दिल्ली में विधानसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा हो चुकी है। बीजेपी और आम आदमी पार्टी आमने-सामने हैं. हालांकि, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं लेकिन दिल्ली चुनावों में दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं।
साल 1993 में दिल्ली विधानसभा के गठन के बाद से ही बीजेपी सिर्फ एक बार ही चुनाव जीत कर सरकार बना पाई। जिस साल विधानसभा का गठन हुआ यानी कि 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की और सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बनाया।
इसके बाद से 1998 से लेकर आज तक बीजेपी ने लोकसभा में बेहतरीन प्रदर्शन करने के बावजूद विधानसभा में जीत का मुंह नहीं देखा।
2013 के विधानसभा चुनावों में हालांकि, बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई थी लेकिन उस साल भी बहुमत के आंकड़े से यह पीछे थी।
70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में बहुमत के लिए 36 सीटों की जरूरत है लेकिन उस साल बीजेपी को कुल 32 सीटें ही हासिल हुई थीं, वहीं पहली बार चुनावी मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी को 28 सीटें मिली थीं और उसके पहले तक सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस को सिर्फ और सिर्फ 8 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था।
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बीजेपी ने बहुमत न होने के कारण सरकार बनाने से मना कर दिया तो कांग्रेस ने 28 सीटों वाली आम आदमी पार्टी को बिना शर्त के बाहर से समर्थन देने का प्रस्ताव दिया। पहले को आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का सपोर्ट लेने से मना कर दिया लेकिन फिर कांग्रेस का समर्थन लेकर सरकार बनाने के लिए राजी हो गई।
बढ़ रहा बीजेपी का वोट प्रतिशत
साल 2013 में बीजेपी का वोट प्रतिशत 33.07 था वहीं आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत 29.49 था। जबकि कांग्रेस को सिर्फ 24.55 प्रतिशत वोट ही मिले थे।
इसी तरह से 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट प्रतिशत 32.19 रहा जो कि पिछले विधानसभा चुनाव के लगभग बराबर ही था।
इसके बाद जब 2020 में दिल्ली के विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी का वोट प्रतिशत 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के वोट प्रतिशत 32 से बढ़कर सीधा 38 हो गया और आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत 54 से घटकर 53 हो गया। यह तुलनात्मक रूप से बीजेपी के लिए अच्छी बढ़त थी।
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क्या बीजेपी दे सकती है चुनौती
देखा जाए तो बीजेपी का बढ़ता वोट प्रतिशत आम आदमी पार्टी के लिए चुनौती हो सकता है। हालांकि, अगर गहराई से विश्लेषण करें तो 2020 में बीजेपी का जो वोट प्रतिशत बढ़ा था उसमें ज्यादातर कांग्रेस के वोटर्स बीजेपी की तरफ शिफ्ट हुए थे न कि आम आदमी पार्टी के क्योंकि आप का वोट सिर्फ एक प्रतिशत ही कम हुआ था, जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत 2015 में 9.65 से घटकर 2020 में 4.26 ही रह गया।
अब इस स्थिति में देखा जाए तो कांग्रेस का वोट प्रतिशत इससे ज्यादा घटने की संभावनाएं कम ही हैं तो फिर अगर बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ता है तो जाहिर सी बात है कि वह वोट आम आदमी पार्टी में से ही कटेगा, जो कि आप के लिए बड़ी चुनौती पैदा कर सकता है।
लेकिन अगर कांग्रेस का वोट दोबारा बीजेपी से कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो जाता है तो आम आदमी पार्टी के लिए रास्ता आसान हो जाएगा और बीजेपी के लिए लड़ाई उतनी ज्यादा मुश्किल हो जाएगी।
सभी वर्गों को साधने में लगी आप
आम आदमी पार्टी विधानसभा चुनाव के पहले सभी वर्गों को साधने में लगी हुई है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि दिल्ली के चुनाव में महिला और मिडिल क्लास बड़ी भूमिका निभाएंगे इसीलिए केजरीवाल ने एक के बाद एक घोषणाएं की हैं।
चाहे वह महिलाओं के अकाउंट में पैसे देने की बात हो, या फिर ऑटो रिक्शा वालों के 10 लाख के इंश्योरेंस और उनकी बेटी की शादी में एक लाख रुपये देने का वादा।
इसके अलावा केजरीवाल ने पुजारियों और ग्रंथियों के लिए 18 हजार रुपये प्रतिमाह 18 रुपये देने का भी वादा किया है। माना जा रहा है कि केजरीवाल ने यह घोषणा बीजेपी के हिंदुत्व की राजनीति को न्युट्रलाइज करने के लिए किया है।
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5 फरवरी को है चुनाव
चुनाव आयोग ने दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा कर दी है। दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और 8 फरवरी को मतों की गिनती की जाएगी। 8 फरवरी को सारी तस्वीर साफ हो जाएगी।