दिल्ली विधानसभा की 70 में से 48 सीटें जीतकर बीजेपी 27 साल बाद सरकार बनाने जा रही है। पिछले दो चुनाव में 60 से ज्यादा सीटें जीतकर सत्ता में बैठने वाली आम आदमी पार्टी इस बार 22 सीटों पर सिमट गई। अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और सौरभ भारद्वाज जैसे बड़े चेहरे भी चुनाव हार गए।
आम आदमी पार्टी ने पिछली बार 62 सीटें जीती थीं। इस बार उसे 22 सीटें ही मिलीं। यानी पिछली बार से 26 कम। AAP की सिर्फ सीट ही कम नहीं हुई, बल्कि वोट शेयर भी 10% तक कम हो गया।
BJP-AAP को कितने वोट?
पिछले चुनाव की तुलना में बीजेपी का वोट शेयर 7 फीसदी तक बढ़ गया। 2020 में बीजेपी का वोट शेयर 38.51% रहा था। आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 53.57% था।
चुनाव आयोग के मुताबिक, बीजेपी का वोट शेयर 45.56% और आम आदमी पार्टी का 43.57% रहा। वोटों की बात की जाए तो बीजेपी को 43.23 लाख और आम आदमी पार्टी को 41.33 लाख वोट मिले। इस हिसाब से देखा जाए तो बीजेपी को आम आदमी पार्टी से सिर्फ 1.89 लाख वोट ही ज्यादा मिले। उसका वोट शेयर भी AAP की तुलना में महज 2 फीसदी ही ज्यादा रहा। मगर आम आदमी पार्टी के मुकाबले बीजेपी ने 26 सीटें ज्यादा जीतीं।
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26 सीटें ज्यादा... कैसे?
दिल्ली की 70 में से 26 सीटें ऐसी थीं, जहां 2013 से आम आदमी पार्टी जीतती आ रही थी। इन 26 में से 16 सीटें इस बार बीजेपी ने छीन लीं।
बीजेपी ने AAP से जो 16 सीटें छीनीं, उनमें- तिमारपुर (सूर्य प्रकाश खत्री), मंगोलपुरी (राज कुमार चौहान), शालीमार बाग (रेखा गुप्ता), शकूरबस्ती (करनैल सिंह), मॉडल टाउन (अशोक गोयल), मादीपुर (कैलाश गंगवाल), हरिनगर (श्याम शर्मा), विकासपुरी (पंकज कुमार सिंह), नई दिल्ली (प्रवेश वर्मा), जंगपुरा (तरविंदर सिंह मारवाह), कस्तूरबा नगर (नीरज बसोया), मालवीय नगर (सतीश उपाध्याय), संगम विहार (चंदन चौधरी), ग्रेटर कैलाश (शिखा रॉय) और पटपड़गंज (रविंद्र नेगी) शामिल हैं।
इतना ही नहीं, बीजेपी ने दिल्ली की 10 जाट बाहुल्य सीटें भी आम आदमी पार्टी से छीन लीं। जाट बाहुल्य सीटों में बीजेपी ने नरेला (राजकरण खत्री), रिठाला (कुलवंत राणा), मुंडका (गजेंद्र ड्राल), नांगलोई जाट (मनोज कुमार शौकीन), विकासपुरी (पंकज कुमार सिंह), मटियाला (संदीप सहरावत), नजफगढ़ (नीलम पहलवान), बिजवासन (कैलाश गहलोत), पालम (कुलदीप सोलंकी) और महरौली (गजेंद्र सिंह यादव) जीत ली।
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12 में से 4 आरक्षित सीटों पर BJP
बीजेपी के लिए इस चुनाव में जीत की एक वजह आरक्षित सीटों पर जीत भी रही। दिल्ली में 12 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इन सभी 12 सीटों पर पिछले दो चुनाव से आम आदमी पार्टी जीतती आ रही थी। इस बार बीजेपी ने इनमें से 4 सीटें जीत लीं। बीजेपी ने बवाना (रविंद्र इंद्राज सिंह), मंगोलपुरी (राज कुमार चौहान), मादीपुर (कैलाश गंगवाल) और त्रिलोकपुरी (रविकांत) में चुनाव जीत लिया।

पूर्वांचलियों का भी BJP को मिला साथ
दिल्ली चुनाव में पूर्वांचली वोटर भी काफी मायने रखते हैं। इस चुनाव में पूर्वांचली भी बड़ा मुद्दा बने थे। दिल्ली की 70 में से कम से कम 17 सीटें ऐसी हैं, जहां 25 से 30 फीसदी पूर्वांचली वोटर हैं। इन 17 में से 14 सीटें बीजेपी ने जीत ली।
पूर्वांचलियों वाली 14 सीटें- लक्ष्मी नगर (अभय वर्मा), पटपड़गंज (रविंद्र नेगी), राजेंद्र नगर (उमंग बजाज), बादली (दीपक चौधरी), मॉडल टाउन (अशोक गोयल), घोंडा (अजय महावर), करावल नगर (कपिल मिश्रा), रिठाला (अनिल झा), छतरपुर (करतार सिंह), द्वारका (प्रद्युम्न राजपूत), पालम (कुलदीप सोलंकी), विकासपुरी (पंकज कुमार सिंह), संगम विहार (चंदन कुमार चौधरी) और जनकपुरी (आशीष सूद) में जीत हासिल की।
इसके अलावा, आम आदमी पार्टी की हार का बड़ा कारण कांग्रेस भी रही। पिछले चुनाव की तुलना में कांग्रेस का वोट शेयर 2 फीसदी बढ़ा। कम से कम 13 सीटें ऐसी रहीं, जहां कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के वोट काटे। अगर इन सीटों पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर लड़ते तो बीजेपी को हरा सकते थे।