बिहार की राजनीति में झंझारपुर विधानसभा सीट की पहचान कई कारणों से अलग है। यह सीट मधुबनी जिले के पूर्वी छोर पर दरभंगा की सीमा से लगी है और इसका बड़ा हिस्सा कोसी और कमला बलान नदी के बाढ़ प्रभावित इलाके में आता है। हर साल आने वाली बाढ़, सड़क और पुल-पुलियों की खराब स्थिति, सीमावर्ती सुरक्षा और उच्च शिक्षा के लिए बुनियादी ढांचे की मांग यहां के प्रमुख मुद्दे रहे हैं। मिथिला क्षेत्र के इस विधानसभा क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान काफी अच्छी है। यहां मैथिली भाषा का व्यापक उपयोग होता है और संस्कृति में पारंपरिक लोक कला व धार्मिक आस्था का गहरा प्रभाव देखा जा सकता है।
झंझारपुर विधानसभा सीट 2010 के परिसीमन से पूर्व भी अस्तित्व में थी और इसका इतिहास बहुत पुराना है। यह सीट झंझारपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और इसकी सीमाएं दरभंगा जिले से भी लगती हैं। पहले यह सीट कुछ अन्य क्षेत्रों के साथ मिलाकर झंझारपुर-सुपौल बेल्ट का हिस्सा हुआ करती थी। परिसीमन के बाद इस सीट का स्वरूप बदला लेकिन इसका राजनीतिक महत्व बरकरार रहा। यह क्षेत्र पूर्णतः ग्रामीण है। यहां की अधिकतर आबादी कृषि, पशुपालन और दैनिक मजदूरी पर निर्भर है।
यह भी पढ़ेंः वाल्मीकि नगर विधानसभा: धीरेंद्र सिंह का जलवा कायम रहेगा या होगा बदलाव?
मौजूदा समीकरण
झंझारपुर विधानसभा सीट से मौजूदा समय में बीजेपी के नितीश मिश्रा विधायक हैं। उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के राम नाराण यादव को हराकर यह सीट जीती। नितीश मिश्रा को कुल 94,854 वोट मिले थे और राम नारायण यादव को 53,066 वोट मिले थे। इस तरह से उन्होंने लगभग 40 हजार वोटों से जीत हासिल की। साल 2020 में इंडिया ब्लॉक का महागठबंधन था और उसी कोटे से सीपीआई के राम नारायण यादव को टिकट दिया गया था।
वर्तमान राजनीतिक स्थिति में एनडीए (बीजेपी और जेडीयू) का गठजोड़ अब फिर से बना है, और संभावना जताई जा रही है कि बीजेपी इस सीट से फिर दावा ठोकेगी। वहीं आरजेडी और कांग्रेस भी कोशिश इसे अपने पाले में करने की पूरी कोशिश करेगी।
हालांकि, बीजेपी की पकड़ यहां मजबूत मानी जा रही है, खासकर नगर परिषद और पंचायत स्तर पर उनके कार्यकर्ताओं का नेटवर्क काफी सक्रिय है, लेकिन आरजेडी भी बीजेपी को काउंटर करने के लिए तेज-तर्रार कैंडीडेट की तलाश जरूर करेगी।
विधायक का परिचय
नितीश मिश्रा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बिहार के पूर्व उपाध्यक्ष रह चुके हैं। वह एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आते हैं; उनके पिता जगन्नाथ मिश्रा बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे हैं और उनके चाचा ललित नारायण मिश्रा एक प्रसिद्ध राजनेता थे। वर्तमान में वह उद्योग मंत्री हैं।
नितीश मिश्रा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिहार में पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर्स की पढ़ाई पूरी की, जिसके बाद वे राजनीति में सक्रिय हुए। साल 2010 से 2015 के बीच वह ग्रामीण विकास मंत्री के रूप काम किया, वहीं साल 2008 से 2009 के बीच वह आपदा प्रबंधन विभाग के राज्यमंत्री रहे हैं साथ ही 2005 से 2008 के बीच वह गन्ना विभाग के राज्य मंत्री रहे हैं।
उन्होंने पटना के सेंट माइकल्स हाई स्कूल से स्कूली शिक्षा प्राप्त की, दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नातक की डिग्री ली और इसके बाद फ़ोर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, नई दिल्ली और नीदरलैंड्स के मास्ट्रिच स्कूल से एमबीए पूरा किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ हल (यूके) से वैश्विक राजनीतिक अर्थव्यवस्था में डिप्लोमा और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से 'एमर्जिंग लीडर्स प्रोग्राम' पूरा किया।
यह भी पढ़ें: ठाकुरगंज विधानसभा: क्या बरकरार रहेगा RJD का तिलिस्म या पलटेगी बाजी?
कब कौन जीता?
झंझारपुर सीट बिहार की उन पुरानी विधानसभा सीटों में से एक है, जिसका राजनीतिक इतिहास 1952 तक जाता है। यह सीट कई बार अपनी राजनीतिक दिशा बदलती रही है।
1977- धरमनाथ यादव - जेएनपी
1980- प्रभुनाथ सिंह- कांग्रेस
1985- रामदास राय- बीजेपी
1990- राजदेव प्रताप सिंह- जेडीयू
1995- रामदास राय- जेडीयू
2000- रामदास राय- आरजेडी
2005- नितीश मिश्रा- बीजेपी
2010- नितीश मिश्रा- जेडीयू
2015- गुलाब यादव- आरजेडी
2020- नितीश मिश्रा- बीजेपी
2005 के पहले तक कई पार्टियों ने जीत दर्ज की है, लेकिन उसके बाद से बीजेपी का वर्चस्व रहा है। अब इस बार देखना होगा कि इस सीट पर किसकी जीत होती है।