संजय सिंह, पटना: बिहार में विधानसभा का चुनाव एलान होने में अब बहुत कम समय बचा है। चुनाव की घोषणा से पहले अभी तक दोनों ही गठबंधनों में सीटों का बंटवारा नहीं हो पाया है। सत्ताधारी नेशनल डेमोक्रैटिक अलायंस (NDA) और विपक्षी महागठबंधन में शामिल दल अपनी-अपनी ओर से पुरजोर कोशिश कर रहे हैं कि ज्यादा से ज्यादा सीटें ले सकें। उधर चर्चा है कि कांग्रेस ने लगभग 40 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम भी तय कर लिए हैं जबकि अभी तक गठबंधन में सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। दूसरी तरफ, NDA में शामिल दल अपनी-अपनी जीती हुई सीटें तो जरूर अपने पास रखना चाहते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस ने जिन प्रत्याशियों के नाम तय किए हैं, उनके नामों की घोषणा इस शर्त पर की जाएगी कि अगर उस सीट पर गठबंधन के सहयोगी दल लड़ते हैं तो पार्टी के उम्मीदवार को संबंधित प्रत्याशी की मदद करनी होगी। खींचतान की स्थिति एनडीए और महागठबंधन दोनों के बीच है। दोनों गठबंधनों का शीर्ष नेतृत्व इस समस्या से कैसे निपटेगा यह वक्त बताएगा लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि टिकट की घोषणा के बाद दल छोड़ने और पकड़ने का खेल शुरू होगा।
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कांग्रेस अध्यक्ष का विरोध
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम का आरजेडी समर्थकों ने विरोध किया। वह देव प्रखंड के पथरा गांव में आवासीय विद्यालय का शिलान्यास करने गए थे। इसी दौरान हाथों में पार्टी का झंडा और बैनर लिए खड़े आरजेडी कार्यकर्ता राजेश राम को देखते ही मुर्दाबाद और गो बैक का नारा लगाने लगे। पुलिस और सुरक्षाबलों ने मामले को समझा-बुझाकर शांत किया। राजेश राम वहां किसी तरह अपनी बात रखकर निकल गए। खगड़िया की सीट पर भी आरजेडी और कांग्रेस दोनों ने दावा ठोक रखा है। इस सीट पर पिछले चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार ने बाजी मारी थी। बेगूसराय की मटिहानी सीट पर भी कांग्रेस की नजर है। साहबगंज की सीट पर भी खींचतान जारी है। पिछले चुनाव में यहां से वीआईपी के उम्मीदवार विजयी हुए थे। जीत के बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए। वीआईपी फिर से इस सीट पर अपना दावा ठोक रही है।
एनडीए में भी खींचतान
एनडीए में भी सीटों को लेकर खींचतान जारी है। लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास और उपेंद्र कुशवाहा को जीतने वाली सीटें चाहिए। 83 सीटों पर इस तरह का विवाद है लेकिन चुनाव नजदीक आते-आते कोई न कोई रास्ता निकल जाएगा। पिछले चुनाव में टेकारी सीट पर HAM के अनिल कुमार की जीत हुई थी। इस बार LJP(RV) इस सीट को लेने के लिए जिद पकड़ रही है। मुजफ्फरपुर के गायघाट सीट पर भी LJP और JDU की दावेदारी है।
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लखीसराय जिले के सूर्यगढ़ा में विधायक प्रहलाद यादव का मामला अटका हुआ है। मोतिहारी की BJP की सीट पर JDU ने दावेदारी कर रखी है। भागलपुर जिले के कहलगांव और वीरपुर का मामला स्पष्ट होता नहीं दिख रहा है। दोनों जगहों पर BJP के विधायक हैं लेकिन सीट के लिए JDU ने दावेदारी ठोक रखी है । चाहे एनडीए हो या इंडिया एलायंस, इसके घटक दल एक दूसरे की सीटें छीनने पर उतारू हैं। हालांकि, दोनों पक्ष मान रहे हैं कि अंत तक मामला सुलझ जाएगा और सीटों के बंटवारे में सबकी पूरी सहमति रहेगी।
कांग्रेस की तैयारी पूरी
कांग्रेस ने सीट बंटवारे से पहले ही अपनी तैयारी पूरी कर ली है। कुछ पुराने विधायकों का चेहरा या क्षेत्र बदल सकता है। पार्टी ने 36 से 40 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का नाम लगभग तय कर लिया है। दुर्गा पूजा के बाद नामों की घोषणा कर दी जाएगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस बार चुनाव में नए चेहरों को मौका दिया जाएगा। कांग्रेस इस बार का चुनाव मजबूती के साथ लड़ना चाहती है। पार्टी की मंशा है कि ज्यादा से ज्यादा सीटें बढ़े। सिर्फ आरजेडी की छत्रछाया में रहकर पार्टी का विस्तार संभव नहीं है। अब तक महागठबंधन में सीट शेयरिंग का मामला फाइनल नहीं हुआ है। इसके बावजूद पार्टी का मानना है कि नामों की घोषणा कर दी जाएगी। अगर वह सीट गठबंधन के खाते में गई तो संबंधित उम्मीदवार को चुनाव मैदान से हटकर गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में खुलकर चुनाव प्रचार करना होगा। इससे पैर खींचने की संभावना बढ़ेगी।