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परबत्ता सीट: क्या जेडीयू मारेगी हैट्रिक या आरजेडी करेगी जीत दर्ज?

परबत्ता विधानसभा सीट पर जेडीयू का कब्जा रहा है। बीच-बीच में आरजेडी भी जीतती रही है। इस बार मुकाबला कड़ा होने वाला है।

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उपजाऊ भूमि वाले परबत्ता विधानसभा की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि रही है। यहां से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर गंगा बहती है जो कि प्राचीन काल से ही परिवहन और व्यापार का एक साधन हुआ करती थी। गंगा किनारे बसा होने के कारण यहां की भूमि काफी उपजाऊ है। यह खगड़िया जिले में पड़ता है।

 

परबत्ता सामान्य सीट है। यह खगड़िया के छह खंडों में से एक है। इसकी स्थापना 1951 में हुई थी लेकिन 2008 में परिसीमन के बाद इस विधानसभा में परबत्ता प्रखंड के साथ-साथ रतन, गोगरी, जमालपुर उत्तर, जमालपुर दक्षिण, रामपुर, मुस्कीपुर, पसाहा, बसुदेओपुर, इतहरी, शेरचकला, पैकांत, देवथा, गौछारी, मदारपुर पंचायतें और गोगरी प्रखंड का गोगरी-जमालपुर नगर क्षेत्र शामिल हैं।

 

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राजनीतिक समीकरण

परबत्ता विधासनभा में अनुसूचित जाति के मतदाता 6.96% और मुस्लिम मतदाता 11.8% हैं। इस सीट पर शुरूआती दौर में तो कांग्रेस का दबदबा रहा लेकिन बाद में जेडीयू ने इस पर कब्जा जमा लिया। पिछले दो बार से इस सीट पर जेडीयू ही जीत दर्ज कर रही है। हालांकि, साल 2020 में जीत का अंतर बहुत कम रहा लेकिन फिर भी जेडीयू के संजीव कुमार सिंह ने आरजेडी के संजीव कुमार सिंह को हराकर जीत दर्ज की।

2020 में क्या रहा

पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू के संजीव कुमार सिंह ने जीत दर्ज की। दूसरे स्थान पर आरजेडी के दिगंबर प्रसाद तिवारी रहे और तीसरे स्थान पर एलजेपी के आदित्य कुमार श्योर रहे। आदित्य कुमार को कुल 11,576 वोट मिले जबकि आरजेडी उम्मीदवार को 76,275 वोट मिले। जीत दर्ज करने वाले जेडीयू कैंडीडेट को 77,226 वोट मिले जो कि कुल डाले गए मतों का 41.6 प्रतिशत था।

 

जेडीयू और आरजेडी के बीच जीत का अंतर एक हजार से भी कम वोटों का था। अगर चिराग पासवान ने अपना कैंडीडेट अलग से न उतारा होता और एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ा होता तो जीत का अंतर ज्यादा होता। बिल्कुल इसी तरह का रोमांचक मुकाबला 2010 में भी देखने को मिला था जब आरजेडी ने 808 वोटों से जेडीयू को हराया था।

विधायक का परिचय

डॉ. संजीव कुमार ने MBBS की पढ़ाई K.E.M. Hospital & Seth G.S. Medical College, मुंबई से पूरी की; साथ ही Post-Graduate Diploma in Hospital Management भी किया। उनके चुनावी हलफनामे के अनुसार कुल परिसंपत्ति लगभग ₹19,87,81,906 (≈19.9 करोड़) दर्ज है और देनदारियां लगभग ₹1,92,43,060 (≈1.92 करोड़) हैं। उनके ऊपर करीब 7 आपराधिक मामले दर्ज हैं; इनमें चुनाव सम्बंधी धाराएं और कुछ IPC धाराएं (जैसे 323, 34 इत्यादि) शामिल हैं। उन्होंने बिहार में शराबबंदी के अनुपालन और प्रभाव पर सवाल उठाए हैं और जेडीयू MLC के औरंगजेब सम्बन्धी विवादित बयानों पर कड़ा रुख अपनाया है।

 

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विधानसभा का इतिहास

शुरुआती दौर में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है, लेकिन बाद में जेडीयू और आजेडी का इस पर कब्जा हो गया।


1952 - त्रिवेणी कुमार (सोशलिस्ट पार्टी)
1957 - लक्ष्मी देवी (कांग्रेस)
1962 - एस. सी. मिश्रा (कांग्रेस)
1967 - सतीश प्रसाद सिंह (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)
1969 - जगदम्ब प्रसाद मंडल (कांग्रेस)
1972 - शिवकांत मिश्रा (कांग्रेस)
1977 - नईम अख्तर (निर्दलीय)
1980 - राम चन्द्र मिश्रा (कांग्रेस)
1985 - राम चन्द्र मिश्रा (कांग्रेस)
1990 - विद्या सागर निषाद (जनता दल)
1995 - विद्या सागर निषाद (जनता दल)
2000 - सम्राट चौधरी (आरजेडी)
2004 - रामानन्द प्रसाद सिंह (जेडीयू)
2005 - रामानन्द प्रसाद सिंह (जेडीयू)
2010 - सम्राट चौधरी (आरजेडी)
2015 - रामानन्द प्रसाद सिंह (जेडीयू)
2020 - संजीव कुमार (जेडीयू)



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