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गोपालपुर विधानसभा: क्या RJD लगा पाएगी JDU के गढ़ मे सेंध?

बिहार में गोपालपुर विधानसभा सीट पर जेडीयू का कब्जा है। पिछले चार बार से नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल यहां से विधायक हैं।

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गोपालपुर विधानसभा सीट बिहार के भागलपुर जिले में है। आर्थिक रूप से यह रेशम उत्पादन से जुड़ा हुआ है। यहां के रेशम को भागलपुरी सिल्क के नाम से जाना जाता है। हालांकि, चूंकि यह गंगा के तट पर है इसलिए कृषि भी यहां के लोगों की आजीविका का आधार है। शहर के समीप होने के कारण यहां के उत्पादों को अच्छी बाजार भी मिल जाती है।

 

गोपालपुर विधानसभा सीट की स्थापना 1957 में हुई। इसमें गोपालपुर, नौगछिया, रंगराचौक और इस्माइलपुर प्रखंड शामिल हैं. गोपालपुर के आस-पास के अन्य प्रमुख कस्बों में साबौर (5 किमी), नौगछिया (16 किमी) और बांका (20 किमी) शामिल हैं. इस सीट पर अनुसूचित जाति के लगभग 6.97%, अनुसूचित जनजाति के लगभग 1.1% और मुस्लिम मतदाता लगभग 7.3% हैं। मूलतः यह ग्रामीण क्षेत्र वाला इलाका है।

 

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मौजूदा राजनीतिक समीकरण

गोपालपुर विधानसभा सीट पर शुरुआत में कांग्रेस और सीपीआई का कब्जा रहा है, लेकिन अब इस सीट पर आरजेडी और जेडीयू के बीच मुकाबला रहता है। आरजेडी ने साल 2000 और 2005 में इस सीट को जीता था, लेकिन तब से लेकर अब तक चार बार जेडीयू ने ही इस सीट पर जीत दर्ज की है। इस वक्त जेडीयू के गोपाल मंडल उर्फ नरेंद्र कुमार नीरज यहां से विधायक हैं।

 

हालांकि, जेडीयू के लगातार इस सीट पर जीत दर्ज करने के पीछे बीजेपी की भूमिका को कमतर नहीं आंका जा सकता क्योंकि 2015 में जब बीजेपी और जेडीयू ने अलग अलग चुनाव लड़ा था तब उनकी जीत का अंतर काफी कम रह गया था और बीजेपी के अनिल कुमार यादव से मात्र 5 हजार वोटों के अंतर से ही वह जीत हासिल कर पाए थे।

2020 में क्या थी स्थिति?

पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू के नरेंद्र कुमार नीरज ने जीत दर्ज की थी। वह ओबीसी समुदाय से आते हैं। उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का करीबी माना जाता है। नरेंद्र कुमार को इस सीट से लगातार टिकट मिलता रहा है। कुछ लोगों का कहना है कि नीतीश कुमार के करीबी होने के नाते उन्हें टिकट मिलता रहा है जबकि कुछ लोगों का कहना है कि वह चूंकि लगातार इस सीट पर जीत दर्ज कर रहे हैं इसलिए उनका टिकट पार्टी नहीं काटना चाहती।

 

2020 में उन्हें कुल 75,533 वोट मिले जो कि कुल वोट प्रतिशत का 46.4 % था जबकि दूसरे स्थान पर रहे आरजेडी उम्मीदवार को कुल 51,072 वोट मिले थे। इस तरह से दोनों के बीच जीत का अंतर लगभग 24 हजार वोटों का था। तीसरे स्थान पर रहे एलजेपी के कैंडीडेट को 23,406 वोट मिले थे।

विधायक का परिचय

जेडीयू के विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल लगातार सुर्खियों में रहते हैं। उनकी शैक्षणिक योग्यता साधारण है, उन्होंने भागलपुर के हिस्सामपुर महाविद्यालय से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की है। उनकी उम्र लगभग 51 वर्ष है। राजनीतिक पहचान से अधिक वे अपने बयानों और विवादित गतिविधियों की वजह से चर्चा में रहते हैं।

 

संपत्ति के मामले में गोपाल मंडल एक समृद्ध विधायक माने जाते हैं। चुनावी हलफनामे और मीडिया रिपोर्टों के अनुसार उनके पास कई बैंक खातों में लाखों रुपये जमा हैं। गहनों की बात करें तो उनके पास 160 ग्राम सोना, उनकी पत्नी के पास 360 ग्राम सोना और 1600 ग्राम चांदी है। इसके अलावा उनके और उनकी पत्नी के नाम पर कई गाड़ियां हैं। जमीन-संपत्ति में उनके पास लगभग 8 एकड़ से अधिक कृषि योग्य भूमि है, जबकि उनकी पत्नी के नाम भी लगभग डेढ़ एकड़ जमीन है, जिनकी कीमत 40 लाख रुपये से ऊपर आंकी जाती है।

 

आपराधिक मामलों की बात करें तो उन पर कई केस दर्ज हुए हैं। उन पर मारपीट का आरोप लग चुका है, जिसमें वाहन चालक ने दावा किया था कि विधायक और उनके अंगरक्षकों ने लाठी-डंडों से उसकी पिटाई की। मकान खाली कराने को लेकर भी उन पर एफआईआर दर्ज हुई है। इसके अलावा भोजपुरी कार्यक्रमों में डबल मीनिंग गाने गाने और डांसर को नोट चिपकाने जैसी घटनाओं में भी वे फंसे हैं।

 

विवादित बयानों ने भी उन्हें खासा चर्चित बनाया है। तेजस राजधानी एक्सप्रेस में अर्धनग्न घूमने की घटना को लेकर उन्होंने सफाई दी थी कि उनका पेट खराब था। विपक्षी नेताओं के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देना, अपने ही पार्टी के साथियों से भिड़ना और मंच से खुलेआम धमकी भरे लहजे का इस्तेमाल करना उनकी पहचान बन गई है। यहां तक कि उनके बेटे आशीष मंडल ने भी पुलिस के खिलाफ बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया था।

 

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विधानसभा का इतिहास

इस सीट पर पहली बार चुनाव कांग्रेस पार्टी जीती थी इसके बाद 1977 तक कांग्रेस और सीपीआई के बीच इस टक्कर देखने को मिली। उसके बाद कुछ समय तक इस पर कांग्रेस का वर्चस्व रहा, फिर इसके बाद इस सीट के लिए आरजेडी और जेडीयू के बीच मुकाबला रहा। पिछले चार विधानसभा चुनावों में इस सीट पर जेडीयू जीत दर्ज कर रही है।


1952 - वेदानंद झा (कांग्रेस)

1957 - मनीराम सिंह (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया)

1962 - माया देवी (कांग्रेस)

1967 - मनीराम सिंह (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया)

1969 - मदन प्रसाद सिंह (कांग्रेस)

1972 - मदन प्रसाद सिंह (कांग्रेस)

1977 - मनीराम सिंह (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया)

1980 - मदन प्रसाद सिंह (कांग्रेस (आई))

1985 - मदन प्रसाद सिंह (कांग्रेस)

1990 - ज्ञानेश्वर यादव (भाजपा)

1995 - रवींद्र राणा (जनता दल)

2000 - अमित राणा (राजद)

2005 - अमित राणा (राजद)

2010 - गोपाल मंडल (जेडीयू)

2015 - नरेंद्र कुमार नीरज (जेडीयू)

2020 - गोपाल मंडल (जेडीयू)

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