महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में इस बार शरद पवार एक बहुत बड़ा फैक्टर बताए जा रहे हैं। कई बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे शरद पवार इस बार राजनीतिक वजूद साबित करने की लड़ाई भी लड़ रहे हैं। 84 साल के हो चुके शरद पवार के बारे में अब तक दूसरे लोग कह रहे थे कि यह उनका आखिरी चुनाव हो सकता है। अब खुद शरद पवार ने संकेत दे दिए हैं कि राजनीति से रिटायर हो सकते हैं। बारामती में अपने पोते युगेंद्र पवार के प्रचार के दौरान कह दिया है कि हो सकता है वह अगली बार राज्यसभा न जाएं। फिलहाल वह राज्यसभा के सदस्य हैं और उनका कार्यकाल डेढ़ साल में खत्म हो रहा है। शरद पवार का कहना है कि अब उन्हें सोचना होगा कि वह एक और कार्यकाल लेंगे या नहीं।
वह अपने परिवार की पारंपरिक सीट बारामती में चुनाव प्रचार कर रहे थे। बारामती में अजित पवार को चुनौती देने के लिए शरद पवार ने अपने पोते युगेंद्र पवार को चुनाव में उतारा है। इसी सीट पर शरद पवार लगातार कई बार विधायक रहे थे। उनके केंद्र की राजनीति में जाने के बाद से ही अजित पवार इस सीट से जीतते आ रहे हैं। हालांकि, पार्टी में टूट के चलते अब इस सीट पर चाचा-भतीजे का मुकाबला हो रहा है।
अब चुनाव नहीं लड़ूंगा- शरद पवार
नेशलिस्ट कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के मुखिया शरद पवार इस बार महा विकास अघाड़ी के लिए चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं। भतीजे अजित पवार के अलग होने और पार्टी तोड़ने से दुखी शरद पवार ने अपने पोतों को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है। अपने बारे में आज उन्होंने कहा, 'कहीं तो रुकना ही पड़ेगा। मुझे अब चुनाव नहीं लड़ना है। अब नए लोगों को आगे आना चाहिए। मैंने अब तक 14 बार चुनाव लड़ा है। मुझे सत्ता नहीं चाहिए, मैं समाज के लिए काम करना चाहता हूं। आगे विचार करूंगा कि अब राज्यसभा जाना है या नहीं।'
इस सभा में एक और रोचक बात देखने को मिली कि शरद पवार ने अपने भतीजे अजित पवार के काम की तारीफ भी की। उन्होंने यह स्वीकार किया कि अजित पवार ने बारामती के लिए बहुत काम किया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगले तीन दशक तक इस क्षेत्र के विकास के लिए अब नए नेता की जरूरत है। शरद पवार ने यह भी कहा कि पांच महीने पहले हुआ लोकसभा चुनाव काफी कठिन था क्योंकि बारामती में यह मुकाबला परिवार के लोगों के बीच ही हुआ और इस बार भी ऐसा ही हो रहा है।