बिहार की ठाकुरगंज विधानसभा सीट किशनगंज जिले के अंतर्गत आती है। मुस्लिम बहुल इस सीट पर पांच बार कांग्रेस का दबदबा रहा। नेपाल सीमा से सटी ठाकुरगंज विधानसभा का अधिकांश हिस्सा ग्रामीण है। विधानसभा क्षेत्र से महानंदा, मेची और कनकई नदियां बहती हैं। बरसात में यहां जलभराव सबसे बड़ी समस्या होती है। 2020 के विधानसभा चुनाव में ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र में कुल 431 पोलिंग स्टेशनों की स्थापना की गई थी।
खेती-किसानी पर निर्भर ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र में केले और चाय की खेती खूब होती है। 1897 में ठाकुरगंज में खुदाई के दौरान भगवान शिव और मां पार्वती की मूर्तियां मिली थीं। माना जाता है कि पहले कनकपुर के नाम से प्रसिद्ध ठाकुरगंज का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। ऐसी मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां कुछ समय बिताया और आज भी महाभारत काल से जुड़े कई स्थान यहां मौजूद हैं।
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मौजूदा समीकरण
ठाकुरगंज विधानसभा सीट में लगभग 58 फीसदी आबादी मुस्लिमों की है। 2011 की जनगणना के मुताबिक इस विधानसभा क्षेत्र की लगभग 96.03 फीसदी आबादी ग्रामीण है। अनुसूचित जाति के लगभग 5.44 और अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं की संख्या लगभग 6.13 फीसदी है। अगर शहरी मतदाताओं की हिस्सेदारी की बात करें तो वह सिर्फ 3.97 फीसदी हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक ठाकुरगंज विधानसभा सीट में मतदाताओं की कुल संख्या 2,82,018 है। इस विधानसभा सीट पर किसी भी प्रत्याशी की हार जीत का फैसला काफी हद तक मुस्लिम मतदाताओं के हाथों में होती है। ऐसे में सभी दलों के लिए जातिगत समीकरण के साथ-साथ मुस्लिम मतदाताओं को साधना लाजिमी है।
2020 चुनाव का रिजल्ट
पिछले विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रत्याशी सौद आलम ने बाजी मारी थी। उन्हें कुल 79,909 वोट मिले थे। सौद आलम ने अपने प्रतिद्वंद्वी निर्दलीय उम्मीदवार गोपाल कुमार अग्रवाल को 23,887 मतों के अंतर से हराया था। अग्रवाल को 56,022 वोट मिले थे।
सौद आलम ने अकेले दम पर विधानसभा सीट की 42.1% फीसदी मतों पर कब्जा जमाया था। निर्दलीय गोपाल कुमार अग्रवाल को 29.5% फीसदी वोट मिले थे। दोनों के बीच हार जीत का अंतर 12.6 फीसदी का रहा। जेडीयू प्रत्याशी मोहम्मद नौशाद आलम को 22,082 मतों के साथ तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा।
मौजूदा विधायक का परिचय
ठाकुरंगज के मौजूदा विधायक सौद आलम के पास लगभग 63 लाख रुपये की संपत्ति है। विधानसभा चुनाव 2020 में अपने चुनावी हलफनामे में उन्होंने कृषि को अपना व्यवसाय बता रखा है। उनकी पत्नी गृहिणी हैं। विधायक सौद आलम पर कोई कर्जा नहीं है। हलफनामे के मुताबिक उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला भी दर्ज नहीं है। सौद आलम ने लखनऊ से स्नातक की पढ़ाई की है।
सीट का इतिहास
साल 1952 के विधानसभा चुनाव में पहली बार कांग्रेस की टिकट पर नंत कांत बसु ने चुनाव जीता। इस विधानसभा सीट से कांग्रेस नेता मोहम्मद हुसैन आजाद ने लगातार तीन बार और कुल पांच बार विधायक रहे। मोहम्मद सुलेमान और मोहम्मद जावेद दो-दो बार विधानसभा चुनाव जीते। जेडीयू की टिकट से सिर्फ एक बार नौशाद आलम ने कामयाबी हासिल की। नौशाद आलम एलजेपी से भी विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। 1995 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सिकंदर सिंह ने अपनी जीत का परचम लहराया था। यह ठाकुरगंज में भाजपा का पहली और अभी तक की आखिरी जीत है। बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी के अलावा जनता पार्टी, जनता दल, आरजेडी और समाजवादी पार्टी यहां से एक-एक बार विधानसभा चुनाव जीत चुकी है।
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ठाकुरगंज विधानसभा: कब-कौन जीता
साल |
विजेता |
पार्टी |
2020 |
सौद आलम |
आरजेडी |
2015 |
नौशाद आलम |
जेडीयू |
2010 |
नौशाद आलम |
एलजेपी |
2005 (अक्तूबर) |
गोपाल कुमार अग्रवाल |
समाजवादी पार्टी |
2005 (फरवरी) |
डॉ. मोहम्मद जावेद |
कांग्रेस |
2000 |
डॉ. मोहम्मद जावेद |
कांग्रेस |
1995 |
सिकंदर सिंह |
बीजेपी |
1990 |
मोहम्मद सुलेमान |
जनता दल |
1885 |
मोहम्मद हुसैन आजाद |
कांग्रेस |
1980 |
मोहम्मद हुसैन आजाद |
कांग्रेस (आई) |
1977 |
मोहम्मद सुलेमान |
जनता पार्टी |
1972 |
मोहम्मद हुसैन आजाद |
कांग्रेस |
1969 |
मोहम्मद हुसैन आजाद |
कांग्रेस |
1967 |
मोहम्मद हुसैन आजाद |
कांग्रेस |
1962 |
-- |
-- |
1957 |
-- |
-- |
1952 |
अनंत कांत बसु |
कांग्रेस |
नोट: आंकड़े भारत निर्वाचन आयोग