बिहार के गयाजी जिले में आने वाली शेरघाटी विधानसभा का इतिहास काफी रोचक रहा है। यह वही जगह है जहां 25 अगस्त 1865 को मंगल ग्रह से आया एक उल्कापिंड गिरा था। 5 किलो वजनी इस उल्कापिंड को 'शेरगोटी मीटियोराइट' नाम दिया गया था। जब यह उल्कापिंड गिरा था तो इसे एक किसान ने देख लिया था। उसने इसे जमींदार को सौंप दिया। जमींदार ने ब्रिटिश अधिकारियों को दे दिया। हालांकि, एक सदी से भी ज्यादा गुजर गया और यह नहीं पता चला कि यह कहां से आया है। 1980 के दशक में NASA के वैज्ञानिकों ने जांच में पाया कि यह मंगल ग्रह से आया था, क्योंकि मंगल ग्रह में मौजूद गैसों के अवशेष मिले थे।
माना जाता है कि एक जमाने में यहां जंगल हुआ करता था, जिसमें बहुत सारे शेर भी रहते थे। इसलिए इसे 'शेरघाटी' कहा जाने लगा। ऐसा कहा जाता है कि इसी जंगल में फरीद खान ने शेर का शिकार किया था, जिसके बाद उसे 'शेरशाह' कहा जाने लगा था। शेरशाह सूरी ने ही मुगल सम्राट हुमायूं को हराया था।
शेरघाटी का चुनावी इतिहास भी काफी रोचक है। यहां पहली बार 1957 में विधानसभा चुनाव हुआ था। 1972 तक यहां चुनाव हुए लेकिन उसके बाद इस सीट को खत्म कर दिया गया। 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट फिर अस्तित्व में आई। दोबारा अस्तित्व में आने के बाद से यहां तीन बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें दो बार जेडीयू और एक बार आरजेडी जीती।
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मौजूदा समीकरण
शेरघाटी विधानसभा में जेडीयू का प्रभाव रहा है। पिछली बार एलजेपी के अलग होने की वजह से जेडीयू को नुकसान उठाना पड़ा था और सीट आरजेडी के खाते में चली गई थी। एलजेपी अगर अकेले नहीं लड़ती तो नतीजा कुछ और हो सकता था। हालांकि, इस बार एलजेपी एनडीए के साथ ही है। ऐसे में इस बार यहां जेडीयू की वापसी हो सकती है। शेरघाटी में लगभग 34 फीसदी दलित और 14 फीसदी मुस्लिम आबादी है।
2020 में क्या हुआ था?
पिछले विधानसभा चुनाव में शेरघाटी में एलजेपी ने बड़ा खेला कर दिया था। एलजेपी ने जेडीयू के वोट काट लिए थे। पिछले चुनाव में आरजेडी की मंजू अग्रवाल ने मौजूदा विधायक और जेडीयू उम्मीदवार विनोद प्रसाद यादव को 16,690 वोट से हराया था। मंजू अग्रवाल को 61,804 और विनोद प्रसाद को 45,114 वोट मिले थे। वहीं, तीसरे नंबर पर एलजेपी के मुकेश कुमार यादव थे, जिन्हें 24,107 वोट मिले थे।
विधायक का परिचय
शेरघाटी से इस समय आरजेडी की मंजू अग्रवाल विधायक हैं। मंजू अग्रवाल पहली बार यहां से विधायक बनी हैं। मंजू अग्रवाल के समर्थन में पिछली बार तेजस्वी यादव ने बड़ी रैली की थी। उनकी जीत का एक बड़ा फैक्टर यह भी रहा था।
उन्होंने 2015 का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था लेकिन तीसरे नंबर पर रही थीं। 2015 के चुनाव में मंजू अग्रवाल को 29,671 यानी 20 फीसदी वोट मिले थे। उसके बाद उन्होंने आरजेडी ज्वॉइन कर ली थी।
2011 में उन्होंने मगध यूनिवर्सिटी से LLB की डिग्री हासिल की थी। उनके पति टुनटुन प्रसाद एक कारोबारी हैं। 2020 के चुनाव में दाखिल हलफनामे में मंजू अग्रवाल ने अपने पास 4.15 करोड़ रुपये की संपत्ति होने की जानकारी दी थी। उनके खिलाफ 4 क्रिमिनल केस दर्ज हैं।
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विधानसभा का इतिहास
इस सीट पर अब तक 8 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। इनमें 3 बार कांग्रेस, 2 बार जेडीयू और 1 बार आरजेडी जीती है। एक बार निर्दलीय और एक बार जन क्रांति दल के उम्मीदवार को जीत मिली है।
- 1957: शाहजहां मोहम्मद (कांग्रेस)
- 1962: शाहजहां मोहम्मद (कांग्रेस)
- 1967: एमए खान (जन क्रांति दल)
- 1969: जयराम गिरी (निर्दलीय)
- 1972: जयराम गिरी (कांग्रेस)
- 2010: विनोद प्रसाद यादव (जेडीयू)
- 2015: विनोद प्रसाद यादव (जेडीयू)
- 2020: मंजू अग्रवाल (आरजेडी)