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पूर्वी बिहार की 5 सीटों पर बड़ा फैक्टर है JMM, कैसे संभालेंगे तेजस्वी?

महागठबंधन के तमाम सहयोगियों में एक नाम JMM का भी है। कम से कम 5 सीटें ऐसी हैं जिन पर JMM के नेता लगातार प्रयास कर रहे हैं कि वे भी गठबंधन में हिस्सेदारी हासिल कर सकें।

hemant soren and tejashwi yadav

हेमंत सोरेन और तेजस्वी यादव, File Photo Credit: PTI

संजय सिंह, पटना: बिहार और झारखंड के लोगों के बीच रोटी-बेटी के रिश्ते के साथ-साथ कारोबारी संबंध भी हैं। भाषा, बोली, सांस्कृतिक रिश्ते भी एक जैसे हैं। इस चुनावी मौसम में झारखंड की राजनीति बिहार के पांच विधानसभा सीटों को प्रभावित करती है। इस पांचों विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी वोटर चुनावी बाजी पलटने का माद्दा रखते हैं। झारखंड के दो मंत्री संजय यादव और दीपिका पांडेय अपने-अपने दलों के उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। संजय राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के कोटे से तो दीपिका कांग्रेस कोटे से झारखंड में मंत्री हैं। दोनों कहलगांव विधानसभा में चुनाव प्रचार के लिए सक्रिय हैं। 

 

जमुई जिले के चकाई विधानसभा क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होता है। यहां से एक बार झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी चुनाव जीत चुके हैं। यहां 8.4 प्रतिशत आदिवासी वोटरों की बड़ी भूमिका हार जीत में होती है। इस विधानसभा क्षेत्र में यादव (28.8) और मुस्लिम (11.5) फीसद मतदाता हैं। तीसरे नंबर पर आदिवासी वोटरों की संख्या है। 2010 में सुमित सिंह झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के टिकट पर 188 वोट से जीते थे। 2020 में उन्हें टिकट नहीं मिला। निर्दलीय चुनाव लड़े और चुनाव जीतकर राज्य सरकार में मंत्री बने।

 

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सीमावर्ती इलाकों में है JMM का असर

 

कहलगांव विधानसभा क्षेत्र की सीमा झारखंड के गोड्डा जिले से सटी है। गोड्डा के आरजेडी विधायक और झारखंड में मंत्री संजय यादव की नजर कहलगांव सीट पर है। वह अपने बेटे को कहलगांव से आरजेडी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं। यहीं से कांग्रेस उम्मीदवार प्रवीण सिंह कुशवाहा भी दावेदार हैं। इस सीट पर लंबे समय तक कांग्रेस नेता सदानंद सिंह जीतते रहे हैं। प्रवीण सिंह के लिए झारखंड में कांग्रेस कोटे की मंत्री दीपिका पांडेय लगातार कैंपेन चला रही हैं।
 
बांका जिले के दो विधानसभा क्षेत्र कटोरिया और बेलहर में आदिवासी वोटरों की संख्या ठीक-ठाक है। 2020 और 2015 के चुनाव में JMM ने कटोरिया से अंजल हांसदा को उम्मीदवार बनाया था लेकिन वह तीसरे स्थान पर रहे। अनुसूचित जनजाति के लिए प्रदेश में कटोरिया और मनिहारी विधानसभा क्षेत्र सुरक्षित है। JMM लगातार इन सीटों को जीतने का प्रयास कर रही है पर सफलता नहीं मिली है।

 

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बेलहर विधानसभा क्षेत्र से कटोरिया के पूर्व विधायक राज किशोर प्रसाद ने 2015 में चुनाव लड़ा था। उन्हें मात्र दस हजार वोट से ही संतोष करना पड़ा। 2010 में सुरेंद्र गुप्ता को भी सफलता नहीं मिली। सफलता भले ही न मिले लेकिन JMM का दावा लगातार इन दोनों सीटों पर बरकरार है। कटिहार जिले का मनिहारी विधानसभा क्षेत्र भी झारखंड के साहबगंज जिले की सीमा को छूता है। विधानसभा के दो चुनाव में कांग्रेस के ही उम्मीदवार चुनाव जीतते रहे हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में 2015 और 2020 में JMM ने प्रत्याशी उतारा था लेकिन सफलता नहीं मिली।

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