राजपुर विधानसभा क्षेत्र, बिहार के रोहतास और बक्सर जिलों में फैला एक विशिष्ट ग्रामीण इलाका है, जो अपनी सामाजिक विविधता, राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और भौगोलिक विशेषताओं के लिए जाना जाता है। सोन और गंगा नदियों के बीच स्थित यह उपजाऊ क्षेत्र मुख्यतः कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पर निर्भर है। इसमें रोहतास जिले का राजपुर ब्लॉक, बक्सर जिले का इटाढ़ी ब्लॉक तथा डुमरांव के कुछ पंचायत क्षेत्र शामिल हैं।
1977 में स्थापित राजपुर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और बक्सर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यह क्षेत्र राजनीतिक रूप से अत्यंत दिलचस्प रहा है, क्योंकि यहां मतदाताओं ने किसी भी दल का स्थायी वर्चस्व नहीं बनाने दिया। अब तक हुए 11 विधानसभा चुनावों में जेडीयू ने चार बार, बीजेपी और कांग्रेस ने दो-दो बार, जबकि जनता पार्टी, सीपीआई और बीएसपी ने एक-एक बार जीत दर्ज की है। 2020 में कांग्रेस के विश्वनाथ राम ने जेडीयू के संतोष कुमार निराला को हराकर पार्टी को 40 साल बाद इस सीट पर विजय दिलाई।
यह भी पढ़ें: घोसी विधानसभा: 38 साल तक सत्ता में रहने वाला परिवार वापसी कर पाएगा?
मौजूदा समीकरण
2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में इस क्षेत्र की अहमियत और बढ़ गई है। कांग्रेस जहां अपनी पिछली जीत को दोहराने की कोशिश में है, वहीं एनडीए को यहां अपनी रणनीति नए सिरे से गढ़नी होगी। 2024 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी की बक्सर सीट पर जीत ने समीकरणों को और जटिल बना दिया है, जिससे राजपुर एक बार फिर राजनीतिक संघर्ष का केंद्र बनने जा रहा है।
इस सीट पर बीजेपी और जेडीयू की अच्छी पकड़ रही है, लेकिन पिछले विधानसभा में कांग्रेस का जीतना उनके लिए खतरे की घंटी हो सकती है। हालांकि, राजपुर से जन सुराज ने धनंजय पासवान को टिकट दिया है। जन सुराज ने पिछड़ा और अति पिछड़ा पर काफी फोकस किया है, जो कि इस बार आरजेडी के लिए खतरा हो सकता है।
2020 में क्या रहा?
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विश्वनाथ राम को जीत मिली। उन्हें कुल 67,871 वोट मिले जो कि कुल वोटों का 36.8 % था। दूसरे स्थान पर जेडीयू के संतोष कुमार निराला रहे जिन्हें कुल 46,667 वोट मिले। इस तरह से उन्होंने लगभग 21,000 वोटों से जीत हासिल की।
विधायक का परिचय
विश्वनाथ राम, बिहार के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और राजपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। वे अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं और लंबे समय से क्षेत्रीय राजनीति में सक्रिय रहे हैं। विश्वनाथ राम का राजनीतिक आधार मुख्यतः दलित और पिछड़े वर्गों में मजबूत माना जाता है। उनका राजनीतिक सफर गांव-स्तर से शुरू होकर विधानसभा तक पहुंचा, जिससे वे स्थानीय जनता के बीच ‘जमीनी नेता’ के रूप में पहचाने जाते हैं।
2025 के आगामी चुनाव में कांग्रेस की ओर से फिर से उनकी दावेदारी लगभग तय मानी जा रही है। विश्वनाथ राम ने 1989 में मगध विश्वविद्यालय के बी.डी. ईवनिंग कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। 2020 के उनके हलफनामे के अनुसार उनके द्वारा प्रस्तुत हलफनामे के अनुसार, उन पर कोई भी आपराधिक आरोप नहीं हैं।
संपत्ति की बात करें तो उनके पास कुल संपत्ति लगभग 76,40,680 रुपये है, जिसमें लगभग 8,50,000 रुपये की देनदारी भी शामिल है। इसमें लगभग 17,46,694 रुपये की चल संपत्ति, लगभग 2,00,000 रुपये के सोने के गहने और 13,50,000 रुपये के चांदी के गहने हैं। 2020 के उनके हलफनामे के अनुसार उनके द्वारा प्रस्तुत हलफनामे के अनुसार, उन पर कोई भी आपराधिक आरोप नहीं हैं।
वह शुरू से ही बीजेपी से जुडे़ रहे हैं लेकिन एनडीए गठबंधन में यह सीट जेडीयू के हिस्से में जाने की वजह से उनको कभी मौका नहीं मिला। 2015 में जब बीजेपी-जेडीयू गठबंधन टूटा तो वह पहली बार बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन जेडीयू के उम्मीदवार संतोष निराला के सामने चुनाव हार गए।
साल 2020 में जब फिर से जेडीयू-एनडीए गठबंधन बना तो उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर लिया और चुनाव जीत गए। उनके पिता राम नारायण राम 1985 और 1990 में बीजेपी के टिकट पर विधायक रहे हैं।
यह भी पढ़ें: ओबरा विधानसभा: 45 साल से यहां नहीं जीता NDA, क्या इस बार होगी वापसी?
विधानसभा का इतिहास
इस सीट पर शुरुआत में जनता पार्टी और कांग्रेस का कब्जा रहा है। उसके बाद बीजेपी ने इस पर अपना वर्चस्व जमा लिया। हालांकि, बहुत लंबे समय तक कोई भी एक पार्टी इस सीट पर नहीं जम सकी। इस सीट पर आगामी चुनाव 6 नवंबर 2025 को होना है।
1977: नंद किशोर प्रसाद (जनता पार्टी)
1980: चतुरी राम (कांग्रेस)
1985: राम नारायण राम (भाजपा)
1990: राम नारायण राम (भाजपा)
1995: अर्जुन राम (सीपीआई)
2000: छेदी लाल राम (बहुजन समाज पार्टी)
2005: श्याम पायरी देवी (जनता दल (यूनाइटेड))
2010: संतोष कुमार निराला (जनता दल (यूनाइटेड))
2015: संतोष कुमार निराला (जनता दल (यूनाइटेड))
2020: विश्वनाथ राम (कांग्रेस)