मोकामा: अनंत सिंह के गढ़ में कौन देगा टक्कर?
मोकामा विधानसभा सीट, बिहार के बाहुबली विधायक अनंत सिंह का गढ़ है। इस बार यहां क्या समीकरण बन रहे हैं, क्या माहौल है, मुद्दे क्या हैं, सब जानते हैं।

मोकामा विधानसभा। (Photo Credit: Khabargaon)
बिहार के बाहुबलियों में सबसे चर्चित नाम अनंत सिंह, मोकामा विधानसभा से हैं। यह विधानसभा पटना की 14 विधानसभाओं में से एक है। अनंत सिंह की पत्नी पत्नी नीलम देवी, मोकमा विधानसभा से विधायक हैं। साल 2020 के चुनाव में यहां से जीत तो अनंत सिंह को मिली थी लेकिन एक मामले में दोषी पाए जाने की वजह से कोर्ट ने उनकी विधायकी रद्द कर दी थी। यह सीट, किसी पार्टी नहीं बल्कि अनंत सिंह का गढ़ है। अनंत सिंह, जब भी जेल से बाहर आते हैं, अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं।
मोकामा विधानसभा के तहत के अंतर्गत घोसवारी, मोकामा और पंडारक ब्लॉक की 11 ग्राम पंचायतें शामिल हैं। मोकामा का इतिहास अंग्रेजों के खिलाफ बगावत से जुड़ा है तो बाहुबलियों के खूनी संघर्षों का भी गवाह रहा है। मोकामा की धरती क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी की धरती है, जिन्होंने ब्रिटिश मजिस्ट्रेट किंग्सफोर्ड की हत्या की नाकाम कोशिश की, जिसके बाद वह अमर हो गए।
क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी का कहना था कि मरते दम तक अंग्रेजों के हाथों में नहीं आएंगे। उन्होंने गिरफ्तारी से बचने के लिए मोकामा घाट रेलवे स्टेशन पर पर खुदकुशी कर ली थी। उनकी खुदकुशी ने मोकामा में क्रांतिकारी आंदोलन भड़का दिया। साल 1942 में महात्मा गांधी ने भी मोकमा का दौरा किया था।
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विधानसभा का परिचय
मोकामा बिहार का औद्योगिक केंद्र रहा है। यह देश का दूसरा सबसे बड़ा मसूर दाल उत्पादक इलाका है। यहां कई छोटी-मोटी फैक्ट्रियां हैं, जहां बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है। यहां अच्छी खेती होती है। मोकामा पटना जिले में गंगा नदी के दक्षिणी हिस्से पर है। यहां धान, गेहूं और गन्ने की खेती होती है। मोकामा में कुल मतदाताओं की संख्या 290513 है। यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या 152039 है, वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 138471 है। 3 थर्ड जेंडर तमदाता भी हैं।
विधानसभा के मुद्दे क्या हैं?
मोकामा की आपराधिक घटनाएं, बिहार सरकार के लिए अब भी परेशानी का सबब बनी हुई हैं। यहां बाहुबलियों का राज अब भी है। 35 साल से अपराध और अपहरण का दंश यहां फल-फूल रहा था, 2010 के बाद हालात कुछ सुधरे हैं। यहां सुरजभान सिंह और अनंत सिंह जैसे बाहुबली रहे हैं। अपराध, बेरोजगारी और पलायन यहां के बड़े मुद्दे हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे भी हावी हैं।
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विधायक का परिचय
नीलम देवी, अनंत सिंह की पत्नी हैं। वह बिहार की मोकमा विधानसभा सीट से विधायक हैं। साल 2022 में हुए उपचुनाव में वह आरजेडी के टिकट पर विधायक चुनी गईं। यह उनके पति अनंत कुमार सिंह की सीट है। यह उपचुनाव उनके पति और पूर्व विधायक अनंत कुमार सिंह के अयोग्य घोषित होने के बाद हुआ था। नीलम देवी ने इससे पहले 2019 में मुंगेर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था। उनका जन्म 11 फरवरी 1971 हुआ था। वह आठवीं तक पढ़ी हैं। 2022 के हलफनामे के मुताबिक उनके पास 80 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है, 29 करोड़ से ज्यादा कर्ज है।
2020 में कैसा था चुनाव?
