बिहार के नालंदा जिले में पड़ने वाली नालंदा विधानसभा हाई प्रोफाइल सीट में गिनी जाती है। नालंदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला है और उनका प्रभाव यहां काफी है। लगभग तीन दशकों से नीतीश की पार्टी का ही यहां कब्जा रहा है। नालंदा में कभी कांग्रेस और निर्दलीय के बीच लड़ाई होती थी लेकिन 90 के दशक के बाद से ही यहां समता पार्टी और फिर जेडीयू का कब्जा रहा है।
नालंदा वही जगह है जहां दुनिया की सबसे पहली यूनिवर्सिटी थी। इसे 12वीं सदी में बख्तियार खिलजी ने जला दिया था।
नालंदा जिला 1972 में पटना से अलग करके बनाया गया था। नालंदा में पहली बार 1977 में विधानसभा चुनाव हुए थे। यहां अब तक 11 बार चुनाव हो चुके हैं। इनमें से 7 बार समता पार्टी और जेडीयू जीती है।
मौजूदा समीकरण
नालंदा सीट पर कुर्मी, यादव और पिछड़ा वर्ग निर्णायक भूमिका में हैं। इनके अलावा सामान्य वर्ग और दलितों की भी अच्छी-खासी तादाद है। नीतीश कुमार का गृह जिला होने के नाते जेडीयू को इसका फायदा मिलता रहा है। यहां की जनता नीतीश कुमार पर भरोसा जताती है। हालांकि, मौजूदा विधायक श्रवण कुमार से लोग थोड़े नाराज हैं। इसके बावजूद नीतीश के चेहरे के दम पर जेडीयू की जीत यहां लगभग तय मानी जा सकती है।
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2020 में क्या हुआ था?
पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू के श्रवण कुमार ने लगातार 7वीं बार नालंदा से जीत हासिल की थी। उन्होंने जनतांत्रिक विकास पार्टी के कौशलेंद्र कुमार को 16,077 वोटों से हराया था। श्रवण कुमार को 66,066 और कौशलेंद्र कुमार को 49,989 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर कांग्रेस उम्मीदवार गुंजन पटेल रही थीं, जिन्हें 17,293 वोट हासिल हुए थे।
विधायक का परिचय
मौजूदा विधायक श्रवण कुमार को सीएम नीतीश कुमार के करीबियों में गिना जाता है। श्रवण कुमार समता पार्टी के समय से ही नीतीश कुमार के साथ जुड़े हुए हैं।
बिहार के कई राजनेताओं की तरह ही श्रवण कुमार का राजनीतिक करियर भी जेपी आंदोलन से शुरू हुआ था। साल 1995 और 2000 का चुनाव उन्होंने समता पार्टी के टिकट पर जीता था। श्रवण कुमार को हमेशा भारी अंतर से जीत मिली है। हालांकि, 2015 के चुनाव में उन्होंने सिर्फ 3 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीता था। तब बीजेपी के कौशलेंद्र कुमार ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी।
श्रवण कुमार अभी नीतीश सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री हैं। पिछली सरकारों में भी वह मंत्री रहे हैं। श्रवण कुमार हाल ही में तब चर्चा में आए थे, जब वे हिलसा के मलवां गांव गए थे और ग्रामीणों ने उन पर हमला कर दिया था।
2020 में चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामे में श्रवण कुमार ने अपने पास 2.39 करोड़ रुपये की संपत्ति होने की जानकारी दी थी। श्रवण कुमार ने 12वीं तक पढ़ाई की है।
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विधानसभा का इतिहास
इस सीट पर पहली बार 1977 में चुनाव हुए थे। पहले 4 चुनावों में 2-2 बार कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई थी। उसके बाद से समता पार्टी और जेडीयू जीत रही है।
- 1977: श्याम सुंदर प्रसाद (कांग्रेस)
- 1980: राम नरेश सिंह (निर्दलीय)
- 1985: श्याम सुंदर प्रसाद (कांग्रेस)
- 1990: राम नरेश सिंह (निर्दलीय)
- 1995: श्रवण कुमार (समता पार्टी)
- 2000: श्रवण कुमार (समता पार्टी)
- 2005: श्रवण कुमार (जेडीयू)
- 2005: श्रवण कुमार (जेडीयू)
- 2010: श्रवण कुमार (जेडीयू)
- 2015: श्रवण कुमार (जेडीयू)
- 2020: श्रवण कुमार (जेडीयू)