भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह पिछले एक महीने से खूब चर्चा में हैं। पहले वह टीवी शी 'राइज एंड फॉल' की वजह से चर्चा में थे और अब लगता है कि वह अपने राजनीतिक 'फॉल' को 'राइज' में बदलने की तैयारी कर रहे हैं। पवन सिंह मंगलवार को उन्हीं उपेंद्र कुशवाहा से मिलने पहुंचे जिनके खिलाफ वह लोकसभा का चुनाव लड़ गए थे। तब उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ चुनाव लड़ने के चलते भारतीय जनता पार्टी (BJP) से उन्हें निकाल दिया गया था। अब बीजेपी नेता विनोद तावड़े ने कहा है कि पवन सिंह बीजेपी में थे और बीजेपी में ही रहेंगे।
पहले चर्चा थी कि पवन सिंह अब उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, मंगलवार को जब पवन सिंह नई दिल्ली में उपेंद्र कुशवाहा के घर पहुंचे तो उनके साथ बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और बीजेपी नेता ऋतुराज सिन्हा भी उनके साथ थे। कभी उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ ही ताल ठोंकने वाले पवन सिंह ने कुशवाहा को शॉल ओढ़ाकर, पैर छूकर और बुके देकर उनका अभिवादन किया।
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क्या बोले विनोद तावड़े?
पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा की इस मुलाकात के मौके पर विनोद तावड़े ने जो कहा, वह अब चर्चा का विषय बन गया है। विनोद तावड़े ने कहा, 'पवन जी, बीजेपी में हैं और बीजेपी में रहेंगे। आदरणीय उपेंद्र कुशवाहा जी ने उन्हें शुभकामना और आशीर्वाद दिया है। आने वाले चुनाव में पवन जी बीजेपी के कार्यकर्ता के रूप में एनडीए के लिए सक्रियता से काम करेंगे।'
लोकसभा चुनाव में पवन सिंह के साथ क्या हुआ था?
2024 के लोकसभा चुनाव में पवन सिंह को बीजेपी ने पहले तो पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से टिकट दिया था। हालांकि, बाद में उन्होंने आसनसोल से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। पवन सिंह को उम्मीद थी कि कहीं और से उन्हें टिकट दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पवन सिंह चुनाव लड़ने का एलान कर चुके थे लेकिन बीजेपी की ओर से उन्हें कोई आश्वासन नहीं मिल रहा था। ऐसे में उन्होंने एलान कर दिया कि वह चुनाव तो जरूर लड़ेंगे। चुनाव लड़ने और गठबंधन का पालन न करने की वजह से बीजेपी ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था।
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चुनाव लड़ने के लिए पवन सिंह ने अपने ही लोकसभा क्षेत्र काराकाट को चुना। कहा जाता है कि पवन सिंह पहले भी यही सीट चाहते थे लेकिन बीजेपी उपेंद्र कुशवाहा के चलते उन्हें यह सीट नहीं दे सकी। उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा पार्टी एनडीए का हिस्सा है और लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा इसी सीट से लड़ रहे थे। ऐसे में पवन सिंह को टिकट मिलने का सवाल ही नहीं था।
नतीजा यह हुआ कि पवन सिंह निर्दलीय ही चुनाव लड़ गए। साल 2014 से 2019 तक काराकाट के सांसद रहे उपेंद्र कुशवाहा को उम्मीद थी कि वह इस बार को चुनाव जीत ही जाएंगे। हालांकि, पवन सिंह के चुनाव लड़ने से सारे समीकरण बदल गए। पवन सिंह खुद तो चुनाव नहीं जीते लेकिन उनके चलते उपेंद्र कुशवाहा भी चुनाव हार गए। यहां से CPI (माले) के राजा राम सिंह कुशवाहा चुनाव जीते और उन्हें 3,80,581 वोट मिले। वहीं, पवन सिंह दूसरे नंबर पर रहे और उन्हें उपेंद्र कुशवाहा से भी ज्यादा वोट मिले। उपेंद्र कुशवाहा तीसरे नंबर पर खिसक गए और उन्हें 253,876 वोट मिले।