बिहार का सिवान जिला कभी शहाबुद्दीन के नाम से जाना जाता था। वही शहाबुद्दीन, जिस पर हत्या, किडनैपिंग जैसे संगीन अपराधों का आरोप था। इसी जिले की सिवान विधानसभा में जब भी चुनाव होता है, बड़ा ही दिलचस्प होता है। सिवान सीट का चुनावी इतिहास भी काफी पुराना है। आजादी के बाद से अब तक यहां 18 बार चुनाव हो चुके हैं। इस सीट पर अवध बिहारी प्रसाद ने चुनाव जीता है। अवध बिहारी आरजेडी के बड़े नेताओं में है। अवध बिहारी इस सीट से 6 बार चुनाव जीत चुके हैं।
ऐसा माना जाता है कि जब गौतम बुद्ध की शवयात्रा को कुशीनगर ले जाया जा रहा था, तो कुछ देर के लिए उनका पार्थिव शरीर यहीं रखा गया था। सिवान की एक पहचान यह भी है कि पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म यहीं हुआ था।
मौजूदा समीकरण
सिवान में पिछली बार कड़ा मुकाबला देखने को मिला था। आरजेडी के अवध बिहारी चौधरी ने 15 साल बाद यहां वापसी की थी। अवध बिहारी का यहां दबदबा रहा है। वह अब तक 6 बार विधायक चुने जा चुके हैं। माना जाता है किइ इस सीट पर मुसलमान, यादव और भूमिहार का काफी असर है। आरजेडी को M-Y यानी मुस्लिम-यादव समीकरण का फायदा होता रहा है। बीजेपी ने भूमिहार को अपने साथ लाने की कोशिश की है। हालांकि, अवध बिहारी आरजेडी के बड़े नेता हैं। वह कुछ समय के लिए आरजेडी छोड़कर जेडीयू में आ गए थे। 2017 में उन्होंने आरजेडी में वापसी कर ली थी। इसका फायदा आरजेडी को मिला था।
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2020 में क्या हुआ था?
सिवान में पिछला विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प हुआ था। लगातार तीन बार से जीतती आ रही बीजेपी का सिलसिला 2020 में टूट गया था। पिछले चुनाव में आरजेडी के अवध बिहारी ने बीजेपी के ओम प्रकाश यादव को 1,973 वोटों से हरा दिया था। अवध बिहारी को 76,785 और ओम प्रकाश यादव को 74,812 वोट मिले थे।
विधायक का परिचय
अवध बिहारी वाजपेयी आरजेडी का बड़ा चेहरा हैं। 1985 में अवध बिहारी पहली बार यहां से विधायक बने थे। इसके बाद 1990, 1995, 2000 और फरवरी 2005 के चुनाव में लगातार अवध बिहारी ही जीते। उनकी जीत का यह सिलसिला अक्टूबर 2005 के चुनाव में जाकर टूटा।
बाद में अवध बिहारी चौधरी आरजेडी छोड़ दी थी। अक्टूबर 2005 और 2010 के चुनाव में लगातार दो हार के बाद अवध बिहारी ने आरजेडी छोड़ दी थी। 2015 का चुनाव उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ा लेकिन हार गए।
2017 में अवध बिहारी की आरजेडी में वापसी हुई। 2020 में आरजेडी ने उन्हें फिर सिवान से उतारा और उन्होंने चुनाव जीतकर 15 साल बाद वापसी की। 2022 में सीएम नीतीश कुमार ने पाला बदला और महागठबंधन की सरकार बनी। इस सरकार में अवध बिहारी को विधानसभा स्पीकर बनाया गया था।
2020 के चुनाव में दाखिल हलफनामे के मुताबिक, अवध कुमार चौधरी के पास 2.59 करोड़ रुपये की संपत्ति है। उनके खिलाफ 2 क्रिमिनल केस दर्ज थे।
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विधानसभा का इतिहास
इस सीट पर अब तक 18 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इसमें 1959 में हुआ उपचुनाव भी शामिल है।
- 1952: शंकर नाथ (कांग्रेस)/ राम बसवान राम (कांग्रेस)
- 1957: गदाधर श्रीवास्तव (कांग्रेस)
- 1959: एस. देवी (कांग्रेस)
- 1962: जनार्दन तिवारी (जन संघ)
- 1967: राज राम चौधरी (कांग्रेस)
- 1969: जनार्दन तिवारी (जन संघ)
- 1972: जनार्दन तिवारी (जन संघ)
- 1977: गुलाम सरवर (जनता पार्टी)
- 1980: जनार्दन तिवारी (बीजेपी)
- 1985: अवध बिहारी चौधरी (जनता पार्टी)
- 1990: अवध बिहारी चौधरी (जनता दल)
- 1995: अवध बिहारी चौधरी (जनता दल)
- 2000: अवध बिहारी चौधरी (आरजेडी)
- 2005: अवध बिहारी चौधरी (आरजेडी)
- 2005: व्यास देव प्रसाद (बीजेपी)
- 2010: व्यास देव प्रसाद (बीजेपी)
- 2015: व्यास देव प्रसाद (बीजेपी)
- 2020: अवध बिहारी चौधरी (आरजेडी)