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कहलगांव सीट: कांग्रेस बचा पाएगी अपना गढ़ या BJP का दबदबा रहेगा कायम

कहलगांव सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। लेकिन पिछली बार बीजेपी ने जीत हासिल की थी। ऐसे में यह माना जा रहा है कि बीजेपी कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगा सकती है।

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बिहार के भागलपुर जिले में स्थित कहलगांव काफी ऐतिहासिक जगह है जिसकी जड़ें 13 शताब्दी पूर्व की हैं। कहलगांव के ही अंतिचक गांव में स्थित अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विक्रमशिला महाविहार विश्वविद्यालय की स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल ने 8वीं सदी के अंत में की थी। इसी साल फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्थापना की घोषणा की उसके बाद इसे पुनर्जीवित करने के प्रयास तेज हो गए।

 

अंग्रेजों के काल में यह काफी बड़ा व्यापारिक केंद्र था और यहां नील की खेती के साथ साथ उसका भंडारण भी किया जाता था। गंगा के किनारे पर बसे इस शहर की मिट्टी काफी उपजाऊ है इसीलिए अंग्रेज यहां पर नील की खेती के लिए किसानों को मजबूर करते थे। हालांकि, 1985 में एनटीपीसी ने जब सुपर थर्मल पावर प्लांट की स्थापना की तो यहां की किस्मत काफी कुछ पलट गई और जिस इन्फ्रा का विकास होने में शायद वर्षों लग जाते उसका विकास कुछ ही समय में हो गया।

 

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इसके अलावा कहलगांव पर्यटन की दृष्टि से भी काफी महत्त्वपूर्ण है। इसका एक संबंध महाभारत काल से भी जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि इस स्थान का नाम महाभारत काल के ऋषि अष्टावक्र के पिता काशोल के नाम पर पड़ा। 1951 में स्थापित इस विधानसभा सीट में गोराडीह और सोनहोला प्रखंडों तथा 12 ग्राम पंचायतों और कहलगांव नगर पंचायत को मिलाकर बना है। 

मौजूदा राजनीति समीकरण

कहलगांव में 11.71% अनुसूचित जनजाति, 1.12% अनुसूचित जनजाति और 18.1% मुस्लिम मतदाता हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो 6.95% मतदाता ही शहरी क्षेत्र से आते हैं. यहां पर अब तक 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं जिसमें से सर्वाधिक 11 बार कांग्रेस ने ही जीत हासिल की है। इसके अलावा जनता दल ने दो बार, जबकि सीपीआई, एक निर्दलीय, जेडीयू, और बीजेपी ने एक-एक बार जीत दर्ज की है।

 

इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की लेकिन ज्यादातर कांग्रेस ही जीतती रही है।


2020 की स्थिति

पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पवन कुमार यादव ने जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के शुभानंद मुकेश को 42,893 मतों से हराया था। उन्हें कुल 1,15,538 वोट मिले थे जो कि कुल वोट प्रतिशत का 20.8 प्रतिशत था। वहीं कांग्रेस के शुभानंद मुकेश को 72,645 वोट मिले थे।

विधायक का परिचय

पवन कुमार यादव के पास करीब ढाई करोड़ की संपत्ति है। शिक्षा की बात करें तो वह 12वीं तक पढ़े हुए हैं। उन्होंने रामगढ़ कॉलेज (बीआईईसी, पटना) से कॉमर्स से 1989 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की।

 

आपराधिक मामलों की बात करें तो उनके ऊपर आपराधिक धमकी से लेकर जबरन वसूली और जालसाजी तक के मामले दर्ज हैं। हालांकि, अभी तक उनको किसी भी मामले में अपराधी घोषित नहीं किया गया है।

 

पवन कुमार यादव अपने बयानों को लेकर विवादों में भी रहे हैं। हाल ही में वह गोराडीह में एक सड़क का शिलान्यास करने के लिए गए थे जिस पर एक युवक ने उनसे सवाल कर दिया तो उन्होंने कहा कि 'ढेर पढ़ लिख लिया है का रे, इतना मारेंगे..'। इस बात को लेकर बवाल हो गया और कुछ लोगों ने बीच बचाव कराया।

इसके अलावा हाल ही में उन पर लगभग 2.20 करोड़ रुपये की वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप सामने आया। इस मामले में पटना हाई कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए उन्हें और अन्य आरोपियों को नोटिस जारी किया है। इसके बावजूद वे अपनी राजनीतिक सक्रियता बनाए हुए हैं और क्षेत्र की समस्याओं को विधानसभा में उठाने का प्रयास करते रहते हैं।


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विधानसभा का इतिहास

इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की। इसके पहले 2005 में जेडीयू ने जीत हासिल की थी। हालांकि, उसके बाद कांग्रेस फिर जीतती रही लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कांग्रेस के लिए भी जीत की राह आसान नहीं होगी। यह रही कहलगांव में जीतने वाले उम्मीदवारों की लिस्ट-

 

1952 - रामजनम माहतो (कांग्रेस)

1957 - भोला नाथ चौबे (कांग्रेस)

1962 - सैयद मक़बूल अहमद (कांग्रेस)

1967 - नागेश्वर प्रसाद सिंह (सीपीआई)

1969 - (कांग्रेस)

1972 - (कांग्रेस)

1977 - सदानंद सिंह (कांग्रेस)

1980 - (कांग्रेस)

1985 - निर्दलीय

1990 - महेश प्रसाद मंडल (जनता दल)

1995 - (कांग्रेस)

2000 - सदानंद सिंह (कांग्रेस)

2005 - अजय कुमार मंडल (जेडीयू)

2010 - सदानंद सिंह (कांग्रेस)

2015 - सदानंद सिंह (कांग्रेस)

2020 - पवन कुमार यादव (बीजेपी)



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