संजय सिंह, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुस्लिम वोटों की गोलबंदी शुरू हो चुकी है। सभी दलों के बीच सियासी घमासान मचा है। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने एक बयान से महागठबंधन को कटघरे में खड़ा किया तो दूसरी तरफ एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी महागठबंधन को निशाने पर लिया। सीमांचल में अपनी यात्रा के बहाने ओवैसी गठबंधन को घेरने में जुटे हैं। बहुजन समाज पार्टी ने भी अधिक सीटों पर मुस्लिम चेहरों को मौका देने की बात कही है।
कांग्रेस भी मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने में जुटी है। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा है कि महागठबंधन अपने को मुसलमानों का रहनुमा कहता है। यह महागठबंधन को तय करना है कि जहां से वह अपना अल्पसंख्यक उम्मीदवार खड़ा करेगा। वहां से जन सुराज उस उम्मीदवार के विरोध में अल्पसंख्यक उम्मीदवार नहीं देगा। पर इस बात की गारंटी महागठबंधन को देना होगा कि जन सुराज उम्मीदवार के खिलाफ वह अल्पसंख्यक प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतरेगा।
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महागठबंधन ने डर दिखाकर वोट लिया: पीके
पीके ने कहा कि महागठबंधन को भाजपा को हटाने की इतनी ही चिंता है तो वह इसकी घोषणा करे, लेकिन वो ऐसा करेगा नहीं। महागठबंधन अक्सर अल्पसंख्यकों को डर दिखाकर वोट लेती रही है, लेकिन बिहार के मुसलमानों की दुर्दशा की ओर उसने ध्यान नहीं दिया। आज भी अल्पसंख्यक समुदाय के लोग शिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी की समस्याओं से जूझ रहे हैं। वोट लेने के बाद इनकी ओर किसी का ध्यान नहीं जाता।
हमने सिर्फ 6 सीटें मांगी: ओवैसी
उधर, एआईएमआईएम के प्रमुख ओवैसी ने मुस्लिम वोटों की गोलबंदी के लिए सीमांचल में न्याय यात्रा के तहत चार दिवसीय दौरा शुरू किया है। उनका उद्देश्य पार्टी के कार्यकर्ताओं के भीतर नई ऊर्जा भरना है। ओवैसी ने कहा कि हमने महागठबंधन में शामिल का हाथ बढ़ाया, ताकि मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी को रोका जा सके। उसका जवाब अब तक नहीं मिला। हमारी पार्टी महागठबंधन से मात्र 6 सीटें मांग रही है। अगर हमारे प्रस्ताव को नहीं माना गया तो इससे पता चल जाएगा कि बीजेपी की बी टीम कौन है?
सीमांचल में ओवैसी का वोटबैंक
ओवैसी का कहना है कि अगर मुझे गठबंधन में जगह नहीं मिली तो हम 40 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं। इसके लिए हम जिम्मेदार नहीं होंगे। ओवैसी ने अपनी राजनीति की शुरुआत सीमांचल से की है। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण इस इलाके पर इनकी मजबूत पकड़ है। पिछले चुनाव में ओवैसी के पार्टी के 5 विधायक थे। बाद में चार ने राजद का दामन थाम लिया था। इस कारण ओवैसी महागठबंधन से खफा हैं।
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बसपा ने बढ़ाई टेंशन
इन सबके बीच कांग्रेस को इस बात का भरोसा है कि राजद से राजनीतिक तालमेल के बाद उसे भी अल्पसंख्यक वोट का लाभ मिलेगा। मगर बहुजन समाज पार्टी ने बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। पार्टी अल्पसंख्यक चेहरों पर अधिक दांव खेलेगी। पार्टी का फोकस अल्पसंख्यक और बहुजन वोट के सहारे नया समीकरण साधने पर है।
बिहार में अल्पसंख्यकों का लगभग 17 फीसदी वोटबैंक है। 50 सीटों पर इनकी निर्णायक भूमिका है। अगर सीमांचल क्षेत्र की बात करें तो यहां अल्पसंख्यकों की हिस्सेदारी करीब 46 फीसद है। यही वजह है बिहार के अधिकांश दल अपना सियासी समीकरण बैठाने में जुटे हैं।