दिल्ली कैंट वोटरों के लिहाज से सबसे छोटी विधानसभा सीट है। दिल्ली कैंट में वोटरों की संख्या महज 78,893 है। दिल्ली कैंट विधानसभा सीट साउथ दिल्ली में आती है। दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला है। यह सीट कभी बीजेपी का गढ़ मानी जाती थी।
आम आदमी पार्टी ने अपने वर्तमान विधायक विरेंद्र सिंह कादियान पर भरोसा जताया है तो वहीं बीजेपी ने पिछले उम्मीदवार को बदलते हुए भुवन तंवर को मुकाबले में उतारा है।
इस बार कौन-कौन मैदान में?
दिल्ली कैंट से इस बार आम आदमी पार्टी ने विरेंद्र सिंह कादियान को टिकट दिया है। उनके मुकाबले में बीजेपी ने भुवन तंवर और कांग्रेस ने प्रदीप कुमार उपमन्यु को उतारा है।
दिल्ली कैंट की समस्याएं क्या हैं?
दिल्ली कैंट में जाम की समस्या काफी विकराल है। यहां सड़कों पर वाहनों के बढ़ रहे दबाव व यातायात पुलिस की सुस्ती के कारण पालम फ्लाईओवर से दिल्ली छावनी स्थित रक्षा संपदा भवन तक करीब पांच किलोमीटर का हिस्सा व्यस्त समय के दौरान जाम की चपेट में रहता है।
2020 में क्या हुआ था?
2020 के चुनाव में यहां से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार विरेंद्र सिंह वादियान की जीत हुई थी। उन्हें 49.17 वोट प्रतिशत के साथ में 28,971 मत और बीजेपी के मनीष सिंह को 18,381 वोट मिले थे। वह कादियान से 10,590 वोटों से हार गए थे। वहीं पिछले चुनाव में कांग्रेस के संदीप तंवर तो मात्र 7,954 वोट ही मिले थे।
विधानसभा का इतिहास
दिल्ली कैंट में सबसे पहले साल 1993 में विधानसभा चुनाव हुए थे। इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है। 'कमल' के निशान पर सबसे पहले करण सिंह तंवर दिल्ली कैंट के विधायक बने थे। साल 1998 के चुनाव में कांग्रेस की किरण चौधरी यहां से विधायक बनीं। इसके बाद करण सिंह तंवर साल 2003, 2008 में बीजेपी से विधायक चुने गए, लेकिन 2013 के चुनाव में आम आदमी पार्टी के सुरेंद्र सिंह ने बीजेपी की अजेय बढ़त पर रोक लगा दी और वह करीबी मुकाबले में चुनाव जीत गए।
साल 2015 में भी आम आदमी पार्टी के सुरेंद्र सिंह दिल्ली कैंट से विधायकी का चुनाव जीते, लेकिन 2020 के चुनाव में पार्टी ने विरेंद्र सिंह कादियान को टिकट देकर उनपर भरोसा जताया। इस बार देखना होगा कि कादियान 'आप' को चौथी बार जिता पाते हैं या बीजेपी फिर से अपनी खोई हुई जमीन वापस पाएगी।
जातिगत समीकरण
दिल्ली कैंट में लगभग 19 फीसदी राजपूत वोटर हैं। इसके बाद सबसे ज्यादा लगभग 21 फीसदी ओबीसी मतदाता हैं। ब्राह्मणों की बात करें तो उनकी संख्या लगभाग 5 फीसदी है। इसके अलावा यहां कायस्थ और बनिया मिलाकर 6 फीसदी हैं। दिल्ली कैंट में 5 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं।