मसौढ़ी विधानसभा सीट बिहार की राजधानी पटना में आती है। यह सीट आरक्षित है। यह पटना जिले का एक सब-डिवीजन है। मसौढ़ी पटना के दक्षिणी भाग में बसा है। मसौढ़ी से राजधानी की दूरी 34 किलोमीटर है। इसके अलावा यहां से जहानाबाद जिला मुख्यालय 20 किलोमीटर और गया जिला मुख्यालय की दूरी 60 किलोमीटर है। पुनपुन नदी यहीं से होकर बहती है। विधानसभा में पीएलएस कॉलेज है। वहीं, यहां मां काली मंदिर मसौढ़ी, हनुमान मंदिर तारेगना आदि धार्मिक स्थल हैं। हालांकि, मसौढ़ी में मूलभूत सुविधाओं की कमी के साथ में यहां उच्च शिक्षा के लिए ढांचे की मांग होती रही है।
पटना के नजदीक होने की वजह से मसौढ़ी में धीरे-धीरे शहरीकरण और जनसंख्या में बढोतरी हो रही है।
राजनौतिक लिहाज से मसौढ़ी काफी महत्वपूर्ण सीट है। यहां बीजेपी को आज तक जीत नसीब नहीं हुई है। बीजेपी के गठन से पहले साल 1969 में जरूर भारतीय जन संघ के राम देवन दास ने जीत हासिल की थी। इस सीट पर 1995 से अबतक लालू प्रसाद यादव की आरजेडी और नीतीश कुमार की जेडीयू का कब्जा रहा है। दोनों दलों ने यहां किसी तीसरे दल को जीतने से रोके रखा है। हालांकि, इस बार के चुनाव में आरजेडी और जेडीयू के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है।
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सामाजिक समीकरण
मसौढ़ी विधानसभा सीट पिछली बाद आरजेडी ने जीती थी। यहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा 22.14 फीसदी, राजपूत 16 फीसदी, यादव 6 फीसदी, ब्राह्मण 6 फीसदी और मुस्लिम मतदाता लगभग 5 फीसदी हैं। आरजेडी 2015 और 2020 के सामाजिक समीकरण को साधकर दोनों चुनाव जीतने में कामयाब रही है।
2020 में क्या हुआ था?
मसौढ़ी विधानसभा सीट को 2020 में राष्ट्रीय जनता दल ने जीता था। जेडीयू दूसरे नंबर पर रही थी। आरजेडी की रेखा देवी यहां से जीतकर बिहार विधानसभा में लगातार दूसरी बाद दाखिल हुई थीं। उन्होंने जेडीयू की नूतन पासवान को बड़े वोटों के मार्जिन से हराया था। हार का अंतर 32,227 वोटों का था। आरजेडी की रेखा देवी ने 50.21 फीसदी मत पाते हुए 98,696 वोट हासिल किए थे, जबकि नूतन पासवान को 66,469 वोट से ही संतोष करना पड़ा था। इस सीट पर तब के दिवंगत रामविलास पासवान की पार्टी LJP के उम्मीदवार परशुराम कुमार को 9,682 वोट और बसपा के राज कुमार राम को 5,412 वोट मिले थे।
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विधायक का परिचय
मौजूदा विधायक रेखा देवी मसौढ़ी की ही रहने वाली हैं। वह यहां की स्थानीय निवासी हैं। उन्होंने 2015 के चुनाव में भी नूतन पासवान को हराया था। नूतन उस समय हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं। 2015 के चुनाव में रेखा देवी लगभग 40 हजार वोटों से जीती थीं। उनके करियर को देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि आरजेडी इस बार भी उनपर भरोसा जता सकती है। रेखा देवी की पढ़ाई की बात करें तो वह 7 कक्षा पास हैं। 2020 के उनके चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में उनका वेतन है। पिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास एक करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है।
विधानसभा सीट का इतिहास
मसौढ़ी विधानसभा क्षेत्र की स्थापना साल 1957 में हुई थी। 2008 के परिसीमन के बाद इस सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया था। मसौढ़ी में 1957 और 1962 के चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी। इसके बाद दो चुनाव सीपीआई ने जीते थे। कांग्रेस इसके बाद 1985 का चुनाव जीती, मगर इसके बाद कांग्रेस मसौढ़ी से आजतक चुनाव नहीं जीत पाई। यह विधानसभा क्षेत्र मसौढ़ी और धनरुआ विकासखंडों से मिलकर बना है, जो दोनों मसौढ़ी अनुमंडल के अधीन आते हैं।
1957- नवल किशोर सिंह (कांग्रेस)
1962- सरस्वती चौधरी (कांग्रेस)
1967- भुवनेश्वर शर्मा (सीपीआई)
1969- राम देवन दास (भारतीय जन संघ)
1972- भुवनेश्वर शर्मा (सीपीआई)
1977- रामदेव प्रसाद यादव (जनता पार्टी)
1980- गणेश प्रसाद सिंह (जनता पार्टी सेक्युलर)
1985- पूनम देवी (कांग्रेस)
1990- योगेश्वर गोप (इंडियन पीपुल्स फ्रंट)
1995- गणेश प्रसाद सिंह (जनता दल)
2000- धरमेंद्र प्रयाद यादव (आरजेडी)
2005- पूनम देवी (जेडीयू)
2005- पूनम देवी (जेडीयू)
2010- अरुण माझी (जेडीयू)
2015- रेखा देवी (आरजेडी)
2020- रेखा देवी (आरजेडी)