2020 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर यहां से अनंत कुमार चुनाव जीते। वह 2005 से लगातार चुनाव जीत रहे हैं। उन्हें कुल 78721 वोट पड़े। उन्होंने जेडूयी के राजीव लोचन नारायण सिंह को करारी हार दी। उन्हें 42964 वोट पड़े थे। तीसरे नंबर पर लोक जनशक्ति पार्टी के सुरेश सिंह निषाद थे। उन्हें कुल 13331 वोट पड़े। अवैध हथियार रखने के आरोप में अनंत सिंह को सजा हुई तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। साल 2022 में यहां उपचुनाव हुआ। राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर नीलम देवी यहां से जीतीं। वह अनंत सिंह की पत्नी हैं। बीजेपी ने इस सीट से सोनम देवी को उतारा था। नीलम देवी को 79744 वोट पड़े। बीजेपी की सोनम देवी को 63003 वोट मिले। जीत का अंतर सिर्फ 16,741 रह गया।
अब क्या समीकरण बन रहे हैं?
अनंत सिंह की फिर जेडीयू में वापसी होती नजर आ रही है। 2025 में एक बार फिर वह चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी उनकी दावेदारी का विरोध भी नहीं करेगी। मोकामा में एक बार फिर गेंद अनंत सिंह के पाले में जाती नजर आ रही है। यह विधानसभा भूमिहार प्रभावी क्षेत्र है। यादव और ठाकुर मतदाता भी अहम भूमिका निभाते हैं। नीलम देवी, भूमिहार समाज से आती हैं। उनके पति अनंत सिंह यहां छोटे सरकार के तौर पर जाने जाते हैं। उनके परिवार का 1990 से ही इस सीट पर दबदबा है।
2025 का सियासी समीकरण
हाल ही में अनंत सिंह जेल से रिहा हुए और अब नीतीश कुमार की जद(यू) की ओर झुक रहे हैं। 2025 में उनकी उम्मीदवारी लगभग तय मानी जा रही है। उनकी ताकत ऐसी है कि बीजेपी भी उनका विरोध करने से कतराती है। मोकामा में एनडीए या इंडिया गठबंधन किसी भी खेमे से चुनावी मैदान में अनंत सिंह उतरें, विरोधी को कड़ी चुनौती मिल सकती है।
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विधानसभा का इतिहास
साल 1951 में यह विधानसभा अस्तित्व में आई थी। 1952 में पहली बार इस विधानसभा सीट से नवल किशोर यहां से पहली बार विधायक बने। वह कांग्रेस पार्टी से थे। फिर नंदन प्रसाद सिंह और कामेश्व प्रसाद सिंह जैसे नेता आए। यह विधानसभा 35 साल से लगातार बाहुबलियों के कब्जे में है। चाहे 'बड़े सरकार' दिलीप सिंह हों या उनके बेटे 'छोटे सरकार' अनंत सिंह, मोकामा से बाहुबलियों का कब्जा कभी खत्म नहीं हुआ।
- 1952: नवल किशोर सिंह, कांग्रेस
- 1957: नवल किशोर सिंह, कांग्रेस
- 1962: सरयू नंदन प्रसाद सिंह, निर्दलीय
- 1967: बी लाल, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया
- 1969: कामेश्वर प्रसाद सिंह, कांग्रेस
- 1972: कृष्णा शाही, कांग्रेस
- 1977: कृष्णा शाही, कांग्रेस
- 1980: श्याम सुंदर सिंह धीरज, कांग्रेस
- 1985: श्याम सुंदर सिंह धीरज, कांग्रेस
- 1990: दिलीप कुमार सिंह, जनता दल
- 1995: दिलीप कुमार सिंह, जनता दल
- 2000: सूरजभान सिंह, निर्दलीय
- फरवरी 2005: अनंत कुमार सिंह, JDU
- अक्टूबर 2005 अनंत कुमार सिंह, JDU
- 2010: अनंत कुमार सिंह, JDU
- 2015: अनंत कुमार सिंह, निर्दलीय
- 2020: अनंत कुमार सिंह, RJD
- 2022 (उपचुनाव): नीलम देवी, RJD
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