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वारिसनगर विधानसभा: JDU के गढ़ में अशोक कुमार मारेंगे चौका?

बिहार की वारिसनगर विधानसभा से अशोक कुमार विधायक हैं। वह लगातार 3 बार से विधायक चुने जा रहे हैं। विधानसभा पर अब क्या समीकरण बन रहे हैं, क्या है कहानी, सब समझिए ।

Warishnagar

वारिसनगर विधानसभा। (Photo Credit: Khabargaon)

वारिसनगर विधानसभा, समस्तीपुर जिले की अहम सीट है। यहां से जनता दल यूनाइटेड के दिग्गज नेता अशोक कुमार विधायक हैं। चौथी बार भी वह चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। एक जमाने में यह राष्ट्रीय जनता दल का गढ़ रहा है। यह विधानसभा, समस्तीपुर की ग्रामीण विधानसभाओं में से एक है। साल 2008 में हुए परिसीमन के बाद इस विधानसभा में वारिसनगर और खानपुर ब्लॉक जुड़े। मधुरपुर, रहतौली, दहियार और परसा जैसे ग्राम पंचायतों को भी जोड़ा गया। वारिसनगर विधानसभा की सीट संख्या 132 है। 

वारिसनगर विधानसभा, समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत ही आती है। यहां से समस्तीपुर शहर की दूरी सिर्फ 17.9 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां से पटना दूरी करीब 107 किलोमीटर दूर है। दलसिंहसराय यहां से 43 किलोमीटर दूर है। दरभंगा की दूरी 31 किलोमीटर है। यह विधानसभा छोटी-छोटी सड़कों से प्रमुख शहरों से जुड़ी है, इसलिए ट्रांसपोर्ट की सुविधा, अपेक्षाकृत बेहतर है।

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विधानसभा का परिचय 

वारिसनगर, कस्बाई इलाका है लेकिन विधानसभा का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण है। वारिसनगर गंगा के मैदानी इलाके में बसा है। यहां कमला और कोसी नदियां भी बहती हैं। खेती के लिए अनुकूल स्थितियां हैं लेकिन मानसून के दिनों में बाढ़ की वजह से लोग बेहाल हो जाते हैं। धान, गेंहू और सब्जियों की खेती होती है। यहां का रोहुआ गांव तंबाकू की खेती के लिए मशहूर है। डेयरी उद्योग भी अच्छी स्थिति में है।


विधायक का परिचय

अशोक कुमार वारिसनगर से विधायक हैं। वह समस्तीपुर जिले के कटघारा गांव के रहने वाले हैं। इस गांव का पोस्ट ऑफिस भटौरा है। वह जेडीयू के चर्चित नेताओं में शुमार हैं। वह खुद को किसान बताते हैं, राजनीति में सक्रिय हैं। उनकी पत्नी शिक्षिका हैं। उन्होने बीआईटी मेसरा से बीएससी इंजीनियरिंग में पढ़ाई की है। यह कॉलेज रांची में है। साल 1982 में वह ग्रेजेुएट हुए। उनकी संपत्ति 7 करोड़ रुपये से ज्यादा है। 

 

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मुद्दे क्या हैं?

मॉनसून के दिनों में बाढ़ की वजह से लोग परेशान होते हैं। यहां की 70 फीसदी आबादी किसान है, जो अपने लिए बेहतर बाजार की मांग करती है। पलयान हाल के दिनों में बढ़ा है। रोजगार के लिए लोग ज्यादातर बाहर रहते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और स्कूलों को बेहतर करने की मांग उठाई जाती है। ग्रामीण इलाकों में सड़कों की स्थिति खराब है। पलायन, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार बड़ा चुनावी मुद्दा है।
 

सामाजिक ताना बाना

यह विधानसभा साल 1951 में अस्तित्व में आई थी। वारिस नगर में कुल मतदाताओं की संख्या 334383 है। पुरुष मतदाताओं की संख्या 175272 है, वहीं 159111 महिला मतदाता हैं। यहां कोइरी-कुर्मी समुदाय मजबूत स्थिति में है। सवर्ण मतदाता भी जीत-हार तय करते हैं। करीब 12 फीसदी आबादी अल्पसंख्यक है, वहीं अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या लगभग 19 फीसदी है। 


2025 में क्या समीकरण बन रहे हैं?

