बिहार में चल रहे मतदाता सूची संशोधन (SIR) प्रक्रिया में अब तक यह बात सामने आई है कि 7.89 करोड़ मतदाताओं में से तीन-चौथाई से ज्यादा वोटर, 2003 की मतदाता सूची से जुड़े हैं। अब चुनाव आयोग इस मॉडल को पूरे देश में लागू करना चाहता है। बुधवार को मुख्य चुनाव अधिकारियों (CEOs) के साथ हुई बैठक में आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा कि वे अपनी वर्तमान मतदाता सूची को आखिरी मतदाता संशोधन की सूची से मिलाएं।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 52 प्रतिशत मतदाता 2003 की सूची में पहले से मौजूद थे, जबकि 25 प्रतिशत मतदाताओं को उनके माता-पिता या रिश्तेदारों के जरिए इस सूची से जोड़ा गया। बिहार की अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी लेकिन पूरे देश में SIR का समय अभी तय नहीं हुआ है। बिहार का ही SIR मॉडल, देशभर में लागू किया जाएगा।
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बिहार में SIR के लिए जरूरी दस्तावेज क्या थे?
बिहार में SIR के तहत सभी मतदाताओं को रजिस्ट्रेशन फॉर्म जमा करना था। 2003 के बाद जुड़े मतदाताओं को जन्म तिथि और स्थान के प्रमाण देना जरूरी था। 1 जुलाई 1987 के बाद जन्मे लोगों को अपने माता-पिता के दस्तावेज भी देने थे।
2003 और मौजूदा वोटर लिस्ट से कनेक्शन क्या है?
बिहार के CEO विनोद सिंह गुंजियाल ने कहा है कि 'पारिवार रजिस्टर' के जरिए कई मतदाताओं को 2003 की सूची से जोड़ा गया। आयोग ने सभी CEOs से पूछा कि वे बिहार के लिए तय 11 दस्तावेजों के अलावा और कौन से दस्तावेज स्वीकार कर सकते हैं।
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चुनाव आयोग को क्या सलाह दे रहे मतदान अधिकारी?
ज्यादातर CEOs ने कोई नया सुझाव नहीं दिया, लेकिन कुछ ने आधार और मतदाता पहचान पत्र (EPIC) का नाम लिया। असम जैसे कुछ राज्यों ने स्थानीय पहचान पत्रों का सुझाव दिया। चुनाव आयोग ने पहले आधार, EPIC और राशन कार्ड को शामिल नहीं किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार SIR के लिए आधार को स्वीकार करना पड़ा। आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया यह तय करेगी कि कोई पात्र मतदाता छूटे नहीं और कोई अपात्र व्यक्ति सूची में शामिल न हो।