गया।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि जिस तरह टिकट के लिए कार्यकर्ताओं में टिकट के लिए होड़ मची है। उससे लगता है कि पार्टी समर्थक काफी उत्साहित हैं लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि जो टिकट से वंचित रहेंगे वे अपनी पार्टी के खिलाफ षड्यंत्र करने से बाज नहीं आएंगे।