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बोधगया विधानसभा: RJD के सर्वजीत कुमार को टक्कर कौन देगा?

बिहार की बोधगया विधानसभा सीट से कुमार सर्वजीत विधायक हैं। यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। दो चुनावों से लगातार आरजेडी जीतती आ रही है।

Bodhgaya

बोधगया विधानसभा। (Photo Credit: Khabargaon)

बिहार के पौराणिक शहर गया जिले में 10 विधानसभा सीटें हैं। बौद्ध धर्म के सबसे अहम स्थलों में से एक इस जिले के अंतर्गत गरुआ, शेरघाटी, इमामगंज, बाराचट्टी, बोधगया, गया सिटी, टिकारी, बेलागंज, अतरी और वजीगंज विधानसभाएं आती हैं। इन विधानसभाओं में सबसे चर्चित विधानसभा बोधगया है। यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। विधानसभा की सीट संख्या 229 है। यह विधानसभा, गया लोकसभा सीट का हिस्सा है। यहां के सांसद केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी हैं। गया के विधायक कुमार सर्वजीत हैं, वह राष्ट्रीय जनता दल के नेता हैं।

गया का पौराणिक तौर पर जितना महत्व है, उतना ही ऐतिहासिक भी। यह वही शहर है,जिसे कुतुबुद्दीन ऐबक और बख्तियार खिलजी की सेनाओं ने तबाह कर दिया था, मंदिरों को खंडहर में बना दिया था। साल 1764 में बक्सर की लड़ाई के बाद गया अंग्रेजों के नियंत्रण में आ गया था। 1864 तक गया,रामगढ़ जिले का हिस्सा था। 1865 में इसे स्वतंत्र जिला बनाया गया। 1976 में गया से औरंगाबाद और नवादा जिले अलग किए गए। मई 1981 में बिहार सरकार ने गया, नवादा, औरंगाबाद और जहानाबाद जिलों को मिलाकर मगध डिवीजन बनाया।

बोधगया, बिहार के गया जिले में फाल्गु नदी के किनारे बसा है। बौद्ध ग्रंथों की मान्यता है कि यहीं पर 534 ईसा पूर्व भगवान बुद्ध को महाबोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान मिला था। भगवान बुद्ध के निर्वाण के 200 साल बाद सम्राट अशोक ने महाबोधि में बौद्ध मंदिर और मठों को बनाने के निर्देश दिए थे। इसे यूनेस्को को विश्व धरोहर में साल 2002 में शामिल किया गया।  

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विधानसभा का परिचय 

बोधगया विधानसभा सीट साल 1957 में अस्तित्व में आई थी। यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है। बोधगया में 35 फीसदी से ज्यादा आबादी अनुसूचित जाति से आती है। करीब 7.3 फीसदी आबादी मुस्लिम है। यह कभी विकसित शहर था, अब विधानसभा का अधिकांश हिस्सा ग्रामीण है। बोधगया की 90 फीसदी से ज्यादा आबादी ग्रामीण है। शहरी मतदाता करीब 7 फीसदी हैं। बोधगया में कुल 324068 वोटर हैं। पुरुष मतदाताओं की संख्या 168732 है और महिला मतदाताओं की संख्या 155331 है। 5 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं। 

 

विधानसभा के मुद्दे?

बोधगया में पलायन सबसे बड़ी समस्या है। यहां सड़क, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है। यहां रोजगार के अवसरों की कमी है, पलायन और भ्रष्टाचार भी बड़ा मुद्दा है। यहां के बौद्ध मठ में हिंदू पुजारियों के दखल से एक बड़ा वर्ग नाराज रहता है, जिसके लिए महीनों से आंदोलन भी चल रहा है। महाबोधि मंदिर कॉरिडोर के विकास के लिए स्थानीय व्यापारियों की उपेक्षा के आरोप भी लगते हैं।  

 

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विधायक का परिचय

बोधगया के विधायक कुमार सर्वजित हैं। 3 अप्रैल 1975 को जन्मे सर्वजीत, बीटेक इंजीनयर रहे हैं। वह राष्ट्रीय जनता दल के बड़े नेताओं में शुमार हैं। वह बोधगया से लगातार दो बार चुने गए हैं। साल 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में उन्हें जीत मिली। वह पासवान समुदाय से आते हैं। यह दलितों की सबसे मजबूत जाति मानी जाती है।

सर्वजीत कुमार का जन्म गया जिले के चहल मुंडेरा में हुआ था। वह पूर्व सांसद सांसद राजेश कुमार के बेटे हैं। 2004 में उन्होंने सीमा कुमारी से शादी की और उनके दो बेटे हैं। उन्होंने पटना के सेंट एमजी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की है। साल 2001 में रांची के बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।

2005 में अपने पिता की हत्या के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा। 2009 में लोक जनशक्ति पार्टी से बोधगया उपचुनाव जीतकर वह पहली बार विधायक बने। 2010 में वे BJP के श्यामदेव पासवान से हार गए, लेकिन 2015 और 2020 में RJD के टिकट पर महागठबंधन के तहत फिर से जीत हासिल की। वह बिहार की राजनीति में चर्चित हैं। उन्होंने अपनी संपत्ति 6 करोड़ 29 लाख से ज्यादा घोषित की है। उनकी पत्नी उद्यमी हैं। 

2020 का चुनाव कैसा था?

2020 के बोधगया विधानसभा चुनाव में 3,15,397 वोटरों में से 1,93,434 लोगों ने वोट किया था। 61.33 फीसदी वोट पड़े थे। RJD के कुमार सर्वजीत को कुल 80,926 वोट पड़े थे। उन्होंने BJP के हरि मांझी को 76,218 वोट मिले। जीत का अंतर 4,708 वोट रहा। RLSP के अजय पासवान को 9,311 वोट और अन्य छोटी पार्टियों व निर्दलीयों को 1-2% वोट मिले। NOTA को 2,500 वोट मिले।

2025 में क्या समीकरण बन रहे हैं?

बोधगया पर एनडीए नेता जीतन राम मांझी की मजबूत पकड़ है। 2024 के लोकसभा में चुनाव में उन्हें जीत मिली थी। अब उनकी इस सीट पर एनडीए को बढ़त मिली है। आरजेडी एक बार फिर सर्वजीत कुमार पर भरोसा जता सकती है। एनडीए में अभी इस सीट को लेकर बात तय नहीं हुई है।

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विधानसभा सीट का इतिहास

यह विधानसभा सीट साल 1957 में अस्तित्व में आई थी। यहां अब तक 18 विधानसभा चुनाव-उपचुनाव हो चुके हैं। साल 2015 और 2020 के चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल ने जीत हासिल की। आरजेडी 5 बार यहां से चुनाव जीत चुकी है। बीजेपी और कांग्रेस ने 2-2 बार जीत हासिल की है। निर्दलीय उम्मीदवार भी यहां से जीते हैं। 

  • 1957 विधानसभा चुनाव: शांति देवी, कांग्रेस
  • 1962 विधानसभा चुनाव: कुलदीप महतो, स्वतंत्र पार्टी
  • 1967 विधानसभा चुनाव: रमेश्वर मांझी, कांग्रेस
  • 1969 विधानसभा चुनाव: काली राम, जनसंघ
  • 1972 विधानसभा चुनाव: बालिक राम, CPI
  • 1977 विधानसभा चुनाव: राजेश कुमार, जनता पार्टी
  • 1980 विधानसभा चुनाव: बालिक राम, CPI
  • 1985 विधानसभा चुनाव: राजेश कुमार, लोकदल
  • 1990 विधानसभा चुनाव: बालिक राम, CPI
  • 1995 विधानसभा चुनाव: मालती देवी, निर्दलीय
  • 1998 उपचुनाव: जी. एस. रामचंद्र दास, RJD
  • 2000 विधानसभा चुनाव: जीतन राम मांझी, RJD
  • 2005 (फरवरी) विधानसभा चुनाव: फूलचंद मांझी, RJD
  • 2005 (अक्टूबर) विधानसभा चुनाव: हरि मांझी, BJP
  • 2009 उपचुनाव: कुमार सर्वजीत, LJP
  • 2010 विधानसभा चुनाव: श्यामदेव पासवान, BJP
  • 2015 विधानसभा चुनाव: कुमार सर्वजीत, RJD
  • 2020 विधानसभा चुनाव: कुमार सर्वजीत, RJD

कब हैं चुनाव?

बोधगया में दूसरे चरण के तहत वोटिंग होगी। पहले चरण के तहत 6 नवंबर को वोटिंग होगी। बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर 2 चरणों में चुनाव होगा। पहले 121 सीटों पर 6 नवंबर को वोटिंग होगी, वहीं 122 विधानसभाओं पर दूसरे चरण के तहत 11 नवंबर को वोटिंग होगी।

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