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रीगा विधानसभा सीटः BJP-JDU की दोस्ती फिर पड़ेगी RJD-कांग्रेस पर भारी?

रीगा विधानसभा सीट पर अब तक तीन चुनाव हुए हैं, जिनमें से दो बार बीजेपी की जीत हुई है। यहां बीजेपी-जेडीयू के साथ आने पर गठबंधन को भारी समर्थन मिलता है।

riga assembly seat

रीगा विधानसभा सीट, Photo Credit- KhabarGaon

बिहार की रीगा विधानसभा सीट ज्यादा पुरानी नहीं है। अब तक सिर्फ तीन बार ही चुनाव हुए हैं। तीन में से दो बार बीजेपी की जीत हुई है। 2008 के परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई थी। यह शिवहर लोकसभा सीट के दायरे में आती है। यहां की 90 फीसदी आबादी अब भी गांवों में बसी है और विकास अब भी यहां तक बहुत सीमित है।

 

रीगा सीट बिहार के सीतामढ़ी जिले में पड़ती है। यह मिथिला की विरासत से जुड़ी हुई है, जिसे मां सीता का जन्मस्थान माना जाता है। इसे नेपाल का एंट्री गेट भी कहा जाता है।

मौजूदा समीकरण

रीगा सीट पर अनुमानित 15 फीसदी आबादी मुस्लिम हैं और लगभग 14 फीसदी अनुसूचित जाति हैं। मौजूदा समय में बीजेपी के मोतीलाल प्रसाद यहां से विधायक हैं। मोतीलाल प्रसाद नीतीश सरकार में मंत्री भी हैं। माना जा रहा है कि मोतीलाल प्रसाद इस बार भी चुनाव लड़ेंगे। अगर कोई बड़ा राजनीतिक उलटफेर नहीं हुआ तो मोतीलाल प्रसाद की जीत तय मानी जा सकती है। जब-जब बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा है, तब-तब इस गठबंधन को रीगा में भारी समर्थन मिला है। 2015 में बीजेपी और जेडीयू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था और यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई थी। 2010 और 2020 में साथ मिलकर लड़ने से हर बार यहां बीजेपी की जीत हुई।

 

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2020 में क्या हुआ था?

2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के मोतीलाल प्रसाद ने कांग्रेस के अमित कुमार को 32 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। मोतीलाल प्रसाद को 95,226 यानी 53.3 फीसदी वोट मिले थे। जबकि, कांग्रेस के अमित कुमार को 62,731 यानी 35 फीसदी वोट मिले थे।

विधायक का परिचय

मोतीलाल प्रसाद 2010 और 2020 के चुनाव में रीगा सीट से जीत चुके हैं। इसी साल फरवरी में उन्हें नीतीश सरकार में बीजेपी के कोटे से मंत्री बनाया गया है।

 

मोतीलाल प्रसाद को RSS का करीबी माना जाता है। जनसंघ से उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत की थी। उनके पिता किसान थे। 2010 के चुनाव में उन्होंने पहली बार इस सीट पर चुनाव जीता। 2015 के चुनाव में जेडीयू के बीजेपी से अलग होकर महागठबंधन के साथ मिलकर लड़ने के कारण इस सीट पर उन्हें हार मिली। हालांकि, 2020 में जब जेडीयू और बीजेपी फिर साथ आए तो उन्होंने भारी अंतर से जीतकर वापसी की।

 

2020 में चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामे में उन्होंने बताया था कि उनके पास 1.10 करोड़ रुपये की संपत्ति है। उनके खिलाफ 4 क्रिमिनल केस दर्ज हैं।

 

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विधानसभा का इतिहास

2008 के परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई थी। 2010 में यहां पहली बार चुनाव हुए थे। अब तक तीन चुनाव हो चुके हैं। 

  • 2010: मोतीलाल प्रसाद (बीजेपी)
  • 2015: अमित कुमार (कांग्रेस)
  • 2020: मोतीलाल प्रसाद (बीजेपी)

 

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