दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। देश की सबसे पुरानी पार्टी इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनाव में कुल 70 सीटों में से केवल तीन सीटों पर ही अपनी जमानत बचा पाई है। हालांकि, कांग्रेस के वोट शेयर में 2.1 प्रतिशत का मामूली सुधार हुआ है।
कांग्रेस के जो तीन उम्मीदवार दिल्ली में अपनी जमानत बचाने में सफल हुए उनमें प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव, कस्तूरबा नगर विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेत दत्त और नांगलोई सीट से कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव रोहित चौधरी हैं। वहीं, संदीप दिक्षित, अलका लांबा, कृष्णा तीरख, मुदित अग्रवाल, हारुन यूसुफ और राजेश लिलोठिया ऐसे नेता रहे जो अपनी जमानत बचाने में विफल रहे।
ऐसे में पहले समझते है कि आखिर जमानत जब्त का मतलब क्या होता है और इसका क्या प्रभाव पड़ता है?
जमानत जब्त (Forfeiture of Deposit)
जब कोई उम्मीदवार किसी चुनाव में खड़ा होता है, तो उसे नामांकन दाखिल करते समय एक सुरक्षित राशि (security deposit) जमा करनी होती है। अगर उम्मीदवार को कुल वैध मतों का एक निर्धारित न्यूनतम प्रतिशत नहीं मिलता, तो उसकी यह जमा राशि जब्त कर ली जाती है। इसे ही 'जमानत जब्त होना' कहते हैं।
भारत में जमानत जब्त के नियम
भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में जमानत बचाने के लिए उम्मीदवार को कुल पड़े वैध मतों का कम से कम 16.67% (छठा भाग) वोट प्राप्त करना होता है। अगर उम्मीदवार इससे कम वोट प्राप्त करता है, तो उसकी जमानत राशि जब्त कर ली जाती है।
जमानत राशि कितनी होती है?
लोकसभा चुनाव:
सामान्य उम्मीदवार: 25,000 रुपये
अनुसूचित जाति/जनजाति के उम्मीदवार: 12,500 रुपये
विधानसभा चुनाव:
सामान्य उम्मीदवार: 10,000 रुपये
अनुसूचित जाति/जनजाति के उम्मीदवार: 5,000 रुपये
जमानत जब्त होने के प्रभाव
इससे उम्मीदवार और उसकी पार्टी की लोकप्रियता कम होने लगती है।
जमा की गई राशि वापस नहीं मिलती।
यह दर्शाता है कि उम्मीदवार को क्षेत्र में समर्थन नहीं मिला।
अगर कोई उम्मीदवार अपनी जमानत बचाने में सफल होता है, तो उसकी जमा राशि चुनाव के बाद वापस कर दी जाती है।
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कितना महंगा पड़ा कांग्रेस के लिए यह चुनाव?
भारतीय निर्वाचन आयोग के नियमों के अनुसार, विधानसभा चुनाव के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को 10,000 और अनुसूचित जाति/जनजाति के उम्मीदवारों को 5,000 रुपये की जमानत राशि जमा करनी होती है। जमानत जब्त होने का मतलब है कि उम्मीदवार को कुल वैध मतों का 16.67% (छठा हिस्सा) प्राप्त नहीं हुआ।
ऐसे में मान लें कि कांग्रेस के सभी 67 उम्मीदवार सामान्य वर्ग से थे, तो कुल जमानत राशि 6,70,000 रुपये (10,000 × 67) होगी। हालांकि, अगर इनमें अनुसूचित जाति/जनजाति के उम्मीदवार भी शामिल थे, तो यह राशि कम हो सकती है। इस प्रकार, कांग्रेस के इन 67 उम्मीदवारों की जमानत राशि के रूप में लगभग 6.7 लाख रुपये डूब गए। इसके अलावा चुनाव प्रचार, रैलियां, विज्ञापन आदि में हुए खर्चों को जोड़ें तो कांग्रेस पार्टी को वित्तीय रूप से और भी अधिक नुकसान हुआ होगा।