यह विधानसभा अशोक कुमार का गढ़ है। जेडीयू, एक बार फिर अपने दिग्गज नेता को चुनावी मैदान में उतार सकती है। यह सीट, बीजेपी को नहीं मिलने वाला है, यह तय माना जा रहा है। इंडिया गठबंधन की ओर से एक बार फिर भूलबाबू सिंह उतारे जा सकते हैं। वह लेफ्ट खेमे से है। जनसुराज भी यहां दमखम आजमा रही है। द प्लूरल्स पार्टी ने अभी तक इस क्षेत्र में सक्रियता नहीं दिखाई है। 

2020 का चुनाव कैसा था?

साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां से जेडीयू के अशोक कुमार ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की। दूसरे नंबर पर CPI (M-L) (L) के उम्मीदवार फूलबाबू सिंह रहे। अशोक कुमार को 68356 वोट मिले तो फूलबाबू को 54555 मत। जीत का अंतर 13801 रहा। यह विधानसभा, जेडीयू का गढ़ है। 

सीट का इतिहास

करीब दो दशक से यहां लोक जनशक्ति पार्टी और जनता दल यूनाइटेड का दबदबा रहा। यहां बीजेपी और आरजेडी का प्रभाव नहीं है। यह एनडीए का अब गढ़ बन चुका है। आरजेडी ने 2010 के बाद और बीजेपी ने 2005 के बाद यहां अपने गठबंधन के साथियों को उतारा। बीजेपी ने कभी जेडीयू पर भरोसा जताया, लोक जनशक्ति पार्टी पर। कांग्रेस ने साल 1972 में जीत हासिल की थी। अब यहां कांग्रेस और वाम दल उम्मीदवार नहीं उतारते हैं। 

1951 से अब तक 15 विधानसभा चुनाव हुए हैं, 2 उपचुनाव भी हुए हैं। जेडीयू ने चार बार, एलजेपी और जनता दल ने तीन-तीन बार, जनता पार्टी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने दो-दो बार, जबकि सोशलिस्ट पार्टी, कांग्रेस और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने एक-एक बार जीत हासिल की। 2000 से क्षेत्रीय दलों का दबदबा शुरू हुआ।

  • विधानसभा चुनाव 1952: वशिष्ठ नारायण सिंह, सोशलिस्ट पार्टी
  • विधानसभा चुनाव 1967: राम सेवक हजारी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
  • विधानसभा चुनाव 1969: राम सेवक हजारी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
  • विधानसभा चुनाव 1972: चूल्हाई राम, कांग्रेस
  • विधानसभा चुनाव 1977: पीतांबर पासवान, जनता पार्टी
  • विधानसभा चुनाव 1980: पीतांबर पासवान, जनता पार्टी
  • विधानसभा चुनाव 1985: राम सेवक हजारी, निर्दलीय
  • विधानसभा चुनाव 1990: पीतांबर पासवान, जनता दल
  • विधानसभा चुनाव 1995: पीतांबर पासवान, जनता दल
  • विधानसभा चुनाव 2000: राम सेवक हजारी, जेडीयू
  • विधानसभा चुनाव 2005 (फरवरी): महेश्वर हजारी, लोक जनशक्ति पार्टी
  • विधानसभा चुनाव 2005 (अक्टूबर): महेश्वर हजारी, लोक जनशक्ति पार्टी
  • विधानसभा उपचुनाव 2009: विश्वनाथ पासवान, लोक जनशक्ति पार्ट
  • विधानसभा चुनाव 2010: अशोक कुमार, जेडीयू
  • विधानसभा चुनाव 2015: अशोक कुमार, जेडीयू
  • विधानसभा चुनाव 2020: अशोक कुमार, जेडीयू

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