भारतीय जनता पार्टी (BJP), महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े और छोटे भाई का खेल बाखूबी जानती है। शिवसेना और बीजेपी के मजबूत गठजोड़ टूटने की वजह भी सत्ता की यही ठसक रही। बीजेपी चाहती थी कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ही रहें, शिवसेना चाहती थी कि मुख्यमंत्री शिवसैनिक हो। अकड़ आड़े आई, 2019 में वर्षों की दोस्ती टूटी और यह गठबंधन, टूट गया।
शिवसेना, महा विकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल हो गई। लोगों ने इस गठबंधन को बेमेल गठबंधन कहा, वजह कांग्रेस और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी की मौजूदगी थी। कुछ दिन सत्ता में उद्धव ठाकरे रहे, उनकी पार्टी तोड़कर एकनाथ शिंदे ने अलग शिवसेना बना ली। अजीत पवार ने भी अलग एनसीपी बना ली। अब शिवसेना बनाम शिवसेना, एनसीपी बनाम एनसीपी महाराष्ट्र की हकीकत है।
एकनाथ शिंदे और अजीत पवार की पार्टियां, बीजेपी के साथ गठबंधन में हैं। इस गठबंधन का नाम महायुति है। महायुति की सीधी लड़ाई, महा विकास अघाड़ी से ही है। महा विकास अघाड़ी ने भी यह तय नहीं किया है कि सीएम फेस कौन होगा। अब सवाल ये है कि आखिर चुनाव के बीच जहां मुद्दों पर बात हो रही है, वहां अचानक सीएम फेस पर चर्चा क्यों? वजह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हैं।
अमित शाह ने कैसे बढ़ाया सीएम फेस पर सस्पेंस?
अमित शाह ने पार्टी के संकल्प पत्र को जारी करते हुए कहा था, 'अभी एकनाथ शिंदे हमारे मुख्यमंत्री हैं लेकिन चुनाव के बाद, महायुति के तीनों दल आपस में बैठक करेंगे और तय करेंगे कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।' ऐसा नहीं है कि अमित शाह ने पहली दफा ऐसा कहा है। उन्होंने सांगली में भी एक रैली के दौरान बीते सप्ताह कहा था कि जनता चाहती है कि महायुति सरकार सत्ता में लौटे और देवेंद्र फडणवीस भी।
क्या देवेंद्र फडणवीस होंगे सीएम?
बीजेपी नेताओं का एक धड़ा, एकनाथ शिंदे के सीएम फेस से पहले ही खुश नहीं है। देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे हैं और वे एकनाथ शिंदे के डिप्टी बना दिए गए हैं। ऐसे में वे फिर से सीएम बनने के लिए खुद तैयार हैं। उनके समर्थक भी यही चाहते हैं। महाराष्ट्र में बीजेपी कार्यकर्ता भी चाहते हैं कि केंद्र में मोदी और महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस होने चाहिए। कई रैलियों में अलग-अलग मीडिया चैनलों ने भी इसे रिपोर्ट किया है। महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि मुख्यमंत्री पद हमारा अभी एजेंडा नहीं है। जब तक, महायुति को ताकत नहीं मिलती है, तब तक, एकनाथ शिंदे ही मुख्यमंत्री रहेंगे।
महाराष्ट्र की सियासत में एक बात तो तय है कि 288 विधानसभाओं में अकेले जीतकर कोई भी पार्टी, बिना गठबंधन के सरकार बनाने वाली नहीं है। ऐसे में महायुति गठबंधन सरकार की भी कुछ शर्तें होंगी। मुख्यमंत्री बनने की ख्वाहिश अजीत पवार की भी कम नहीं है क्योंकि वे भी डिप्टी सीएम कई बार रहे लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। एकनाथ शिंदे, मुख्यमंत्री बन गए हैं, वे अपने साथ देवेंद्र फडणवीस जैसा दोहराव नहीं चाहेंगे। एमवीए गठबंधन के नेता अभी उद्धव ठाकरे ही बने हुए हैं।
देवेंद्र फडणवीस की छटपटाहट क्या है?
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में ही साल 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ा गया था। तत्कालनी बीजेपी और शिवसेना गठबंधन के पास बहुमत था। अच्छी सीटें आईं थीं, जिसका श्रेय भी देवेंद्र फडणवीस को जाता है लेकिन ऐन वक्त पर शिवसेना ने ऐसा रुख अपनाया, जिसकी उम्मीद देवेंद्र फडणवीस को नहीं थी। वे दूसरी बार मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए। अब एक बार फिर वे मुख्यमंत्री बनने की कोशिश करेंगे।
बीजेपी ने 105 सीटें जीते थीं, शिवसेना के पास 56 सीटें थीं। अगर बीजेपी देवेंद्र फडणवीस को दोबारा आगे बढ़ाना चाहती है तो इसके लिए महायुति में सबसे ज्यादा सीटें बीजेपी को ही हासिल करनी होंगी। बीजेपी 148 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, शिंदे के गुट वाली शिवसेना 80 सीटों पर और अजीत पवार की एनसीपी 52 सीटों पर चुनाव लड रही है। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को वोटिंग होगी और 23 को चुनावी नतीजे घोषित होंगे।