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कुम्हरार विधानसभा: 3 बार से BJP का बना अभेद किला, कभी नहीं जीत पाई RJD

पटना साहिब लोकसभा के अंतर्गत आने वाली कुम्हरार विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ है। जब से इस सीट पर चुनाव हुए हैं, तब से बीजेपी को हार का मुंह नहीं देखना पड़ा है।

Kumhrar Assembly constituency

कुम्हरार विधानसभा सीट। Photo Credit- Khabargaon

कुम्हरार विधानसभा सीट पटना जिले में आती है, जबकि इसकी लोकसभा पटना साहिब है। यह एक शहरी सीट है, जहां की अबादी 100 फीसदी शहरी है। कुम्हरार गंगा नदी के तट के किनारे बसा हुआ इलाका है। कुम्हरार की पटना से दूरी महज 8 किलोमीटर है, जिसकी वजह से यहां के हजारों लोग राजधानी पटना के प्रमुख इलाकों में जाकर नौकरी और बिजनेस करते हैं। कुम्हरार का क्षेत्र प्राचीन पाटलिपुत्र की याद दिलाता है, यह कभी मौर्य साम्राज्य का केंद्र रहा था। यहां पटना नगर निगम के 8 वार्ड हैं। मगर, इलाके के कुछ मुद्दे हैं जो हमेशा चर्चा में रहे हैं। ये मुद्दे- ट्रैफिक, कचरा प्रबंधन, बुनियादी सुविधाएं और रोजगार हैं।

 

जब से यह सीट अस्तित्व में आई है तब से ही यह बीजेपी का गढ़ रही है। यहां से कोई भी पार्टी बीजेपी को हरा नहीं पाई है। कुम्हरार विधानसभा का समाजिक समीकरण ऐसा है कि यहां की जनता हर बार बीजेपी के पक्ष में वोट करती है।

 

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मौजूदा समीकरण?

कुम्हरार विधानसभा सीट साल 2010 से ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कब्जे में है। यहां से अरुण कुमार सिन्हा 2010 से बीजेपी के विधायक हैं। कुम्हरार विधानसभा के सामाजिक समीकरण की बात करें तो यहां 2011 की जनगणना के मुताबिक, अनुसूचित जाति 7.07 फीसदी, राजपूत 12 फीसदी, 11.6 फीसदी मुस्लिम 10 फीसदी ब्राह्मण के अलावा अतिपिछड़ा वर्ग की अच्छी-खासी संख्या है। इस सीट पर यादव वोटरों की संख्या महज 2.2 फीसदी है।

2020 में क्या हुआ था?

कुम्हरार विधानसभा सीट पर 2020 में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में बीजेपी के अरुण कुमार सिन्हा ने आरजेडी के धर्मेंद्र कुमार को बड़े वोटों के मार्जिन से हराया था। हार का अंतर 26,463 वोटों का था। बीजेपी के अरुण सिन्हा ने 54.0 फीसदी वोट पाते हुए 81,400 वोट हासिल किया था, जबकि धर्मेंद्र कुमार को 54,937 वोट मिले। इस सीट पर जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष और पूर्णिया के सांसद पप्पू यादव भी चुनाव लड़े थे। उनको शर्मनाक हार मिली थी।

 

पप्पू यादव अपनी पार्टी जन अधिकार पार्टी के टिकट पर कुम्हरार से उम्मीदवार थे। उनको महज 4,333 वोट मिले थे।

 

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विधायक का परिचय

मौजूदा विधायक अरुण कुमार सिन्हा कुम्हरार से लगातार तीन बार से विधायक हैं। वह यहां से सबसे पहले 2010 में बीजेपी के टिकट पर विधायक बने थे। 74 साल के सिन्हा इससे पहले साल 2005 में विधायकी का चुनाव जीत चुके हैं। चुने गए थे। अरुण सिन्हा बिहार बीजेपी के पुराने और दिग्गज नेता शुमार किए जाते हैं।

 

अरुण कुमार सिन्हा की पढ़ाई की बात करें तो वह कानून के छात्र रहे हैं। उन्होंने साल 1982 में पटना लॉ कॉलेज से LLB की डिग्री हासिल की थी। 2020 के उनके चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में उनका वेतन है। पिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास 3 करोड़ रुपये की संपत्ति है।

विधानसभा सीट का इतिहास

कुम्हरार विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र संसदीय एवं विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन आदेश के बाद साल 2008 में अस्तित्व में आई थी। इस पर अभी तक कुल 3 ही चुनाव हुए हैं। कुम्हरार को पहले पटना सेंट्रल विधानसभा क्षेत्र कहा जाता था, लेकिन परिसीमन के बाद इसका नाम बदलकर कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र कर दिया गया। इस सीट पर कायस्थ जाति का दबदबा है। कुम्हरार विधानसभा सीट पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।

 

2010- अरुण कुमार सिन्हा (बीजेपी)

2015- अरुण कुमार सिन्हा (बीजेपी)

2020- अरुण कुमार सिन्हा (बीजेपी)

 

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