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1984 सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को न्याय का वादा कितना पूरा हुआ?

आम आदमी पार्टी ने 1984 के सिख दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने का वादा किया था। देखते हैं कि आम आदमी पार्टी इस वादे पर कितनी खरी उतरी है?

Creative Image : Photo Credit: Khabargaon

क्रिएटिव इमेज। Photo Credit: Khabargaon

वादा- 1984 सिख-विरोधी नरसंहार पीड़ितों के लिए न्याय

"हम सुनिश्चित करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जस्टिस एस एन ढींगरा के अधीन गठित एसआईटी के निष्कर्षों पर तत्काल कार्रवाई हो और 1984 सिख-विरोधी नरंसहार के पीड़ितों को न्याय मिले।"

 

आम आदमी पार्टी (AAP) ने साल 2015 से ही सिख दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए मुफ्त कानूनी सहायता दिलाने के साथ साथ उनके टूटे हुए घरों का रिनोवेशन कराने का वादा किया था। उस वक्त विधानसभा में इसको लेकर एक रिजोल्यूशन भी पास किया गया था जिसमें 1984 के सिख दंगों के पीड़ितों के लिए न्याय और कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई थी। 

 

इस रिजोल्यूशन में कहा गया था, 'हर कोई जानता है कि कौन दोषी है...लेकिन गवाहों को खरीदा गया, केस को बंद कर दिया गया। अगर 1984 के दंगाइयों को सजा दी गई होती तो 2002 में दंगे नहीं होते।'

SIT बनाई गई

2013 में 49 दिनों के सरकार के वक्त में केजरीवाल सरकार ने एक एसआईटी बनाने की घोषणा की थी लेकिन ऐसा हो न सका। इसके अलावा अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि वह दिल्ली के तिलक नगर, गढ़ी, रघुबीर नगर, संगम पार्क, जहांगीर पुरी, जीटी रोड शाहदरा, कालकाजी और मादीपुर एरिया में घरों का रिनोवेशन कराने की बात कही थी।

सर्वे कराया गया

इसके बाद डीयूएसआईबी (DUSIB) ने इन कॉलोनियों का सर्वे करना शुरू कर दिया था।  दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के अधिकारियों ने कहा, 'पीड़ितों के परिवार जिन कॉलोनियों में रहते हैं, उनकी स्थिति चिंताजनक है और इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।' जून में आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार दिल्ली में सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने में असमर्थ है। केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने मांग की थी कि दंगों की जांच के लिए उसे अपनी एसआईटी (विशेष जांच दल) बनाने की अनुमति दी जानी चाहिए।

बीजेपी को घेरने की कोशिश

इसके जरिए आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को घेरने की कोशिश भी की थी। आम आदमी पार्टी संयोजक और दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके लिए एसआईटी का गठन किया है लेकिन अभी तक इस मामले में कुछ भी नहीं हुआ है।

 

5 साल में क्या हुआ?

 

नवंबर 2024 में दिल्ली के उपराज्यपाल ने ऐलान किया कि 1984 के दंगा पीड़ितों के परिवार को दिल्ली सरकार की नौकरियों में छूट दी जाएगी। इसके तहत 437 परिवारों के लोगों को नौकरी देने के लिए फॉर्म जुलाई में ही भरवाए गए थे। 

 

अगस्त 2024 में सीएम आतिशी ने एख मीटिंग करके निर्देश दिए कि 1984 के सिख दंगा पीड़ितों को बिजली सब्सिडी का लाभ दिया जाए और जिनको इसका लाभ नहीं रहा है उनके 400 यूनिट बिल माफ किए जाएं। इसी मीटिंग में सीएम आतिश ने कहा कि स्पेशल कैंप लगाकर पीड़ितों के सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाए। साथ ही, राजस्व विभाग दंगा पीड़ितों की यूनिक आईडी कार्ड बनाए ताकि वे बिना किसी परेशानी के योजनाओं का लाभ उठा सकें। इस मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर जैसे आरोपियों के खिलाफ अभी भी कोर्ट में केस चल रहा है।

 

इस बारे में अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है कि अभी तक दिल्ली में कितने घर रिनोवेट किए गए हैं। हालांकि, दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग ने स्पेशल कैंप लगाया और पीड़ितों के परिवारों को बुलाया। दिल्ली के एलजी ने करीब 50 कैंडीडेट के क्वालिफिकेशन को लेकर शैक्षणिक योग्यता में ढील दी। इसके अलावा एलजी ने राजस्व विभाग को निर्देश दिया पीड़ितों में जिनकी उम्र तय सीमा से पार हो चुकी है उन्हें नौकरी दी जाए।

 

अभी काफी लोग उसी हालत में रहने को मजबूर हैं और उनके पास आय के कोई बेहतर स्रोत भी नहीं हैं। तमाम लोगों के घर टूटे हुए हैं।  उत्तर पश्चिम दिल्ली में उस वक्त दंगों के संबंध में 66 एफआईआर दर्ज हुई थीं। इनमें से 29 मामले गुम होने के थे जिनमें से 25 में आरोपी को बरी कर दिया गया और सात ट्रायल अभी भी पेंडिंग हैं। एक की जांच पेंडिंग है।

 

तमाम ऐसे हैं जो कि आज भी गरीबी में रहने को मजबूर हैं।

 

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