दिल्ली में ऑटोवालों की कितनी अहमियत? आंकड़ों से समझें
चुनाव
• NEW DELHI 16 Dec 2024, (अपडेटेड 16 Dec 2024, 3:41 PM IST)
दिल्ली में ऑटो रिक्शा चालक वो वोटर है, जिसके वोट से राजधानी के चुनावी नतीजे प्रभावित हो सकते हैं। यही वजह है कि दिल्ली में अब 'ऑटो पॉलिटिक्स' शुरू हो गई है।
दिल्ली की एक सड़क पर खड़े ऑटो। सोर्स- 'खबरगांव'
राजनीति में हर कदम के पीछे बहुत बड़े मायने छिपे होते हैं। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनाव का प्रचार करते हुए ऑटो रिक्शा चालकों से मिले। उन्होंने सबसे पहले ऑटो रिक्शा चालकों को अपने घर बुलाया, इसके बाद केजरीवाल अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल के साथ कोंडली विधानसभा में एक ऑटो रिक्शा चालक के घर गए। पूर्व सीएम चालक के परिवार से मिले और उसके घर खाना खाया।
अरविंद केजरीवाल यहीं नहीं रूके उनकी सरकार ने दिल्ली के ऑटो रिक्शा चालकों के लिए एक के बाद एक 5 बड़े चुनावी वादे कर दिए हैं। ऑटो रिक्शा ड्राइवरों से बातचीत करने के बाद अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया है कि ऑटो रिक्शा चालकों को साल भर में दो बार 2500 रुपये नई वर्दी के लिए दिए जाएंगे, उनकी बेटियों की शादी में 1 लाख रुपये की मदद दी जाएगी और हर ऑटो ड्राइवर को 10 लाख तक का जीवन बीमा दिया जाएगा।
चालकों के परिवारों को रिझाने की कोशिश
इस तरह से अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी AAP ने दिल्ली के लाखों ऑटो चालकों और उनके परिवारों को रिझाने की कोशिश की है। हालांकि, अरविंद केजरीवाल पहले भी कहते रहे हैं कि ऑटो वाले उनके पुराने साथी हैं और वह हमेशा उनके लिए काम करते रहेंगे। माना जा रहा है कि ऑटो चालकों के लिए लाई गई ये योजनाएं आम आदमी पार्टी के लिए फायदे का सौदा हो सकती हैं।
केजरीवाल-बीजेपी की नजर चालक वोटर पर
अरविंद केजरीवाल हो या बीजेपी सबकी नजर उस वोटर पर है। दिल्ली में ऑटो रिक्शा चालक वो वोटर है, जिसके वोट से राजधानी के चुनावी नतीजे प्रभावित हो सकते हैं। यही वजह है कि दिल्ली में अब 'ऑटो पॉलिटिक्स' शुरू हो गई है। ऑटोवालों को लुभाने के लिए अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने जैसे ही बड़े ऐलान किए पीछे से बीजेपी भी ऑटोवालों को लुभाने के लिए उसके पीछे-पीछे दौड़ रही है।
कितने महत्वपूर्ण हैं ऑटोवाले?
अब सवाल है कि आखिर ऑटोवालों के पीछे आम आदमी पार्टी और बीजेपी क्यों पड़ी हैं? दिल्ली की सियासत में ऑटोवालों की भूमिका कितनी बड़ी है, क्या चुनाव को प्रभावित करने का ये ऑटोवाले माद्दा रखते हैं? दिल्ली में 93 हजार ऑटो रजिस्टर्ड हैं। इन ऑटो की 10 बड़ी यूनियन हैं। हालांकि, ऑटो यूनियनों में सभी का झुकाव अलग-अलग पार्टियों की तरफ है। इस तरह से 93 हजार ऑटो वालों के परिवार में लाखों वयस्क वोटर हैं। इसके मुताबिक एक अनुमान है कि दिल्ली में ऑटों चालकों के लगभग पौनें चार लाख वोट हैं। आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस इसलिए इन ऑटोवालों को रिझाने की कोशिश कर रही हैं।
अब आम आदमी पार्टी की तरह दिल्ली बीजेपी चीफ वीरेंद्र सचदेवा ने हजरत निजामुद्दीन स्टेशन पहुंचकर ऑटोवालों के साथ चाय पर चर्चा की। सचदेवा ने इस दौरान ऑटो वालों को बताया कि अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने आए थे और उनकी सरकार में सबसे अधिक भ्रष्टाचार हो रहा है।
राजधानी के ऑटोवालों के लिए भले ही अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी की सरकार लोकलुभावन योजनाएं लेकर आ रही है लेकिन दिल्ली की ज्यादातर ऑटो यूनियन आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल से नाराज चल रही हैं। यूनियनों का मानना है कि 'आप' भले ही अभी उनके लिए घोषणाएं कर रही है लेकिन बाद में सरकार उन्हें भूल जाती है। यूनियन के बरअक्स जाएं तो आम ऑटो चालकों के बीच केजरीवाल के लिए नाराजगी नहीं दिखाई देती।
केजरीवाल ऑटोवालों को भूल गए!
