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झारखंड के इस गांव में पहली बार वोट करेंगे लोग, जानें वजह

आराहांगा गांव इसके पहले नक्सलियों के कब्जे में था। नक्सली कुंदन पाहन के नेतृत्व में नक्सली यहां अक्सर हिंसा करते थे। पहाड़ी इलाका होने की वजह से नक्सली ग्रामीणवासियों को को डराते थे, अपनी जान के डर से ग्रामीण मतदान करने के लिए नहीं निकलते थे।

Arahanga Village voting

आराहांगा गांव में पहले नक्सलियों का कब्जा था, Source- PTI

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झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार यानी 13 नवंबर को पहले चरण की वोटिंग जारी है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक सुबह 9 बजे तक 13.04 प्रतिशत मतदान हो चुका था। लोग बढ़-चढ़कर लोकतंत्र के इस महापर्व में हिस्सा ले रहे हैं। लेकिन राज्य की कुछ ऐसी भी सीटें हैं जो नक्सल प्रभावित हैं, मगर कई ऐसी हैं जो अब नक्सलियों के प्रभाव से मुक्त हो गई हैं।

 

रांची के तमाड़ थाना का आराहांगा गांव अतिनक्सल प्रभावित है। यहां के लोग तमाड़ विधानसभा क्षेत्र में पहली बार विधानसभा चुनाव के लिए अपने गांव के बूथ पर वोट कर रहे हैं। वोटिंग करने से ग्रामवासियों में काफी उत्साह है। चुनाव आयोग ने आराहांगा गांव में सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए हैं। यह गांव पहाड़ तराई में बसा है।

नक्सलियों के कब्जे में था गांव

 

आराहांगा गांव इसके पहले नक्सलियों के कब्जे में था। नक्सली कुंदन पाहन के नेतृत्व में नक्सली यहां हमेशा हिंसा करते थे। पहाड़ी इलाका होने की वजह से नक्सली ग्रामीणवासियों को को डराते थे, अपनी जान के डर से ग्रामीण मतदान करने के लिए नहीं निकलते थे। इलाके में जिला प्रशासन, रांची पुलिस और सीआरपीएफ सहित अन्य केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल को हमेशा लगाया जाता था, लेकिन नक्सली ग्रामीणों को इतना डराते थे कि वो अपनी जान जाने के डर से वोट करने नहीं जाते थे। 

सुरक्षा में परिंदा सेंध नहीं मार सकता 

 

रांची पुलिस ने जानकारी देते हुए कहा है कि इस बार केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल, झारखंड पुलिस रैप, जैप में बढ़ोतरी की गई है, जिससे सुरक्षा में अगर परिंदा भी सेंध मारने की कोशिश करे तो वह बच कर नहीं निकल सकता। हालांकि, झारखंड पुलिस के प्रयास से अब उस इलाके में नक्सलियों का पूरी तरह सफाया हो गया है।


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