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सुपौल विधानसभा: अजेय हैं बिजेंद्र प्रसाद यादव, कौन भेदेगा JDU का किला?

सुपौल विधानसभा सीट पर 2020 में जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने जीत दर्ज की थी। यह सीट साल 1990 से ही जेडीयू के बिजेंद्र प्रसाद यादव के कब्जे में है।

Supaul Assembly seat

सुपौल विधानसभा सीट। Photo Credit- Khabargaon

सुपौल विधानसभा सीट सुपौल जिले की महत्वपूर्ण सीट है। सुपौल सीट के करीब उत्तर-पश्चिम में दरभंगा, समस्तीपुर और सहरसा जिले हैं। सुपौल विधानसभा से कुछ ही दूरी पर कोसी नदी बहती है। यहीं पर जिले का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन है, जहां से बड़े शहरों के लिए ट्रेन मिलती हैं। रेलवे स्टेशन से लोकल से लेकर एक्सप्रेस ट्रेनें दोनों चलती हैं। यहां मल्दह का काली मंदिर, डकही घाट हनुमान मंदिर लाला महाराज मंदिर और इस्लामपुर की मस्जिद प्रसिद्ध हैं। जिला मुख्यालय होने के कारण यहां सुपौल कॉलेज ऑफ इंजनियरिंग है। इसके अलावा यहां सरकारी से लेकर प्राइवेट स्कूल हैं। हालांकि, सुपौल में मूलभूत सुविधाओं की आज भी कमी है, यहां उच्च शिक्षा के लिए जरूरी ढांचे की मांग होती रही है। बेहतर पढ़ाई के कॉलेज और स्कूल ना होने की वजह छात्र पटना और दिल्ली जैसे शहरों की ओर पलायन करते हैं

मौजूदा समीकरण?

सुपौल विधानसभा सीट पर 2020 में जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने जीत दर्ज की थी। यह सीट साल 1990 से ही जेडीयू के बिजेंद्र प्रसाद यादव के कब्जे में है। बिजेंद्र प्रसाद लगातार 30 सालों से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने रहे हैं। 2020 में उन्होंने सुपौल से कांग्रेस के मिनतुल्लाह रहमानी को हराया था। इस सीट पर बिजेंद्र प्रसाद को अजेय बढ़त है। हालांकि, इस बार सुपौल विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है। सुपौल पर बिजेंद्र प्रसाद यादव की पकड़ काफी मजबूत है, यही वजह है कि वह यहां से लगातार 7 बार से विधायक चुने जा रहे हैं। उनकी पकड़ को देखते हुए इस बात की उम्मीद है कि इस बार भी जेडीयू उन्हीं को अपना उम्मीदवार बनाएगी। ऐसे में आरजेडी को यहां से हराने के लिए बिजेंद्र प्रसाद के मुकाबले कोई मजबूत कैंडिडेट उतारना होगा।

 

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2020 में क्या हुआ था?

सुपौल सीट पर 2020 में जनता दल यूनाइटेड ने जीत दर्ज की थी। कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी। 2020 में जनता दल यूनाइटेड से बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कांग्रेस के मिनतुल्लाह रहमानी को बड़े वोटों के मार्जिन से हराया था। हार का अंतर 28099 वोटों का था। जेडीयू के बिजेंद्र प्रसाद यादव ने 50.3 फीसदी वोट पाते हुए 86,174 वोट हासिल किए थे, जबकि मिनतुल्लाह रहमानी को 58,075 वोट मिले। वहीं, इस सीट पर चिराग पासवान की पार्टी LJP के प्रत्याशी प्रभाश चंद्र मंडल को 8,515 वोट मिले थे। इसके अलावा निर्दलीय प्रत्याशी अनिल कुमार सिंह को 5,736 वोट मिले थे।

विधायक का परिचय

मौजूदा विधायक बिजेंद्र प्रसाद यादव सुपौल से लगातार आठ बार से विधायक हैं। वह यहां से सबसे पहले 1990 में जनता दल के टिकट पर विधायक बने थे। वह जनता दल के ही टिकट पर 1995 में भी जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। जनता दल के विभाजन के बाद उन्होंने नीतीश कुमार की जेडीयू का दामन थामा था। इसके बाद साल 2000 से वह जेडीयू के टिकट पर सुपौल से लगातार विधायक हैं। उन्हें यहां से कोई नहीं हरा पाया है।

 

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79 साल के बिजेंद्र प्रसाद यादव राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। उनके पास ऊर्जा, योजना और विकास मंत्रालय का जिम्मा है। अपनी अजेय जीत की वजह से बिजेंद्र प्रसाद यादव बिहार के पुराने और दिग्गज नेताओं में शुमार किए जाते हैं। उनकी पढ़ाई की बात करें तो वह 12वीं पास हैं। उन्होंने बीरपुर से बिहार बोर्ड से साल 1965 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी। 2020 के उनके चुनावी हलफनामों के मुताबिक, उनकी आय का मुख्य स्रोत विधायकी रूप में मिलने वाला उनका वेतन है। पिछले हलफनामों के मुताबिक उनके पास 2,24,01,413 रुपये की संपत्ति है।

सुपौल सीट का इतिहास

सुपौल विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आई थी। यह सुपौल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। इस पर अभी तक कुल 18 विधानसभा चुनाव हुए हैं। इस सीट की संख्या 43 है। विधानसभा में निर्मली, राघोपुर और सरायगढ़ भपटियाही सामुदायिक विकास खंड हैं। निर्मली विधानसभा सीट सुपौल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है।

 

सुपौल नगर पालिका के अंतर्गत गोपालपुर सिरे, बकौर, घूरन, बरुआरी, पिपरा खुर्द, रामदत्त पट्टी, बलवा, कर्णपुर, लौकहा, बसबिट्टी, गोठ बरुआरी, एकमा, बलहा, बैरो, सुखपुर सोल्हनी, तेलवा, बैरिया, चैनसिंहपट्टी, मल्हनी, परसरमा परसौनी ग्राम पंचायतें हैंइसके अलावा यहां सुपौल सामुदायिक विकास ब्लॉक मरौना सामुदायिक विकास ब्लॉक हैं

 

1952- लहटन चौधरी (कांग्रेस)

1957- परमेश्वर कुमार (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)

1958- लहटन चौधरी (कांग्रेस)

1962- परमेश्वर कुमार (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी)

1967- उमा शंकर सिंह (कांग्रेस)

1969- उमा शंकर सिंह (कांग्रेस)

1972- उमा शंकर सिंह (कांग्रेस)

1977- अमरेंद्र प्रसाद सिंह ()

1980- उमा शंकर सिंह (कांग्रेस)

1985- प्रमोद कुमार सिंह (कांग्रेस)

1990- बिजेंद्र प्रसाद यादव (जनता दल)

1995- बिजेंद्र प्रसाद यादव (जनता दल)

2000- बिजेंद्र प्रसाद यादव (जेडीयू)

2005- बिजेंद्र प्रसाद यादव (जेडीयू)

2010- बिजेंद्र प्रसाद यादव (जेडीयू)

2015- बिजेंद्र प्रसाद यादव (जेडीयू)

2020- बिजेंद्र प्रसाद यादव (जेडीयू)

 

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