बिहार के पूर्वी चंपारण जिले की ढाका विधानसभा सीट पर सियासी माहौल बना रहता है। इस सीट पर राजनीतिक उठापठक होती रही है। दिलचस्प बात यह है कि यहां की जनता ऐसी नहीं है कि एक ही पार्टी को जिताए। यह जनता के मूड पर होता है कि किसकी जीत होगी। यह सीट कांग्रेस से होते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और फिर बीजेपी के पास आई है। बीच में एक चुनाव ऐसा भी हुआ, जब यहां से निर्दलीय की जीत हुई। बाद में वही निर्दलीय बीजेपी में आ गया और इस तरह से ढाका सीट दोबारा बीजेपी के पास आ गई।
2008 के बाद ढाका सीट का नए सिरे से परिसीमन हुआ था। यह सीट शिवहर लोकसभा के दायरे में आती है। भारत और नेपाल से सटी ढाका सीट अब तक 17 विधायक चुन चुकी है, जिनमें से 6 मुस्लिम रहे हैं। आसपास गांव होने के कारण यह कमर्शियल हब के तौर पर भी उभरा है, जहां स्थानीय उत्पाद बेचे जाते हैं। पूरे बिहार की तरह ही ढाका में माइग्रेशन बड़ी समस्या है। यहां के ज्यादातर लोगों की आजीविका महाराष्ट्र, दिल्ली और गुजरात में काम करने वाले मजदूरों की ओर से भेजे गए पैसों से चलती है।
मौजूदा समीकरण
फिलहाल, यह सीट बीजेपी के कब्जे में हैं और पवन जायसवाल विधायक हैं। पवन जायसवाल 2010 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीते थे। बाद में वह बीजेपी में आ गए। इस सीट पर मुस्लिम वोटर निर्णायक साबित होते हैं। अनुमान के मुताबिक, यहां लगभग 32 फीसदी वोटर मुस्लिम हैं। वहीं, 10 फीसदी वोटर अनुसूचित जाति से हैं। बीजेपी को एक बार फिर पवन जायसवाल की लोकप्रियता का भरोसा है। वहीं, आरजेडी को एंटी-इन्कंबेंसी फैक्टर का फायदा मिलने की उम्मीद है।
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2020 में क्या हुआ था?
2020 के चुनाव से पहले पवन जायसवाल बीजेपी में आ गए थे। पिछले चुनाव में पवन जायसवाल ने 99,792 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। यहां से मौजूदा आरजेडी विधायक फैजल रहमान को 89,678 वोट मिले थे। पिछले चुनाव में RLSP वोट कटवा साबित हुई थी। RLSP के उम्मीदवार को लगभग 5 फीसदी वोट मिले थे।
विधायक का परिचय
पवन कुमार जायसवाल बिहार में जाना-माना चेहरा हैं। पवन जायसवाल तब अचानक चर्चा में आ गए, जब 2010 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीत लिया। तब से ही ढाका में पवन जायसवाल का दबदबा है। निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद पवन जायसवाल बीजेपी में आ गए।
2015 का चुनाव उन्होंने बीजेपी के टिकट पर ही लड़ा लेकिन इस बार उन्हें आरजेडी के फैजल रहमान ने लगभग 20 हजार वोटों से हरा दिया। 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर पवन जायसवाल पर भरोसा जताया और इस बार उन्होंने वापसी करते हुए आरजेडी के फैजल रहमान को करीब 10 हजार वोटों के अंतर से हरा दिया।
2020 के चुनाव में पवन जायसवाल ने अपने हलफनामे में बताया था कि उनके पास 5.17 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है। उन्होंने ग्रेजुएशन किया है। उनके हलफनामे के मुताबिक, उन पर 5 क्रिमिनल केस चल रहे हैं।
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विधानसभा का इतिहास
आजादी के बाद 1952 में जब यहां पहली बार विधानसभा चुनाव हुए तो लगातार 10 साल कांग्रेस के मसूदूर रहमान विधायक रहे। 1962 के चुनाव में CPI उम्मीदवार नेक मोहम्मद यहां से जीते। 1990 में पहली बार बीजेपी ने यहां जीत हासिल की और अवनीश कुमार सिंह विधायक बने। 1990 और फिर 1995 के चुनाव में लगातार दो बार अवनीश कुमार यहां से जीते। 2000 के चुनाव में आरजेडी के मनोज कुमार सिंह की यहां से जीत हुई। 2005 में अवनीश कुमार ने फिर वापसी की। 2010 में पवन जायसवाल ने उन्हें हरा दिया।
- 1952: मसूदूर रहमान (कांग्रेस)
- 1957: मसूदूर रहमान (कांग्रेस)
- 1962: नेक मोहम्मद (CPI)
- 1967: एसएन शर्मा (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)
- 1969: मसूदूर रहमान (कांग्रेस)
- 1972: हाफिज इद्रीस अंसारी (कांग्रेस)
- 1977: सियाराम ठाकुर (जनता पार्टी)
- 1980: मोतिउर रहमान (कांग्रेस)
- 1985: मोतिउर रहमान (कांग्रेस)
- 1990: अवनीश कुमार सिंह (बीजेपी)
- 1995: अवनीश कुमार सिंह (बीजेपी)
- 2000: मनोज कुमार सिंह (आरजेडी)
- 2005: अवनीश कुमार सिंह (बीजेपी)
- 2010: पवन कुमार जायसवाल (निर्दलीय)
- 2015: फैजल रहमान (आरजेडी)
- 2020: पवन कुमार जायसवाल (बीजेपी)