बिहार विधानसभा चुनावों के लिए जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने 57 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की लेकिन मुस्लिम चेहरों से दूरी बनाई। जेडीयू में अल्पसंख्यक नेताओं को एक अरसे से तक तरजीह मिलती रही, इस बार नीतीश कुमार अलग प्रयोग करते नजर आ रहा है। नीतीश कुमार ने गैर यादव जातियों को मौका दिया है। राष्ट्रीय जना दल और महागठबंधन के कोर वोट बैंक यादव और मुस्लिम उम्मीदवारों से दूरी बनाई है। 57 उम्मीदवारों से सिर्फ एक यादव उम्मीदवार को मौका मिला। आलमनगर से जेडूयी ने नरेंद्र नारायण यादव को मौका दिया है।
जेडीयू ने की पहली प्रत्याशी लिस्ट में कुर्मी, कुशवाहा (लव-कुश) और अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के नेताओं को खास तवज्जो दी गई है। इस सूची में किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को जगह नहीं मिली है। अब यही चर्चा छिड़ी है कि क्या नीतीश कुमार मुस्लिम मतदाताओं से दूर जा रहे हैं। वक्फ संशोधन अधिनियम पर केंद्र सरकार का साथ देने के बाद कई मुस्लिम संगठनों ने नीतीश कुमार से दूरी बनाई थी। कुछ नेताओं ने पार्टी भी छोड़ दी थी।
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ऐसा प्रयोग क्यों कर रहे हैं नीतीश कुमार?
2020 के विधानसभा चुनाव में JD(U) ने 11 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। इस बार की सूची में दरभंगा ग्रामीण, कांटी और डुमरांव जैसी सीटों पर गैर-मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मुस्लिम समुदाय वक्फ संशोधन अधनियम पर केंद्र के साथ की वजह से नीतीश कुमार से नाराज है। नीतीश कुमार इस बार चुनावी रिस्क नहीं लेना चाहते थे। 2020 में मुस्लिम उम्मीदवारों की हार के कारण इस बार यह फैसला लिया गया। कांटी में जेडूयी के मोहम्मद जमाल को केवल 13 फीसदी वोट मिले थे, जबकि RJD के उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी।
NDA की रणनीति क्या है?
एनडीए के सीट बंटवारे के तहत जेडीयू को 243 में से 101 सीटें मिली हैं। पार्टी की दूसरी सूची गुरुवार को जारी की जा सकती है। सूची में कुर्मी और कुशवाहा समुदाय के करीब 20 उम्मीदवार और ईबीसी से 9 उम्मीदवार शामिल हैं। 12 अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को आरक्षित सीटों पर उतारा गया है।
महिलाओं को मौका, पुराने नेताओं से दूरी
जेडीयू ने चार महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जिनमें मधेपुरा से कविता साहा, समस्तीपुर से आशा देवी, बिभूतिपुर से रवीना कुशवाहा और गायघाट से कोमल सिंह शामिल हैं। नीतीश कुमार की कोर वोटर मानी जाने वाली महिला मतदाताओं को लुभाने की कोशिश साफ दिख रही है। सूची में 23 मौजूदा विधायकों को फिर से मौका दिया गया है, जिनमें विजय कुमार चौधरी, बिजेंद्र प्रसाद यादव और श्रवण कुमार जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
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नीतीश कुमार ने नया प्रयोग क्या किया है?
नीतीश कुमार ने कुछ नए चेहरों को भी मौका दिया है। दरभंगा ग्रामीण से ईश्वर मंडल और जमालपुर से चविकेता मंडल को मौका दिया है। वहीं, कुछ पुराने विधायकों को हटाकर नई रणनीति अपनाई गई है। वारिसनगर से अशोक कुमार जैसे मौजूदा विधायक को टिकट नहीं मिला।
RJD की रणनीति से चुनौती क्या है?
जेडीयू की यह सूची RJD की बदलती रणनीति का जवाब भी मानी जा रही है। तेजस्वी यादव को अब पता है कि सिर्फ मुस्लिम-यादव समीकरण के जरिए उन्हें बिहार की सत्ता नहीं मिल सकती। उन्होंने भी कुशवाहा और कुर्मी समुदाय को लुभाने की कोशिश की है। साल 2024 के लोकसभा चुनाव में RJD ने 23 में से चार कुशवाहा उम्मीदवार उतारे थे।
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बीजेपी क्या दांव चल रही है?
भारतीय जनता पार्टी ने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को तरापुर से उतारा है। यह लंबे समय से जेडीयू के कब्जे वाली सीट रही है।
चुनावी कार्यक्रम क्या है?
बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर 2 चरणों में चुनाव होगा। पहले 121 सीटों पर 6 नवंबर को वोटिंग होगी, वहीं 122 विधानसभाओं पर दूसरे चरण के तहत 11 नवंबर को वोटिंग होगी।