डिग्री, उम्र, हलफनामा, सम्राट चौधरी पर क्या सवाल उठ रहे हैं?
सम्राट चौधरी, तेजस्वी यादव से लेकर प्रशांत किशोर तक, हर किसी को खटक रहे हैं। ऐसा क्यों है, समझिए पूरा विवाद।

प्रशांत किशोर, सम्राट चौधरी और तेजस्वी यादव। (Photo Credit: Sora)
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का नाम इन दिनों विवादों में है। वह भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़े चेहरो में से एक हैं। बीजेपी समर्थकों का एक धड़ा मानता है कि वह मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा हो या बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की, सम्राट चौधरी अगली पंक्ति में बैठे नजर आते हैं। इतने अहम कद के बाद भी वह इन दिनों विवादों के केंद्र में हैं। कभी प्रशांत किशोर उन्हें अपराधी बता रहे हैं, कभी तेजस्वी यादव।
सम्राट चौधरी का नाम कभी फर्जी मार्कशीट केस में उछाला जा रहा है, कभी हत्या से जुड़े एक मामले में। लोग उनकी डिग्रियों पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं। प्रशांत किशोर की ओर से यह भी कहा जा रहा है कि सम्राट चौधरी ने अपने ही समाज के 7 लोगों की हत्या करा दी थी। प्रशांत किशोर दलील दे रहे हैं कि उन्हें नीतीश कुमार उपमुख्यमंत्री पद से हटा दें, वह हत्या के अभियुक्त हैं, उन्हें जेल होना चाहिए।
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प्रशांत किशोर, अध्यक्ष, जन सुराज:-
सम्राट चौधरी, बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं। भाई साहब नाम बदलने के विशेषज्ञ हैं। इनका नाम राकेश कुमार। बाद में हुआ राकेश कुमार उर्फ सम्राट चौधरी। इनका असली नाम सम्राट कुमार मौर्य। यह उनका पहला नाम है। 1998 में इन पर एक हत्या का आरोप लगा। सदानंद सिंह, कांग्रेस के बड़े नेता थे, इनके परिवार के राजनीतिक विरोधी थे, उनको बम से मारकर उनकी हत्या कर दी गई। लोग बताते हैं कि इस हत्याकांड में 6 लोगों की मौत हुई। उस केस में आज के सम्राट चौधरी और तब के सम्राट कुमार मौर्य, आरोपी थे। बकायदा जेल गए। 6 महीने के बाद जेल से निकले। नाबालिग होने के नाम पर इन्हें जेल से निकाला गया।
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सबके निशाने पर सम्राट चौधरी, किसने क्या कहा है, आइए जानते हैं-
प्रशांत किशोर ने सम्राट चौधरी पर क्या आरोप लगाए हैं?
- नाम बदलने के आरोप: प्रशांत किशोर ने दावा किया, 'सम्राट चौधरी ने कभी मैट्रिक की परीक्षा पास नहीं की है। बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट को दिए एफिडेविट में कहा कि 'सम्राट कुमार मौर्य' नाम से परीक्षा दी गई थी, जिसमें 234 अंक मिले और फेल हो गए।'
- डिग्री पर सवाल: प्रशांत किशोर ने दावा किया, '2010 के एक एफिडेविट में चौधरी ने खुद को सातवीं पास बताया लेकिन अब वे कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से डी.लिट डिग्री का दावा करते हैं। किशोर ने सवाल उठाया कि बिना मैट्रिक पास किए डिग्री मिल गई।'