ट्रांस्पोर्ट ऑटो टैक्सी संघ से जुड़े विजय उपाध्याय ने 'खबरगांव' से बातचीत में बीजेपी की तरफ झुकाव दिखाते हुए कहा, 'सभी ऑटो-टैक्सी यूनियन बीजेपी का समर्थन कर रही हैं। जब से अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सत्ता में आए हैं तब से वह ऑटोवालों को भूल गए हैं। उनकी सरकार में ओला,उबर और रैपिडो जैसी प्राइवेट कंपनियां मनमानी कर रही हैं। इन कंपनियों पर कोई पाबंदी नहीं है, जिससे ऑटोवालों की कमाई पर असर पड़ा है।'
विजय उपाध्याय ने कहा, 'प्राइवेट कंपनियां किराया अपना हिसाब से तय कर रही हैं। इनकी वजह से सभी ऑटोवालों की कमाई कम हो गई है। टैक्सी वाले सड़कों पर आ गए हैं। दिल्ली सरकार ठीक से किराया निश्चित नहीं कर रही है।' उपाध्याय का आगे कहना है कि केजरीवाल ने दिल्ली में महिलाओं के लिए बस फ्री कर दी है जिससे महिलाएं बसों में सफर करती हैं। इसकी वजह से महिलाएं ऑटो में कम बैठती हैं, जिसका असर ऑटोवालों की कमाई घट गई है।
केजरीवाल के लिए क्या बोले ऑटो चालक?
हालांकि, पिछले दिनों पूर्व सीएम केजरीवाल के साथ मुलाकात करने के बाद दिल्ली की सड़कों पर साल 2002 से ऑटो चलाने वाले ब्रजेश ठाकुर ने कहा था कि पहले ऑटोवालों की बहुत सारी समस्याएं थीं। लेकिन हमारी ज्यादातर समस्याओं का समाधान हो गया है। वहीं, एक दूसरे चालक ने कहा कि हमारा केजरीवाल के साथ परिवार की तरह नाता है। हम लोग हमेशा मिलते रहते हैं, बल्कि समस्या होने पर बीच में भी आ जाते हैं। जो सम्मान दिल्ली सरकार और अरविंद केजरीवाल ने ऑटोवालों दिया है उसके लिए उनका तहे दिल से धन्यवाद करते हैं। हमें कभी नहीं लगा कि केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं।
'हम केजरीवाल से नाराज नहीं थे'
एक और ऑटो चालक ने कहा, 'अरविंद केजरीवाल से हमारा दिल का रिश्ता है। आज तक किसी भी मुख्यमंत्री ने हमें चाय पर नहीं बुलाया, जबकि इससे पहले भी दिल्ली में कई मुख्यमंत्री हुए हैं। लोग अपने गेट पर नहीं जाने देते हैं लेकिन अरविंद जी अपने घर में हमें बुलाते हैं।' इस दौरान आम आदमी पार्टी से ऑटो चालकों की नाराजगी के सवाल पर उन्होंने कहा कि चालक कभी केजरीवाल से नाराज नहीं थे।
'खबरगांव' ने ऑटो यूनियन से बात की
ट्रांस्पोर्ट ऑटो टैक्सी संघ से जुड़े विजय उपाध्याय ने 'खबरगांव' से बातचीत में बीजेपी की तरफ झुकाव दिखाते हुए कहा, 'सभी ऑटो-टैक्सी यूनियन बीजेपी का समर्थन कर रही हैं। जब से अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सत्ता में आए हैं तब से वह ऑटोवालों को भूल गए हैं। उनकी सरकार में ओला,उबर और रैपिडो जैसी प्राइवेट कंपनियां मनमानी कर रही हैं। इन कंपनियों पर कोई पाबंदी नहीं है, जिससे ऑटोवालों की कमाई पर असर पड़ा है।'
