logo

ट्रेंडिंग:

हरसिद्धि विधानसभा सीट: BJP बचाएगी गढ़ या RJD करेगी वापसी?

हरसिद्धी विधानसभा पूर्वी चंपारण जिले की आरक्षित सीटों में से एक है। यह विधानसभा 13वें नंबर पर आती है। हरसिद्धी अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित सीट है। यह विधानसभा मोतिहारी लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है।

Harsiddhi Vidhan Sabha Seat

हरसिद्धी विधानसभा सीट। (Photo Credit: Khabargaon)

हरिसिद्धी विधानसभा पूर्वी चंपारण का हिस्सा है। यह बिहार की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है। यहां से गन्ना मंत्री कृष्णनंदन पासवान विधायक हैं। साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद इस विधानसभा सीट को अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित किया गया था। यहां पासवान समुदाय के वोटर निर्णायक स्थिति में हैं। यहां की ज्यादातर आबादी ग्रामीण है। हरिसिद्धी विधानसभा में कुल करीब 2,78,100 वोटर हैं। पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,45,042 के आसपास है, वहीं 1,33,058 महिला मतदाता हैं। 

हरसिद्धी विधानसभा सीट पर सियासी समीकरण हर 5 साल पर बदलते रहे हैं। साल 1952 से अब तक, ऐसा ट्रेंड रहा है कि कभी कांग्रेस, कभी सीपीआई, कभी आरजेडी, कभी बीजेपी। इस सीट पर राष्ट्रीय जनता दल और भारतीय जनता पार्टी के बीच साल 2010 से ही लड़ाई रही है। अगर यह सीट, एनडीए गठबंधन में बीजेपी के पास आती है तो बीजेपी की कोशिश होगी कि इस सीट को बरकरार रखा जाए, वहीं आरजेडी अपनी खोई हुई सीट हासिल करने की कोशिश करेगी।

यह भी पढ़ें: कटिहार विधानसभा: तारकिशोर को मिलेगी 5वीं जीत या विपक्ष करेगा खेल?

सामाजिक ताना बाना क्या है?

हरसिद्धि विधानसभा में पासवान और मुस्लिम वोटर प्रभावी हैं। करीब 18.5 प्रतिशत अल्पसंख्यक आबादी रहती है। सवर्णों की आबादी करीब 15 प्रतिशत है। कुशवाहा, यादव, मल्लाह भी निर्णायक स्थिति में हैं।  

मुद्दे क्या हैं?

यह बाढ़ प्रभावित इलाका है। यहां खराब सड़कों का मुद्दा सुर्खियों में रहता है। पलायन और बेरोजगारी यहां की बड़ी समस्या है। यहां भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठता रहा है। कृष्ण नंदन पासवान के बेटे कुंदन पासवान पर हत्या के लिए धमकी देने का आरोप भी लगा था। पहले भी कमीशन को लेकर सवालों के घेरे में रहे हैं।

मौजूदा समीकरण क्या कह रहे हैं?

अगर यह सीट बीजेपी के खाते में आई तो मौजूदा विधायक कृष्ण नंदन पासवान एक बार फिर उम्मीदवार हो सकते हैं। राष्ट्रीय जनता दल की ओर से राजेंद्र कुमार का नाम चर्चा में है। वह पूर्व विधायक रह चुके हैं। जन सुराज नेता प्रशांत किशोर भी यहां अपनी जमीन मजबूत करने की कोशिशों में जुटे हैं। उनका जोर वैसे भी पूर्वी चंपारण पर ज्यादा है।


यह भी पढे़ं: सुगौली विधानसभा: 3 बार जीत की हैट्रिक लगा चुकी BJP, RJD को टक्कर देगी?

विधायक का परिचय

कृष्ण नंदन पासवान का जन्म 5 जनवरी 1995 को हुआ था। उनका घर रघुनाथपुर, मोतिहारी में है। वह पेशे से कृषक रहे हैं। उनकी छवि सीधे-सादे राजनेता की रही है। साल 2020 के हलफनामे के मुताबिक उनके नाम पर एक स्कॉर्पियो कार दर्ज है। 9 लाख रुपये के आसपास कर्ज है। उन्होंने एमएस कॉलेज, मोतिहारी से पढ़ाई की है। वह बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के भी छात्र रहे हैं। उन्होंने मुजफ्फरपुर से 12वीं की परीक्षा पास की थी। साल 2005 में वह पिपरा विधानसभा से विधायक चुने गए। साल 2010 में हरसिद्धि विधानसभा क्षेत्र से भी विधायक रह चुके हैं। वह बिहार सरकार में गन्ना उद्योग मंत्री हैं।

कृष्ण नंदन पासवान, गन्ना मंत्री बिहार। (दाएं से बाएं)

2020 का चुनाव कैसा था?

