दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को वोटिंग होगी। आम आदमी पार्टी (AAP) एक बार फिर सत्ता हासिल करने का दावा कर रही है। हालांकि, 5 फरवरी को होने वाले मतदान से पहले क्या कुछ बदल गया है। इस पर ध्यान देना भी जरूरी है जो कहीं न कहीं यह तय करेगा कि इस बार दिल्ली की सत्ता की चाबी किसके हाथ लगती है।
ऐस में आइये जानें कि दिल्ली चुनाव में किस पार्टी को बढ़त हासिल है। मोटे तौर पर पांच ऐसे फैक्टर्स हैं जो यह तय कर सकते हैं कि इस शनिवार को जब ईवीएम का पिटारा खुलेगा तो दिल्ली में कौन सी पार्टी जीतेगी।
पहला फैक्टर
दिल्ली में 20% दलित वोट झुग्गियों और बस्तियों से मिलते है और इसे AAP पार्टी के पक्ष में देखा जाता रहा है लेकिन अब इन वोटर्स की मंशा बदल सकती है।
दूसरा फैक्टर
दिल्ली के 13% मुस्लिम वोट पिछले दो चुनावों में AAP का वफादार रहा है। भले कांग्रेस ने कई प्रयास किए हो उसके बावजूद 13 फीसदी वोट AAP की झोली में आ सकते है।
तीसरा फैक्टर
दिल्ली में लगभग 40 फीसदी वोटर्स मिडिल क्लास से हैं। आयकर छूट के लिए बजट में की गई घोषणा यहां भाजपा के लिए एक बोनस होगी। दिल्ली में बुनियादी ढांचे, सफाई और सड़कों की खराब स्थिति को लेकर मिडिल क्लास हमेशा से शिकायत करता रहा है।
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चौथा फैक्टर
जनता किस पर भरोसा करके मुफ्त में सामान बांटेगी? भाजपा ने 2020 से अपनी रणनीति बदल ली है और अब वह AAP की मुफ्त में दी जाने वाली चीजों को रेवड़ियां नहीं कह रही है।
पांचवां फैक्टर
किसके चेहरे पर वोट आएंगे? क्या लोग फिर से केजरीवाल पर भरोसा करेंगे या फिर इस बार वोट नरेंद्र मोदी के नाम पर होगा?
अगर झुग्गी मतदाता और मुसलमान पूरी तरह से AAP के साथ खड़े रहे, तो वह 50 से ज्यादा सीटों के साथ बड़ी जीत हासिल कर सकती है लेकिन अगर झुग्गी मतदाताओं में विभाजन होता है और मध्यम वर्ग भाजपा के पीछे एकजुट होता है, तो दिल्ली में हरियाणा और महाराष्ट्र के नतीजे दोहराए जा सकते हैं।