विजय उपाध्याय ने कहा, 'प्राइवेट कंपनियां किराया अपना हिसाब से तय कर रही हैं। इनकी वजह से सभी ऑटोवालों की कमाई कम हो गई है। टैक्सी वाले सड़कों पर आ गए हैं। दिल्ली सरकार ठीक से किराया निश्चित नहीं कर रही है।' उपाध्याय का आगे कहना है कि केजरीवाल ने दिल्ली में महिलाओं के लिए बस फ्री कर दी है जिससे महिलाएं बसों में सफर करती हैं। इसकी वजह से महिलाएं ऑटो में कम बैठती हैं, जिसका असर ऑटोवालों की कमाई घट गई है।
ऑटोवाले सड़कों पर राम भरोसे
दिल्ली प्रदेश आदर्श तिपहिया चालक संघ से जुड़े ओपी टिबरी ने नाराजगी भरे लहजे में हमसे बात करते हुए कहा कि दिल्ली के ऑटोवाले सड़कों पर राम भरोसे खड़े रहते हैं। ना तो ऑटोवालों के लिए कोई स्टैंड है और ना ही कोई पार्किंग। उन्होंने कहा कि अगर कोई चालक गलती से किसी नौ पार्टिंग वाली जगह पर खड़ा हो जाता है तो ट्रैफिक पुलिस उनका चालान काट देती है।
ओपी टिबरी ने दिल्ली के ओला-उबर और रैपिडो को ऑटो चालकों की सबसे बड़ी समस्या बताया। उनका कहना है कि ये बड़ी प्राइवेट कंपनियां सस्ते दाम में ग्राहकों को अपनी तरफ खींच रही हैं। इसके अलावा दिल्ली की सड़कों पर लगने वाले जाम भी एक बड़ी समस्या है, जिसपर ध्यान देने की जरूरत है।
दिल्ली में ऑटो ड्राइवर्स के मुद्दे
दिल्ली में ऑटो ड्राइवर्स के मुख्य मुद्दे ट्रैफिक नियमों का रेगुलराइजेशन है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी में ई-रिक्शा की बढ़ोतरी और महिलाओं के लिए फ्री-बस सर्विस ने भी ऑटो ड्राइवर्स के कारोबार को प्रभावित किया है। इन दोनों कारणों से नियमित रूप से सवारी मिलना ऑटो ड्राइवर्स के लिए मुश्किल हो गया है। हेल्थ इंश्योरेंस भी दिल्ली में ऑटो ड्राइवर्स के लिए मुख्य मुद्दा है। केजरीवाल ने पहले ही उनके मुद्दों की पहल कर चुनाव से पहले बड़ा दांव खेलने की कोशिश की है।
क्या चलेगा केजरीवाल का जादू?
आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली में पहले से ही लोगों को 200 यूनिट मुफ्त बिजली, मोहल्ला क्लिनिक, फ्री पानी, महिलाओं के लिए फ्री में बस में सफर जैसी योजनाएं चल रही हैं। इसके अलावा केजलीवाल ने 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले ही महिलाओं और ऑटो चालकों के लिए बड़ी घोषणाएं कर दी हैं। आप सरकार ने 'मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना' के तहत दिल्ली की हर महिला (18 से 60 वर्ष ) को 1000 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे। यह राशि चुनाव के बाद 2100 रुपये प्रति माह हो जाएगा। दिल्ली का आधार कार्ड, पेंशन और वोटर आईडी कार्ड इसके लिए जरूरी है।
आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल इन योजनाओं से उम्मीद है कि ये चुनाव जीतने में मदद करेंगी।
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