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जहानाबाद: यहां आरजेडी का दबदबा, क्या खाता खोल पाएंगी BJP और JDU?

बिहार के जहानाबाद जिले में सभी सियासी दलों ने अपनी-अपनी ताकत झोंक रखी है। हर दल यहां अपना सियासी दबदबा बनाए रखना चाहता है। अभी जिले की तीन में से दो सीटों पर राजद का कब्जा है। एक सीट वामदल के हिस्से में है।

Jehanabad election update.

जहानाबाद जिले का समीकरण। ( Photo Credit: Khabargaon)

बिहार के जहानाबाद जिले में दूसरे चरण में 11 नंवबर को चुनाव होगा। सभी दल सियासी समीकरण साधने में जुट चुके हैं। जिले में जहानाबाद, मखदुमपुर और घोसी तीन विधानसभा सीटें हैं। मखदुमपुर और जहानाबाद सीट पर आरजेडी और घोसी पर भाकपा (माले) का कब्जा है। जहानाबाद की सियासत कांग्रेस के अलावा समाजवादी दलों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। अगर लोकसभा चुनाव की बात करें तो 2024 में जहानाबाद सीट से आरजेडी प्रत्याशी सुरेंद्र कुमार यादव ने जीत हासिल की थी। 2019 में यह सीट जेडीयू के कब्जे में थी। 

 

जहानाबाद पहले गया जिले का हिस्सा था, लेकिन 1 अगस्त 1986 को एक अलग जिला बनाया गया। जिले का उल्लेख 'आइन-ए-अकबरी' किताब में भी मिलता है। किताब के मुताबिक 17वीं शताब्दी में जहानाबाद इलाके में भीषण अकाल पड़ा था। इसमें कई लोगों की जान गई थी। औरंगजेब के शासन में एक मंडी का निर्माण किया गया। इसका नाम जहांआरा रखा गया था। बाद में यह इलाका जहानाबाद के नाम से विख्यात हुआ।

राजनीतिक समीकरण

मखदुमपुर विधानसभा सीट पर पिछले दो चुनाव से आरजेडी का कब्जा है। जेडीयू सिर्फ एक बार 2010 में जीती है। यहां मुस्लिम मतदाताओं की आबादी सिर्फ 6 फीसद है। बावजूद इसके यहां आरजेडी का दबदबा देखने को मिलता है। 1995 और 2000 में बागी कुमार वर्मा दो बार चुनाव जीते थे।

 

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घोसी विधानसभा सीट पर पिछले चार दशक से जगदीश शर्मा के परिवार का दबदबा कोई नहीं तोड़ पाया है। यहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं का अच्छा प्रभाव है। उनकी हिस्सेदारी करीब 19.93 फीसद है। विधानसभा क्षेत्र की अधिकांश आबादी ग्रामीण इलाके में रहती है। 12.9 फीसद यादव मतदाता भी हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं। घोसी सीट पर 5 फीसद पासवान वोटर्स हैं। वही 4.3 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं। 1977 से 2005 तक जगदीश शर्मा लगातार आठ बार विधायक रहे हैं।

 

जहानाबाद विधानसभा में यादव समुदाय की अच्छी खासी पकड़ है । यही वजह है कि 18 में से आठ चुनाव में यादव उम्मीदवार को जनता ने जिताया है। जातिगत समीकरण के लिहाज से अनूसूचित जाति के वोटर्स की भूमिका भी निर्णायक है। उनकी हिस्सेदारी लगभग 17.07 फीसद है। 8.5 फीसदी मुस्लिम मतदाता अगर यादव समुदाय के साथ आते हैं तो इसका सीधा फायदा आरजेडी को मिलता है। 

विधानसभा सीटें:

मखदुमपुर विधानसभा:  साल 1952 में यह विधानसभा सीट अस्तित्व में आई। अभी तक कुल 17 चुनाव हो चुके हैं। सबसे अधिक कांग्रेस छह बार जीती है। आरजेडी को जनता ने चार बार मौका दिया। जनता दल, जनता पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, एलजेपी और जेडीयू को एक-एक बार जीत मिली। साल 2010 में बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने 2010 में विधानसभा चुनाव मखदुमपुर से ही जीता था। राम जतन सिन्हा तीन बार और बागी कुमार वर्मा दो बार विधायक रहे। आरजेडी नेता सतीश कुमार अभी मखदुमपुर से विधायक हैं।

 

घोसी विधानसभा: घोसी विधानसभा सीट पर जगदीश शर्मा का दबदबा रहा है। वह लगातार आठ बार चुनाव जीते। अब तक कुल 17 चुनाव में से कांग्रेस पांच बार जीती। जेडीयू को जनता ने तीन बार मौका दिया। घोसी सीट पर आरजेडी अभी तक नहीं जीती है। सीपीआई दो, जनता पार्टी, बीजेपी और भाकपा माले को एक-एक बार कामयाबी मिली। घोसी सीट पर चार बार निर्दलीय प्रत्याशी भी जीते हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाकपा माले प्रत्याशी रामबली सिंह यादव ने जीत हासिल की।

 

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जहानाबाद विधानसभा: जहानाबाद विधानसभा सीट पर समाजवादी दलों का प्रभुत्व देखने को मिलता है। पहले चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी ने जीत हासिल की। कांग्रेस को जनता ने तीन बार मौका दिया। आरजेडी प्रत्याशियों को छह बार जनता का साथ मिला। इसके अलावा जनता पार्टी, जनता दल, जेडीयू और निर्दलीय एक-एक बार जीते। मुद्रिका सिंह यादव यहां से दो बार विधायक रहे। सीट पर आरजेडी की पकड़ मजबूत है। 

जिले का प्रोफाइल

जहानाबाद जिले का कुल क्षेत्रफल 931 वर्ग किलोमीटर है। 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की 11.24 लाख आबादी है। अगर साक्षरता दर की बात करें तो यहां की 68.27 फीसद जनता पढ़ी-लिखी है। जिले में 7 प्रखंड और एक अनुमंडल है। जिलेभर में 93 पंचायतें हैं। 19 थानों से पूरे जिले की कानून-व्यवस्था संचालित होती है। 

 

कुल विधानसभा सीटें: 3
आरजेडी: 2
भाकपा-माले: 1

 

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