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फुलवारी विधानसभा: वामपंथ की जड़ें मजबूत, NDA को मिलेगी कामयाबी?

फुलवारी विधानसभा सीट जेडीयू के दिग्गज नेता श्याम रजक की सीट है। वह पिछली बार का विधानसभा चुनाव हार गए थे। यहां सीपीआई (ML)L ने जीत हासिल की थी।

Phulwari Assembly constituency

फुलवारी विधानसभा सीट। Photo Credit- Khabargaon

फुलवारी विधानसभा सीट बिहार की राजधानी पटना में आती है और पाटलीपुत्र लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यह सीट अनुसूचित जनजाति के आरक्षित है। फुलवारी विधानसभा की स्थापना साल 1977 में हुई थी। पहले चुनाव में जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। फुलवारी पटना के ग्रामीण इलाकों में आता है, मगर इसकी पटना से दूरी बेहद नजदीक है। यह फुलवारी और पुनपुन ब्लॉक के बीच दो भागों में है। फुलवारी, पटना सदर और पुनपुन मसौढ़ी उपखंड का हिस्सा है। फुलवारी अतीत में मगध साम्राज्य का हिस्सा था लेकिन बाद में यह मुस्लिम शासकों के अधीन आ गया। मध्यकाल में फुलवारी में कई सूफी संत आए, इसलिए आज भी यहां कई ऐतिहासिक मस्जिदें और दरगाहें हैं।

 

मगर, आज फुलवारी पटना का मुख्य हिस्सा होने के कारण विकास के रास्ते पर चल पड़ा है। पटना एम्स यहीं है। यहां लगातार शहरीकरण हो रहा है। देखा जाए तो यह आज के समय में पटना के सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वालो इलाकों में से एक है। फुलवारी रेल और सड़क नेटवर्क के जरिए भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ हैफुलवारी शरीफ रेलवे स्टेशन से पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेन चलती हैंपटना का जय प्रकाश नारायण एयरपोर्ट फुलवारी के नजदीक है

 

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मौजूदा समीकरण?

फुलवारी विधानसभा सीट बिहार की उन सीटों में से है, जहां बीजेपी का कमल आजतक नहीं खिल पाया है। पिछली बार के चुनाव यानी 2020 में यहां से सीपीआई (ML) ने जीत दर्ज की थी। उससे पहले दो बार (2010-15) जेडीयू ने जीत हासिल की थी, जबकि उससे पहले (2000-2010) आरजेडी से जीती थी। यहां कांग्रेस के अलावा समाजवादी दलों ने जीत हासिल की है। यहां के मौजूदा समीकरण के आंकड़ों पर नजर डालें तो फुलवारी में सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति के वोटर हैं। इसमें 23.45 फीसदी एससी,14.9 फीसदी मुस्लिम, 15 फीसदी राजपूत, 8 फीसदी यादव वोटर हैं।

 

इस बार सीपीआई-एमएल का आरजेडी और कांग्रेस से गठबंधन है। पिछली बार के प्रदर्शन को देखते हुए हुए इस बार उम्मीद जताई जा रही है कि एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला हो सकता है।

2020 में क्या हुआ था?

फुलवारी विधानसभा सीट पर 2020 में भाकपा (माले-लिबरेशन) ने जीत दर्ज की थी। जेडीयू दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में CPI-(ML)L से गोपाल रविदास ने जेडीयू के अरुण मांझी को बड़े वोटों के मार्जिन से हराया था। हार का अंतर 13,857 वोटों का था। CPI-(ML)L के गोपाल रविदास ने 43.57 फीसदी वोट पाते हुए 91,124 वोट हासिल किया था, जबकि अरुण मांझी को 77,267 वोट मिले। वहीं, इस सीट पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM की प्रत्याशी कुमारी प्रतिभा को 5,019 वोट मिले थे। इसके अलावा भारतीय लोक चेतना पार्टी के कमलेश कांत चौधरी को 3,885 वोट मिले थे।

 

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विधायक का परिचय

मौजूदा विधायक गोपाल रविदास 2020 में फुलवारी से पहले बार विधायक बने थे। वह बिहार में पार्टी के पुराने नेताओं में गिने जाते हैं। गोपाल रविदास की पढ़ाई की बात करें तो वह ग्रेजुएट हैं। उन्होंने 1987 में पटना विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की परीक्षा पास की थी। 2020 के उनके चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में उनका वेतन है। पिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास 1.59 लाख रुपये की संपत्ति है।

विधानसभा सीट का इतिहास

फुलवारी विधानसभा सीट पर अबतक 12 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। आरजेडी ने यहां चार बार, कांग्रेस ने तीन बार और जेडीयू ने दो बार जीत हासिल की है। इसके अलावा जनता पार्टी, जनता दल और भाकपा (माले-लिबरेशन) को भी एक-एक बार जीत मिली है।

 

1977- रामप्रीत पासवान (जनता दल)

1980- संजीव प्रसाद टोनी (कांग्रेस)

1985- संजीव प्रसाद टोनी (कांग्रेस)

1990- संजीव प्रसाद टोनी (कांग्रेस)

1995- श्याम रजक (जनता दल)

2000- श्याम रजक (आरजेडी)

2005- श्याम रजक (आरजेडी)

2005- श्याम रजक (आरजेडी)

2009- उदय कुमार (आरजेडी)

2010- श्याम रजक (जेडीयू)

2015- श्याम रजक (जेडीयू)

2020- गोपाल रविदास CPI(ML)L

 

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