जयदेव ठाकरे, बाला साहेब ठाकरे का वह बेटा, जो उनके प्यार के लिए हमेशा तरसता रहा। उन्होंने अपने भतीजे राज ठाकरे को अपने तेवर सिखलाए, अपने छोटे बेटे उद्धव ठाकरे को वही तेवर सिखलाए लेकिन जयदेव के हिस्से, न उनका प्यार आया, न उनका साथ। जयदेव में भी उसी बाला साहेब ठाकरे का खून था तो रिश्तों में उनके लिए तेवर भी वैसे ही थे।
जिस बाला साहेब ठाकरे को महाराष्ट्र की जनता 'हिंदू हृदय सम्राट' कहती थी, लोग उनके इशारों पर झुक जाया करते थे, किसी की उनसे नजर मिलाने की हिम्मत तक नहीं होती थी, उन्हीं की कोई बात, उनके बेटे जयदेव नहीं मानते थे। यह बात किसी और नहीं बाला साहेब ठाकरे की वसीयत के गवाह रहे शिवसेना अनिल परब ने हाई कोर्ट में कही थी। उनका कहना था कि जयदेव, बाल ठाकरे को पसंद नहीं थे।
कैसा है बाला साहेब ठाकरे का परिवार?
बाल ठाकरे के तीन बेटे थे। बिंदुमाधव सबसे बड़े थे, मझिले थे जयदेव ठाकरे और सबसे छोटे थे उद्धव ठाकरे। अपने तेज तर्रार भतीजे राज ठाकरे तक को उन्होंने दरकिनार कर दिया था, जबकि उनके तेवर, बिलकुल अपने चाचा की तरह ही थे। बिंदुमाधव की मौत एक सड़क हादसे में हो गई थी। परिवार में जयदेव और उद्धव बचे थे।
बाल ठाकरे, जयदेव को पसंद नहीं करते थे। दोनों के रिश्ते बेहद उलझे हुए थे। जयदेव की शादी जयश्री कलेलकर से हुई थी। इस शादी में जयदेव खुश नहीं थे। घरवालों ने समझाया कि शादी न तोड़ें। उन्होंने किसी की नहीं सुनी और शादी तोड़ दी। वे अपनी पत्नी से अलग रहने लगे। इस कदम से बाल ठाकरे बेहद नाराज हुए।
ऐसे बिखरता गया बाल ठाकरे का परिवार
जहां जयदेव से बाल ठाकरे के रिश्ते बिगड़े थे, वहीं उनकी पत्नी स्मिता के साथ उनके रिश्ते ठीक थे। जयदेव ने हाई कोर्ट में एक केस की सुनवाई के दौरान कहा था कि वे राजनीति में आना चाहती थीं। उनके दो बेटे थे। राहुल और ऐश्वर्य। साल 1994 के बाद से वे राजनीति में आने के लिए बेताब नजर आईं। स्मिता ने सूझबूझ से बाल ठाकरे को मना लिया था। कुछ साल बाद उनके संबंध स्मिता से भी खराब होते चले गए।
साल 1995 तक बाल ठाकरे की पत्नी मीना की मौत हो गई और जयदेव ठाकरे के रिश्ते पिता के साथ और बिगड़ गए। उन्होंने 1999 में मतोश्री से किनारा कर लिया था। जयदेव ने घर छोड़ दिया लेकिन स्मिता 2004 तक अपने मतोश्री में ही रहीं। जब तलाक हुआ तो वे घर छोड़कर चली गईं।जयदेव ने तीसरी शादी अनुराधा से की। अनुराधा से उनकी एक बेटी है, जिसका नाम माधुरी है।
बढ़ते चले गए जयदेव से मतभेद
जयदेव ने घर छोड़ा तो पिता का रहा-सहा प्यार भी चला गया। एक बार की बात है कि जयदेव की तबीयत खराब हो गई थी, तब बाल ठाकरे एक बार उन्हें देखने गए थे। 17 नवंबर 2012 को बाला साहेब ठाकरे का निधन हो गया था। सबको विरासत में हिस्सा मिला, जयदेव इससे नाखुश थे। बाला साहेब के निधन के बाद संपत्ति बंटवारे को लेकर थोड़ी जंग चली।
कोर्ट तक में हुआ जयदेव बनाम उद्धव
उद्धव ठाकरे ने जनवरी 2014 में बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रोबेट पिटिशन दाखिल की थी। मौत के बाद वसीयत को सत्यापित करने के लिए यह याचिका दायर होती है। इस याचिका में जयदेव ठाकरे ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि जब 13 दिसंबर 2011 को उनकी वसीयत लिखी गई, तब, उनके पिता दस्तखत करने की स्थिति में नहीं थे। वसीयत अंग्रेजी में है, जबकि उनके पिता मराठी के प्रति बेहद वफादार रहे। उन्हें कुछ और मुद्दों पर ऐतराज था।
उद्धव ठाकरे वसीयत के मूल्य को 14.85 करोड़ का बता रहे थे, जबकि जयदेव मानते थे कि उनका बंगला 40 करोड़ रुपये का है। कुल संपत्ति 100 करोड़ रुपये से ज्यादा है। उद्धव ठाकरे ने बाल ठाकरे के हवाले से कहा था कि जयदेव विद्रोही थे, वे सालों पहले मतोश्री से चले गए थे। वे अपनी पत्नी को तलाक देकर अलग रहते हैं।
अब तक एक नहीं हो पाए जयदेव-उद्धव
बाल ठाकरे ने अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा स्मिता और ऐश्वर्य के नाम किया था। उत्तराधिकार पर सुनवाई के दौरान तो एक बार उन्होंने कहा दिया था कि ऐश्वर्य उनका बेटा ही नहीं है। संपत्ति बंटवारे को लेकर यह विवाद करीब 6 साल चला लेकिन साल 2018 में अचानक से जयदेव ठाकरे ने पिता की वसीयत को चुनौती देने वाली याचिका वापस ले ली थी। जयदेव ठाकरे का अपने भाई उद्धव ठाकरे के साथ रिश्ता कभी ठीक नहीं रहा। अक्तूबर 2022 में एक बार जयदेव ठाकरे एकनाथ शिंदे के मंच पर नजर आए थे, तब उन पर कई खबरें बनी थीं। ऐसी चर्चाएं चली थीं कि अब तक ठाकरे परिवार में सब ठीक नहीं हो पाया है।