बिहार में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले चुनाव आयोग ने बड़ा बदलाव किया है। चुनाव आयोग ने कहा है कि अब वोटों की गिनती के वक्त ईवीएम की गणना पूरी होने से पहले पोस्टल बैलेट के जरिए पड़े वोटों की गिनती होगी। पोस्टल बैलेट को लेकर यह मांग विपक्ष एक अरसे से कर रहा था, चुनाव आयोग ने यह बदलाव स्वीकार कर लिया है। अगर पोस्टल बैलेट की गिनती में देरी हो रही है तो ईवीएम से पड़े मतों की काउंटिंग रोक दी जाएगी। अगर बैलट ज्यादा है तो काउंटिंग टेबल को बढ़ाई जाएगी।
अब तक बैलेट की गिनती सुबह 8 बजे तक शुरू होती थी, बकि ईवीएम काउंटिंग 8.30 तक आती है। कई सेंटर पर मशीन से भी काउंटिंग पूरी कर ली जाती थी, जबकि बैलेट गिनने में वक्त लगता था। अब नए नियमों के मुताबिक ईवीएम के जब तक बैलेट काउंटिग पूरी नहीं हो जाएगी, तब तक ईवीएम के सेकेंड लास्ट राउंड की काउंटिंग रोक दी जाएगी।
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अब तक नियम क्या थे?
पोस्टल बैलेट और इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट की गिनती सुबह 8 बजे से शुरू होती है। EVM की गिनती सुबह 8.30 बजे से शुरू होती है। पहले के नियमों थे कि EVM की गिनती पोस्टल बैलेट की गिनती से अलग होती थी। कई बार ईवीएम की गिनती पोस्टल बैलेट से पहले खत्म हो जाती थी।
अब क्या होगा?
अब चुनाव आयोग ने दिव्यांग और 85 साल से ज्यादा उम्र के सीनियर नागरिकों के लिए घर से वोटिंग की सुविधा दी है। इस वजह से पोस्टल बैलेट की संख्या ज्यादा बढ़ गई है। आमतौर पर पोस्टल बैलेट की गिनती EVM से पहले पूरी हो जाती है। विपक्ष मांग कर रहा था कि मतगणना प्रक्रिया में एक समानता रहे।
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अब चुनाव आयोग ने यह तय किया है कि EVM और VVPAT की सेकेंड लास्ट गिनती तब शुरू होगी, जब उस काउंटिंग सेंडर पर पोस्टल बैलेट की गिनती पूरी हो जाएगी। अगर पोस्टल बैलेट की संख्या बहुत ज्यादा है, तो रिटर्निंग ऑफिसर की यह जिम्मेदारी होगी कि पर्याप्त टेबल और कर्मचारियों की व्यवस्था करे, जिससे गिनती में देरी न हो और सही तरीके से बैलेट की गिनती हो।
पहले और अब में अंतर क्या?
- पहले: ईवीएम और बैलट काउंटिंग साथ चलती थी ईवीएम के वोट जल्दी गिन लिए जाते थे। बैलेट काउंटिंग पिछड़ जाती थी, जबकि बैलट की गिनती सुबह 8 बजे ही शुरू होती थी।
- अब: बैलेट काउंटिंग पूरी नहीं हुई तो ईवीएम के पूरे वोट नहीं गिने जाएंगे। ईवीएम मशीन में सेकेंड लास्ट राउंड आने तक अगर बैलेट नहीं गिने जाते हैं तो मशीन की काउंटिंग रुकेगी।
क्यों बदलाव हुए हैं?
साल 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने यह मांग की थी कि मतों की गिनती का तरीका पारदर्शी हो। पोस्टल बैलेट की गिनती पहले की जाए। जुलाई 2024 में डीएमके ने भी यह मुद्दा उठाया। साल 2019 में चुनाव आयोग ने पोस्टल बैलेट की बढ़ती संख्या की वजह से गिनती की प्रक्रिया बदली थी। आमतौर पर ETPBS की गिनती में ज्यादा वक्त लगता था।
अब चुनाव आयोग ने मतगणना में समानता लाने के लिए फिर से पुरानी प्रक्रिया लागू की है। साल 2020 में आयोग ने 80 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों और दिव्यांगों को भी पोस्टल बैलेट से वोटिंग की सुविधा दी थी। पोस्टल बैलेट की गिनती सुबह बजे से शुरू होती है, वहीं ईवीएम की गिनती 8.30 पर शुरू होती है।