- तारापुर मर्डर केस: प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया, '1995 के तारापुर हत्याकांड में कुशवाहा समुदाय से आने वाले 6 से 7 लोग मारे गए थे। सम्राट चौधरी का नाम तब राकेश कुमार उर्फ सम्राट चंद्र मौर्य था। वह आरोपी थे और जेल भी गए। अदालत ने उन्हें नाबालिग बताया और गलत हलफनामा देने के कारण रिहा कर दिया गया।' प्रशांत किशोर ने दावा किया कि सम्राट ने कोर्ट में उम्र को लेकर झूठ बोला ताकि जेल से बच सकें। इस मामले में उन्होंने सम्राट चौधरी की तत्काल गिरफ्तार और बर्खास्तगी की मांग की है।
- नकली दस्तावेजों के आरोप: प्रशातं किशोर ने आरोप लगाया है, 'सम्राट चौधरी ने खुद को नाबालिग बताने के लिए नकली दस्तावेजों का सहारा लिया। उन्होंने अपनी जन्म तिथि 1 मई 1981 बताई। तब वह नाबालिग का लाभ लेकर कोर्ट से छूट गए। वह 1998 में कांग्रेस नेता सदानंद सिंह हत्याकांड में भी आरोपी रहे। आपका डिप्टी सीएम हत्या का आरोपी है।'
- शिल्पी जैन मर्डर केस: प्रशांत किशोर ने कहा, 'शिल्पी गौतम केस में सम्राट चौधरी का नाम संदिग्ध अभियुक्तों में था और उन्हें इस मामले में जांच के लिए सैंपल देना चाहिए था। 1997-98 के दौरान सम्राट चौधरी पर छठे मृतक के मर्डर का केस था, जिसमें कोर्ट ने उन्हें बरी किया था, लेकिन उनकी भूमिका संदिग्ध रही है। इसलिए उनका डिप्टी सीएम पद से हटना और गिरफ्तारी होनी चाहिए।'
- नाम बदलने की आदत: प्रशांत किशोर ने कहा कि वह लाभ लेने के लिए बार-बार नाम बदलते हैं। उनका मूल नाम सम्राट कुमार मौर्य, फिर राकेश कुमार, राकेश कुमार चौधरी, अब सम्राट चौधरी। प्रशांत किशोर का कहना है कि वह ऐसा इसलिए कर रहे हैं, जिससे मौर्य लोग उन्हें वोट करें।
तेजस्वी यादव ने क्या आरोप लगाए हैं?
तेजस्वी यादव:-
2005 में सम्राट चौधरी की उम्र 26 साल थी। 2010 में 28 साल हो गया। 5 साल में 2 साल बढ़े। 2020 में 51 साल के हो गए। 10 साल में 23 साल बढ़ गया। अलग-अलग चुनाव में अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र दिया है।
तेजस्वी यादव ने कहा है, '2005 में जो एफिडेविट था, वह 7वीं फेल का था। फिर अचानक से ही बिना मैट्रिक किए पीएचडी कर लिए कामराज यूनिवर्सिटी से। डी. लिट डिग्री कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से लेकर आ गए। अब इतना बड़ा फ्रॉड जो व्यक्ति अपनी उम्र और डिग्रियों के साथ कर सकता है, वह लोग सरकार में बैठकर हम लोगों को गाली देते हैं। उनको माफी मांगनी चाहिए।'
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सम्राट चौधरी के चुनावी हलफनामे में क्या है?

- विधानसभा चुनाव 2005: सम्राट चौधरी, अशोक कुमार नाम से चुनावी मैदान में उतरे। अपनी उम्र 26 साल बताई। शैक्षणिक योग्यता सातवीं पास बताई थी।
2010 का चुनावी हलफनामा। - विधानसभा चुनाव 2010: सम्राट चौधरी ने अपनी उम्र 28 साल बताई। उन्होंने अपना नाम सम्राट चौधरी उर्फ राकेश कुमार बताया था। शैक्षणिक योग्यता सातवीं पास बताई थी।
2020 का चुनावी हलफनामा। - विधानसभा परिषद चुनाव 2020: सम्राट चौधरी ने अपनी उम्र 51 साल बताई। शैक्षणिक योग्यता में उन्होंने बताया है कि वह कैलिफोर्निया पब्लिक यूनिवर्सिटी, यूएस से डी. लिट हैं। वह पीएफसी कामराज यूनिवर्सिटी से से भी पढ़े हैं।
अपने ऊपर लगे आरोपों पर क्या कहते हैं सम्राट चौधरी?
सम्राट चौधरी ने प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा है कि दुर्भवनापूर्ण तरीके से साल 1995 में उन्हें और उनके परिवार के 22 सदस्यों को जेल में डाल दिया। उस वक्त लालू यादव के निर्देश पर पुलिस ने घर पर बदसलूकी की। तब नीतीश कुमार ने उनके समर्थन में आंदोलन किया था। और ह्यूमन राइट कमीशन ने लालू सरकार पर कार्रवाई की थी।
सम्राट चौधरी ने कहा कि शिल्पी-गौतम हत्याकांड में पूरी जांच सीबीआई ने की है और उनका इस मामले से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने प्रशांत किशोर पर भी आरोप लगाए कि उन्होंने 241 करोड़ रुपये की कमाई की है, जिसका हिसाब देना चाहिए।
सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री, बिहार:-
1995 में हमलोगों को जेल में डाल दिया गया था। मेरे घर के कुआं में लालू यादव के गुंडे और पुलिस ने पेशाब कर दिया था। मेरे घर के 22 लोगों को जेल में डाल दिया था। तब नीतीश कुमार 7 किलोमीटर तक मेरे लिए पैदल चले और आंदोलन किया। ह्यूमन राइट कमीशन ने लालू सरकार पर कार्रवाई की और मेरे परिवार को पेनाल्टी दिया।
शिल्पी गौतम हत्याकांड पर सम्राट चौधरी ने क्या जवाब दिया?
शिल्पी गौतम हत्याकांड पर सम्राट चौधरी ने कहा, 'इस केस में पूरी तरह जांच सीबीआई ने किया। हमलोगों को कुछ पता भी नहीं है। जिस राकेश की बात ये करते हैं वह हाजीपुर का रहने वाला है। जो आरोप लगा रहा है वह पूरे देश को लूट के आया है।'
प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव, लगातार सम्राट चौधरी को कोस रहे हैं।
एक नजर, सम्राट चौधरी की सियासत पर
सम्राट चौधरी के पिता शकुनी चौधरी समता पार्टी के संस्थापक और कुशवाहा समाज के बड़े नेता रहे। सम्राट चौधरी ने 1990 में सक्रिय राजनीति शुरू की और 1995 में जेल भी गए। 1999 में राबड़ी देवी सरकार में वह पहली बार मुख्यमंत्री बने। उनके पिता शकुनी चौधरी की वजह से राबड़ी देवी सरकार में यह मौका मिला। उनकी उम्र, मंत्री बनने के लिए कम थी। उम्र विवाद की वजह से ही वह हटाए भी गए।
अपने शुरुआती दिनों वह आरजेडी से जुड़े रहे। उन्होंने जेडीयू का भी सहारा लिया लेकिन मंजिल और ख्याति बीजेपी में मिली। जब नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ थे तो इन्हें सीएम पद का दावेदार कहा जाने लगा। नीतीश कुमार लौटे तो इन्हें डिप्टी सीएम बनना पड़ा। नीतीश कुमार को हटाने के लिए उन्होंने संकल्प लिया था कि वह पगड़ी नहीं उतारेंगे, जब तक नीतीश कुमार को पद से उतार नहीं देंगे। नीतीश मुख्यमंत्री बने तो 2024 में यह संकल्प भी टूट गया।
बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व में उनमें संभावनाएं देख रहा है। एक धड़ा मानता है कि नीतीश कुमार के बाद बीजेपी का मुख्यमंत्री होगा, चेहरा सम्राट चौधरी होंगे। बिहार में वह अपने कद से बड़ कई नेताओं को पीछे छोड़कर उभरे हैं। बिहार में नीतीश कुमार कुर्मी समुदाय से आते हैं। सम्राट चौधरी कोइरी समुदाय से आते हैं। कुशवाहा समुदाय की आबादी करीब 4.2 प्रतिशत है। कुर्मी-कोइरी समुदाय का सहयोग, बिहार में बीजेपी का सपना सच कर सकता है।
बीजेपी ने कुशवाहा समुदाय से आने वाले सम्राट चौधरी 2017 में बीजेपी में शामिल किया। महज छह साल में वह प्रदेश अध्यक्ष से उपमुख्यमंत्री बन गए। उनकी आक्रामक शैली और नीतीश के धुर विरोध ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया। जब नीतीश साथ हुए तो उन्हें सीधे उपमुख्यमंत्री बना दिया गया। बीजेपी ने सम्राट चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाकर ओबीसी वोटों को साधने की रणनीति अपनाई। बिहार में कुशवाहा आबादी 4.2% है, जो लव-कुश (कुर्मी-कोइरी) वोटों के लिए अहम है। वह सत्ता के केंद्र में हैं, इसलिए सारे हमले भी उन्हीं पर हो रहे हैं।
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