2020 के विधानसभा चुनावों में इस पार्टी से भारतीय जनता पार्टी के कृष्ण नंदन पासवान ने जीत हासिल की। उन्हें कुल 84615 वोट मिले। वोट शेयर 49.71 रहा। दूसरे नंबर पर राष्ट्रीय जनता दल के नेता कुमार नागेंद्र रहे। उन्हें 68,940 वोट पड़े। साल 2015 में इस विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल के राजेंद्र कुमार ने जीत हासिल की। उन्हें कुल 75203 वोट पड़े। बीजेपी के कृष्ण नंदन पासवान दूसरे नंबर पर 64936 वोटों के साथ रहे। साल 2010 के चुनाव में कृष्ण नंदन पासवान ने जीत हासिल की थी। उन्हें कुल 48130 वोट पड़े। आरजेडी के सुरेंद्र कुमार दूसरे नंबर पर रहे। उन्हें कुल 30066 वोट पड़े। 


विधानसभा सीट का इतिहास 

साल 1952 में इस विधानसभा सीट पर पहली बार यह चुनाव हुए। तब कांग्रेस पार्टी के हरिवंश सहाय यहां से विधायक चुने गए। साल 1957 में प्रतिभा देवी और 1962 में नागेश्वर दत्त पाठक चुने गए। दोनों कांग्रेस से ही थे। साल 1967 में पहली बार इस सीट पर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के उम्मीदवार एसएम अब्दुल्ला चुनावी मैदान में उतरे और जीत हासिल की। 

साल 1969 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर एक बार फिर नागेश्वर दत्त पाठक जीते। 1972 के चुनाव में मोहम्मद हिदायतुल्ला खान जीते। साल 1995 तक यह सीट कांग्रेस का गढ़ रही लेकिन फिर समता पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार जीते। अब यह सीट बीजेपी का गढ़ बन चुकी है।  

यह भी पढ़ें: पूर्णिया विधानसभा: क्या 20 साल बाद BJP का किला ढहा पाएगी कांग्रेस?

क्या रहे हैं अब तक विधानसभा चुनावों के नतीजे?

  • विधानसभा चुनाव 1952 - हरिबंश सहाय, इंडियन नेशनल कांग्रेस
  • विधानसभा चुनाव 1957 - परबती देवी, इंडियन नेशनल कांग्रेस  
  • विधानसभा चुनाव 1962 - नागेश्वर दत्त पाठक, इंडियन नेशनल कांग्रेस  
  • विधानसभा चुनाव 1967 - एस.एम. अब्दुल्ला, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया  
  • विधानसभा चुनाव 1969 - नागेश्वर दत्त पाठक, इंडियन नेशनल कांग्रेस  
  • विधानसभा चुनाव 1972 - मोहम्मद हिदायतुल्लाह खान, इंडियन नेशनल कांग्रेस  
  • विधानसभा चुनाव 1977 - यागुल किशोर प्रसाद सिंह, जनता पार्टी  
  • विधानसभा चुनाव 1980 - मोहम्मद हिदायतुल्लाह खान, इंडियन नेशनल कांग्रेस  
  • विधानसभा चुनाव 1995 - अवधेश प्रसाद कुशवाहा, जनता दल  
  • विधानसभा चुनाव 2000 - महेश्वर सिंह, समता पार्टी  
  • विधानसभा चुनाव 2005 (फरवरी) - अवधेश प्रसाद कुशवाहा, लोक जनशक्ति पार्टी  
  • विधानसभा चुनाव 2005 (नवंबर) - महेश्वर सिंह, समता पार्टी  
  • विधानसभा चुनाव 2010 - कृष्णनंदन पासवान, भारतीय जनता पार्टी  
  • विधानसभा चुनाव 2015 - राजेंद्र कुमार राम, राष्ट्रीय जनता दल  
  • विधानसभा चुनाव 2020 - कृष्णनंदन पासवान, भारतीय जनता पार्टी

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap