बिहार की परिहार विधानसभा सीट काफी दिलचस्प है। यह शिवहर जिले में आती है लेकिन सीतामढ़ी लोकसभा सीट का हिस्सा है। इस सीट का राजनीतिक इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई थी।
परिहार नाम का संबंध 'प्रतिहार' वंश से माना जाता है। यह एक राजपूत वंश था, जिसकी उत्पत्ति भगवान राम के भाई लक्ष्मण से जुड़ी मानी जाती है। प्रतिहार का मतलब होता है द्वारपाल।
मौजूदा समीकरण
इस सीट पर MY यानी मुस्लिम और यादव समीकरण काम करता है। यहां करीब 26 फीसदी मुस्लिम आबादी है। वहीं, 17 फीसदी आबादी यादव और 26 फीसदी महादलित है। यहां अब तक तीन विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और तीनों ही बार बीजेपी ने यहां से जीत हासिल की है। यहां बीजेपी की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है।
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2020 में क्या हुआ था?
पिछले दो बार से यहां से बीजेपी की गायत्री देवी जीत रहीं हैं। 2020 के चुनाव में गायत्री देवी ने आरजेडी की रितु जायसवाल को महज 1,569 वोटों से हराया था। गायत्री देवी को 43.4 फीसदी और रितु जायसवाल को 42.5 फीसदी वोट मिले थे।
विधायक का परिचय
गायत्री देवी दो बार की विधायक हैं। 2015 में उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था और करीब 4 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीता था। 2020 के चुनाव में भी उन्होंने सिर्फ 15सौ वोटों के अंतर से चुनाव जीता।
गायत्री देवी बीजेपी के पूर्व विधायक राम नरेश यादव की पत्नी हैं। राम नरेश यादव ही पहले परिहार सीट से विधायक थे। 2015 में उन्हें गन फायरिंग के एक केस में दोषी करार दिया गया था। उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद गायत्री देवी को टिकट दिया गया था।
2020 के चुनाव में दाखिल हलफनामे में गायत्री देवी ने बताया था कि उनके पास 2.55 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है।
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विधानसभा का इतिहास
इस सीट पर अब तक तीन बार विधानसभा चुनाव हुए हैं और तीनों ही बार बीजेपी जीती है। पहली बार 2010 में चुनाव हुए थे, तब रामनरेश यादव यहां से जीते थे। पिछले दो चुनाव से उनकी पत्नी यहां से जीत रहीं हैं।
- 2010: रामनरेश यादव (बीजेपी)
- 2015: गायत्री देवी (बीजेपी)
- 2020: गायत्री देवी (बीजेपी)