पटना साहिब, बिहार की राजधानी पटना की 14 विधानसभाओं में से एक है। सिखों के10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह का जन्म यहां हुआ था। आनंदपुर साहिब जाने से पहले तक, गुरु गोबिंद सिंह यहां रहे थे। गुरुनानक और गुरु तेग बहादुर भी यहां आ चुके हैं। यह शहर जितना ऐतिहासिक है, उतना ही राजनीतिक तौर पर अहम है। यह सीट, भारतीय जनता पार्टी का गढ़ है। विधानसभा की सीट संख्या 184 है।
साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई। साल 2010 से लेकर अब तक यहां कुल 3 चुनाव हुए हैं। 2010 के विधानसभा चुनाव में यहां से नंद किशोर यादव लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं।
पटना साहिब की ज्यादातर आबादी शहरी है। यह बिहार की सबसे वीआईपी विधानसभाओं में से एक है। इसे पहले पूर्व पटना के तौर पर भी लोग जानते थे। साल 1957 से लेकर 2008 तक यह अस्तित्व में थी। यह बिहार की राजधानी पटना का मुख्य क्षेत्र है।
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सामाजिक समीकरण
पटना साहिब सीट पर 17 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं लेकिन यह सीट, बीजेपी का गढ़ है। यहां जतीय समीकरण से ज्यादा हिंदुत्व का मुद्दा हावी रहा है। यहां भी कायस्थ समुदाय प्रभावी है। यह राजधानी क्षेत्र में है इसलिए यहां की स्थिति दूसरी विधानसभाओं की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर है।
विधानसभा के मुद्दे क्या हैं?
पटना साहिब शहरी विधानसभा है फिर भी जनसंख्या के हिसाब से कॉलेज की कमी का मुद्दा उठता रहता है। लोग उच्च शिक्षा के लिए पलायन पर निर्भर हैं। युवाओं के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार और उद्योग की कमी है। सरकारी अस्पतालों और मेडिकल सुविधाओं की कमी का मुद्दा भी उठता है। बारिश के दिनों में जलजमाव का भी मुद्दा उठता है। मंडियों में पानी बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं। पटना में कुल ववोटरों की संख्या 378771 है। 181065 महिला और 197681 पुरुष मतदाता हैं। 25 थर्ड जेंडर मतदाता हैं।
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विधायक का परिचय
नंदर किशोर यादव बिहार विधानसभा के स्पीकर हैं। उनकी गिनती, बिहार के दिग्गज नेताओं में होती है। वह नीतीश कुमार सरकार में कई अहम मंत्रालयों को संभाल चुके हैं। स्पीकर बनने से पहले उनके पास सड़क निर्माण और स्वास्थ्य विभाग भी रह चुका था। वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे हैं। वह प्राक्कलन समिति के भी अध्यक्ष रहे हैं।
नंद किशोर यादव 26 अगस्त 1953 को हुआ था। वह खाजेकलां के रहने वाले हैं। उन्होंने कॉलेज ऑफ कॉमर्स, मगध विश्वविद्यालय से साल 1974 में ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे। लोक नायक जय प्रकाश नारायण की अपील पर उन्होंने अंतिम साल की परीक्षा छोड़ दी थी और आंदोलन में कूद पड़े थे। उनकी कुल संपत्ति 18 करोड़ 84 लाख से ज्यादा है। आपातकाल के दौरान उन्हें जेल भी हुई थी।
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सीट का इतिहास
साल 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां पहली बार नंदर किशोर यादव विधायक चुने गए। साल 2015 के चुनाव में भी उन्हें ही जीत मिली। 2020 के चुनाव में भी नंद किशोर यादव जीते। चौथी बार भी बीजेपी उन्हें उतार सकती है। 2010 में उन्होंने कांग्रेस के परवेज अहमद को चुनाव में हराया था। जीत का अंतर 65 हजार से ज्यादा था। 2015 में उन्होंने आरजेडी के संतोष मेहता हराया था। इस बार जीत का अंतर सिर्फ 2792 रहा। 2020 में भी नतीजे इकतरफा ही रहे।
- विधानसभा चुनाव 2010: नंद किशोर यादव, बीजेपी
- विधानसभा चुनाव 2015: नंद किशोर यादव, बीजेपी
- विधानसभा चुनाव 2020: नंद किशोर यादव, बीजेपी