बिहार के कटिहार जिले में है कदवा विधानसभा सीट, इसकी पहचान मखाना और मछली से होती है। महानंदा के चलते ये इलाका हर साल बाढ़ का प्रकोप झेलता है। जातिगत आधार पर यहां EBC सबसे ज्यादा 30% है, जबकि मुस्लिम मतदाता 32% हैं। OBC 17%, SC 9%, ST 5% हैं। वहीं सामान्य वर्ग केवल 5% है, ये समीकरण चुनावी नतीजों में अहम भूमिका निभाते हैं।
उपजाऊ मिट्टी होने के चलते इलाके के ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर करते हैं।
हालांकि बड़ी आबादी रोजगार की तलाश में यहां से पलायन कर गई है। राज्य की राजधानी पटना यहां से लगभग 300 किलोमीटर दूर है। राजधानी से दूर होने के बावजूद कदवा सीट चर्चा में रहती है। यहां कांग्रेस और भाजपा के अलावा निर्दलीय भी जीत दर्ज कराते रहे हैं। हाल ही के समय में इस सीट पर कांग्रेस ने दबदबा कायम किया है।
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मौजूदा समीकरण
2024 के लोकसभा चुनाव में कटिहार सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। कांग्रेस के तारिक अनवर चुनाव जीते थे। हालांकि JDU के उम्मीदवार ने कदवा में तारिक अनवर से लगभग 8 हजार ज्यादा वोट हासिल किए थे। जो कदवा विधानसभा में NDA को मजबूती देता है। हालांकि, पिछले 2 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार शकील अहमद खान ये सीट जीत रहे हैं। अगर एंटी इनकंबेंसी ने खेल नहीं बिगाड़ा तो इस बार भी कांग्रेस इस सीट पर मजबूती से चुनौती देगी।
विधायक का परिचय
कदवा से कांग्रेस के शकील अहमद खान विधायक हैं। वे कांग्रेस के नेशनल सेक्रेटरी भी हैं। पटना यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से एमए, एमफिल और पीएचडी की।
शकील पहली बार 2015 में विधायक बने थे। उन्होंने छात्र राजनीति से पॉलिटिक्स में एंट्री की। वह 1991 में JNU की स्टूडेंट यूनियन में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर रहे और 1992 में वे JNU स्टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट बने। फिलहाल वह पश्चिम बंगाल में भी पार्टी के इंचार्ज हैं। 2020 के हलफनामे के मुताबिक उनके पास 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की प्रॉप्रटी है। फिलहाल अलग-अलग कोर्ट में उन पर 6 मामले लंबित हैं।
2020 में क्या हुआ था?
2020 में NDA की तरफ से यह सीट JDU को मिली थी। इस सीट पर चिराग पासवान की LJP भी चुनाव लड़ी थी। जिसने जमकर JDU के उम्मीदवार के वोट काटे थे। कांग्रेस उम्मीदवार को यहां से लगभग 71 हजार वोट मिले थे। जबकि JDU को 38 हजार तो वहीं LJP KA 31 हजार वोट मिले थे। अगर LJP ने चुनाव नहीं लड़ा होता तो JDU और कांग्रेस में काफी नजदीक का मुकाबला होता।
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सीट का इतिहास
शुरुआती 3 चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा, खास बात यह है कि निर्दलीय उम्मीदवारों ने कदवा से चार बार जीत हासिल की, जो किसी भी गैर-कांग्रेसी दल से ज्यादा है।
- 1952- जिवत्स हिमांशु शर्मा (INC)
- 1957- मोईउद्दीन मुख्तार (INC)
- 1962- कमलनाथ झा (INC)
- 1977- ख्वाजा शाहिद हुसैन (निर्दलीय)
- 1980- मंगन इंसान (निर्दलीय)
- 1985- उस्मान घनी (INC)
- 1990- अब्दुल जलील (INC)
- 1995- भोला राय (BJP)
- 2000- हिमराज सिंह (निर्दलीय)
- 2005- अब्दुल जलील (NCP)
- 2005- अब्दुल जलील (NCP) उपचुनाव में जीते
- 2010- भोला राय (BJP)
- 2015- शकील अहमद खान (INC)
- 2020- शकील अहमद खान (INC)