बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे चुनावी सरगर्मियां भी तेज हो रही है। कई नेताओं के दल-बदल और नॉमिनेशन वापस लेने का दौर भी चल रहा है। ऐसी ही सीट है गोपालगंज की जहां चुनाव काफी दिलचस्प हो गया है और वहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। यहां के समीकरण को समझने के लिए प्रशांत किशोर समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार के प्रभाव को समझना जरूरी है। गोपालगंज BJP का गढ़ रही है जिसे 2022 के उपचुनाव में बीजेपी की कुसुम देवी ने बहुत कम अंतर से जीता था। बीजेपी इस सीट को बरकरार रखने के लिए लड़ रही है। अभी यह स्थिति है कि PK ने एक निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन दिया है।
गोपालगंज से जन सुराज के प्रत्याशी शशि शेखर सिन्हा की नाम वापसी के बाद PK ने पलटवार की तैयारी की है। जन सुराज ने अनूप कुमार श्रीवास्तव को समर्थन दिया है। वह बीजेपी के संभावित पारंपरिक राजपूत/सवर्ण वोटों में सेंध लगा सकते हैं।
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पीके के आरोप
पीके ने बीजेपी पर यह आरोप लगाया है कि जन-सुराज के घोषित उम्मीदवार डॉ. शशि शेखर सिन्हा को पार्टी के दबाव में आकर पीछे हटने पर मजबूर किया। इसके बाद ही पीके ने निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान किया। इस कथित आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए PK ने कहा कि समर्थन केवल अनूप श्रीवास्तव के लिए नहीं, बल्कि बिहार में उम्मीदवारों के उत्पीड़न और नैतिकता को ताक पर रखने वाले बड़े नेताओं के खिलाफ एक मजबूत संदेश है। PK समर्थित उम्मीदवार अनूप कुमार श्रीवास्तव की एंट्री से मुकाबला अब त्रिकोणीय से कहीं अधिक जटिल खासकर बीजेपी के लिए हो गया है। BJP के लिए बड़ी चुनौती है क्योंकि गोपालगंज में राजपूत, वैश्य और ब्राह्मण वोट निर्णायक माने जाते हैं।
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इस समर्थन पर अनूप श्रीवास्तव ने कहा कि यह समर्थन उनके लिए नई उम्मीद और ऊर्जा का स्रोत है। उन्होंने जनता से अपील की कि क्षेत्र में न्याय की भावना को ध्यान में रखते हुए उन्हें सपोर्ट करें, ताकि बीजेपी की नाइंसाफी का जवाब दिया जा सके।
सीट के प्रमुख उम्मीदवार जिनके बीच है कड़ा मुकाबला
- सुभाष सिंह- बीजेपी, NDA के आधिकारिक उम्मीदवार।
- ओम प्रकाश गर्ग- कांग्रेस, महागठबंधन के आधिकारिक उम्मीदवार।
- अनूप कुमार श्रीवास्तव- निर्दलीय, बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष और बागी नेता। जन सुराज पार्टी का औपचारिक समर्थन प्राप्त।
कैसे बना कड़ा मुकाबला
अनूप श्रीवास्तव बीजेपी के ही नेता थे। वह 1973 से BJP के समर्पित कार्यकर्ता रहे हैं। बीजेपी से टिकट न मिलने के कारण पार्टी से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है। जन सुराज का उन्हें आधिकारिक उम्मीदवार घोषित करना और पूरी मदद का भरोसा दिलाया, इस सीट पर मुकाबले को RJD, जन सुराज समर्थित निर्दलीय और बीजेपी के बीच एक कड़ा मुकाबला बना देता है। जन सुराज का समर्थन मिलने से अनूप श्रीवास्तव का वोटों का प्रतिशत बढ़ सकता है। वह बीजेपी के सवर्ण (खासकर ब्राह्मण) वोटों में बड़ी सेंध लगा सकते हैं। इससे बीजेपी उम्मीदवार को सीधा नुकसान हो सकता है, जिससे RJD की जीत की संभावना बढ़ सकती है, या अनूप श्रीवास्तव खुद एक मजबूत दावेदार बन सकते हैं।