दिल्ली में 5 फरवरी को वोटिंग है जिसको देखते हुए इस बार पोलिंग बूथों की कलर कोडिंग की जाएगी। इससे वोटर्स को अपने निर्धारित बूथों को खोजने में कोई कठिनाई नहीं होगी। इसके अलावा मतदान केंद्रों की आसानी से पहचान करने में मदद करने के लिए वोटर इंफॉर्मेशन स्लिप (VIS) भी कलर कोडेड में जारी किया जाएगा।
आमतौर पर, एक ही स्थान पर कई मतदान केंद्र बनाए जाते हैं जिसके कारण मतदाताओं को अपना पोलिंग स्टेशन खोजने में कठिनाई होती है। इस नई सुविधा से वोटर्स को दिक्कत नहीं होगी। उत्तर पश्चिम दिल्ली जिले की टीम ने ऐसी कलर कोड वाले वीआईएस बांटने शुरू कर दिए हैं। जिले की निर्वाचन अधिकारी अंकिता आनंद ने बताया कि कलर कोडिंग के अलावा वोटर पर्ची में और भी जानकारियां शामिल होंगी जिससे किसी भी वोटर को अपने बूथ के बारे में आसानी से जानकारी मिल जाएगी।
नए ऐप के जरिए भी वोटर्स को होगी आसानी
अंकिता ने बताया कि 'इस बार हम एक नया एप्लीकेशन भी लाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके माध्यम से वोटर्स मतदान केंद्र पर जाने की योजना बना सकते हैं।' यह ऐप पोलिंग बूथ पर लगी लंबी कतारों के बारे में अपडेट करता रहेगा जिससे वोर्टस अपने इच्छानुसार वोट करने आ सकते हैं। यह ऐप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर सभी जानकारियां उपलब्ध कराएगा।
बता दें कि चुनाव अधिकारियों ने वोटर इंफॉर्मेशन स्लिप को हर घर तक पहुंचना शुरू कर दिया है। इस स्लिप में मतदाता का नाम, मतदान केंद्र समेत आवश्यक जानकारी शामिल होगी।इससे नागरिकों को अपने मतदान केंद्र खोजने और बिना किसी परेशानी के मतदान करने में आसानी होगी।
पोलिंग बूथ स्टेशन के अंदर कई बूथ
बता दें कि अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में वोटर्स की संख्या को देखते हुए कई बड़े पोलिंग बूथ स्टेशन बनाए जाते है। एक पोलिंग बूथ में 7 से 8 बूथ होते है। इसकी संख्या 10 से 18 तक होती है। पोलिंग बूथ अधिक होने से वोटर्स जब वोट डालने के लिए पोलिंग स्टेशनों के अंदर जाते हैं तो उन्हें अक्सर दुविधा होने लगती है और हाथ में पर्ची लिए इधर से उधर भटकते रहते हैं। वैसे तो पोलिंग स्टेशन के अंदर जितने भी बूथ बनाए जाते हैं उनके बाहर बूथ नंबर लिखा होता है। अब पोलिंग स्टेशन पर जितने भी बूथ होंगे, हर किसी बूथ का अलग-अलग नंबर और कलर होगा।
कैसे होगी प्रक्रिया
पोलिंग स्टेशन के अंदर घुसते ही उस इलाके के बीएलओ बैठे रहेंगे। अधिकारी वोटर्स को पोलिंग बूथ नंबर के साथ-साथ उसका कलर भी बताएंगे। हर बूथ को कलर से कोड किया गया जाएगा। इसके अलावा वोटर्स के हाथ में जो स्लिप होगी वो भी कलर वाली मिलेगी। उदाहरण के लिए, अगर आपकी वीआईएस पर नीला रंग है, तो आपका मतदान केंद्र भी नीले रंग का होगा। इस रंग कोडिंग सिस्टम का उद्देश्य मतदाताओं को अपने मतदान केंद्र तक पहुंचने में आसानी होगी, जिससे उन्हें किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
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कलर-कोडेड वोटर इंफॉर्मेशन स्लिप एक नई पहल
दिल्ली चुनाव में कलर-कोडेड वोटर इंफॉर्मेशन स्लिप एक नई पहल है जिससे वोटर्स अपने पोलिंग बूथ (मतदान केंद्र) को पहचान सकें और मतदान के दिन किसी भी असुविधा से बचें।
मतदान केंद्र के अनुसार कलर कोडिंग
हर एक मतदान केंद्र को अलग-अलग रंग से कलर किया गया है और मतदाता की वोटर इंफॉर्मेशन स्लिप पर उसी मतदान केंद्र का रंग होगा।
उदाहरण:
नीला रंग = एक विशेष एरिया के पोलिंग बूथ।
गुलाबी रंग = किसी दूसरे एरिया के पोलिंग बूथ।
हरा या पीला = अन्य स्थानों के बूथ।
आसान पहचान
मतदाता अपनी स्लिप पर दिए गए रंग को देखकर उसी रंग से चिह्नित बूथ को तुरंत पहचान सकते हैं। यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो पहली बार मतदान कर रहे हैं। यह पहल पहली बार दिल्ली चुनाव में लागू की गई है ताकि मतदान प्रक्रिया को और सरल और प्रभावी बनाया जा सके।
कलर-कोडेड वोटर स्लिप वितरण
चुनाव से पहले वितरण:
चुनाव आयोग के बूथ-लेवल अधिकारी (BLO) इसे घर-घर जाकर वितरित करेंगे।
ऑनलाइन उपलब्धता:
मतदाता इसे चुनाव आयोग की वेबसाइट (ceodelhi.gov.in) से डाउनलोड कर सकते हैं।